लखनऊ: उत्तर प्रदेश गो-सेवा आयोग के सचिव डा0 सुरेन्द कुमार ने बताया कि प्रदेश गो-सेवा आयोग द्वारा पंजीकृत गौशालाओं के सुदृढ़ीकरण हेतु शासन द्वारा ठोस एवं सुदृढ़ व्यवस्थायें की गयी है। उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा पंजीकृत चार गौशालाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए अनुदान हेतु 15 दिसम्बर तक आवेदन पत्र आमंत्रित किये गये हैं।
डा0 सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि उ0प्र0 गौशाला अधिनियम 1964 के अन्तर्गत पंजीकृत गौशालाओं के सुदृढीकरण की योजनान्तर्गत प्राविधानित कुल चार गोशालाओं में 50-50 गोवंश हेतु काऊशेड, भूसा गोदाम, चैकीदार आवास पानी की टंकी आदि का निर्माण उ0प्र0 शासन/उ0प्र0गो सेवा आयोग द्वारा निर्धारित कार्यदायी संस्था से कराया जाना है, जो शत-प्रतिशत अनुदान है। उक्त कार्य हेतु गौशाला के नाम एक एकड़ भूमि रिक्त होना आवश्यक है। जिसका नक्शा संबंधित मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी से प्रमाणित हो।
आयोग के सचिव ने बताया कि इच्छुक गौशालाओं के न्यासी/अध्यक्ष/ सचिव जो निम्न मानकों/शर्तों को पूरा करते हो अपने-अपने आवेदन पत्र समस्त विवरणों/प्रमाण-पत्रों/अभिलेखों की प्रमाणित छाया प्रतियों सहित जनपद के संबंधित पशुचिकित्सा अधिकारी की सुस्पष्ट आख्या/संस्तुति के साथ उ0प्र0 गो-सेवा आयोग, दसवा तल, इन्दिरा भवन, लखनऊ के कार्यालय में दिनांक 15 दिसम्बर, 2016 सायं 5ः00 बजे तक पंजीकृत डाक से स्वीकार किये जायेंगे।
सचिव ने बताया कि गौशाला/संस्था सोसाइटी रजिस्टेशन अधिनियम-1860 के अन्तर्गत पंजीकृत हो तथा पंजीकरण की वैधता तिथि समाप्त न हुई हो। गौशाला, उ0प्र0 गौशाला अधिनियम-1964 के अन्तर्गत पंजीकृत हो। गौशाला के नाम से किसी भी आर0बी0आई0 नियंत्रित बैंक में बचत/चालू खाता हो। संस्था के विरूद्ध गौशाला प्रबन्धन व गौशाला संचालन में वित्तीय अनियमितता अथवा धोखाधड़ी संबंधी कोई भी अपराधिक मामला दर्ज न हो एवं इससे संबंधित कोई मामला मा0 न्यायालय में लम्बित न हो। गौशाला में कम से कम 100 गोवंश संरक्षित किये जा रहे हो।
गोसेवा आयोग के सचिव ने बताया कि गौशाला के विगत एक वर्ष की राज्य सनद प्राप्त फर्म चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट द्वारा सम्परीक्षित आय-व्यय का विवरण उपलब्ध हो। गौशाला के नाम कम से कम एक एकड़ भूमि (पंजीकृत बैनाम/पंजीकृत लीज डीड/पंजीकृत दान-पत्र ) उपलब्ध हो। ऐसी गौशालायें जो गोवंश संरक्षण व संवर्द्धन के प्रति जागरूक हो उन्हें प्राथमिकता दी जाय। गौशाला को विगत तीन वर्षों के अवस्थापना मद (वृहद निर्माण कार्य) में किसी सरकारी संस्थान/विभाग से कोई अनुदान न मिला हो तथा उक्त बिन्दु 4,7,9 का शपथ-पत्र एवं निर्माण कार्य कराने का सहमति पत्र होना आवश्यक है।