अल्मोड़ा: हमारे मेले और उत्सव संस्कृति व सभ्यता के ऐसे पक्ष है जो देश-दुनिया के लिए प्रेरणा के स्रोत है इन्हीं में अल्मोड़ा का गोलज्यू महोत्सव अपना विशिष्ट स्थान रखता है यह बात मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को अल्मोड़ा के चितई में आयोजित गोलू महोत्सव एवं उत्तराखण्ड लोक कला व साहित्य संरक्षण ट्रस्ट के संस्कृति भवन एवं संग्रहालय के शुभारम्भ के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है जिसे बचाने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे ताकि इस तरह के आयोजनों में युवा पीढ़ी का जुड़ाव बना रहे। रचनात्मक सृजनता में काम कर हमें आगे बढ़ना होगा। हमारी संस्कृति दुनिया में अपनी विशष्ट स्थान रखती है। इस भौतिकवादी युग में हम अपनी संस्कृति को भूल रहे है उन पहलुओं को स्थापित करने का भी हमें काम करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 02 ऐसे संग्रहालय बनाये गये है जिनमें पुराने वाद्य यन्त्रों, पाण्डुलिपियों व अन्य विलुप्त हो रही वस्तुओं को रखा जा रहा है ताकि युवा पीढ़ी का जुड़ाव बना रहे। पाण्डुलियों को संरक्षित करने के लिए भी हमने ठोस निर्णय लिये है ये जो संग्रहालय स्थापित किये गये है उनमें एक अल्मोड़ा में चितई और टिहरी में बनाया गया है और देहरादून में एक बहुत बड़े संग्रहालय की स्थापना की जा रही है जिसमें हमारी काष्ठ कला सहित अन्य शिल्प को रखा जायेगा। लकड़ी का काम हमारे चितई में जो पूर्व में हुआ है उसे भी संरक्षित करने का काम किया जा रहा है ताकि लकड़ी की नक्काशी तराशने के लिए युवा प्रोत्साहित हो सके। हमारी संस्कृति समृद्व है तथा यहाॅ के शिल्प की विदेशों में भी अपनी पहचान है। चितई में वाद्य यन्त्रों का संग्रहालय बनाया गया है उसमें जुगल किशोर पेटशाली द्वारा किया गया कार्य सराहनीय व अनुकरणीय है। अब हमने यह भी निर्णय लिया है पुराने जमाने में जो औजार उपयोग में लाये जाते थे उनको संरक्षित करने भी आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने संसदीय सचिव से कहा कि अल्मोड़ा की रामलीला व बैठकी होली की अपनी विशिष्ट पहचान है इसके लिए भी कोई ठोस कार्य योजना तैयार कर लें। इसके लिए भी शासन पूर्ण मदद करने को तैयार है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि शिल्प कला को आगे बढ़ाने के लिए शिल्प रत्न पुरस्कार देने का निर्णय हमने लिया अब सृजनात्मक कला साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने वालो के लिए भी राज्य सरकार ने पुरस्कार देने की योजना बनायी है। यही नहीं कलाकारों को पेंशन देने के साथ उनके पारश्रमिक में बढ़ोत्तरी करने का निर्णय हमारे द्वारा लिया गया है। मेलो व उत्सवों को बढ़ावा देने के लिए और उनका संरक्षण देने के लिए हमने 500 से भी अधिक स्थानों पर मेलों के आयोजनो की शुरूआत की है। अब हमने यह निर्णय लिया है कि बंजर भूमि में जिनके द्वारा काम किया जायेगा उनको भी बोनस दिया जायेगा। कला संस्कृति और यहाॅ की वादियों को भी पर्यटन से जोड़ने के लिए हमने निर्णय लिये है इस तरह के आयोजन कर अल्मोड़ा शहर जो सांस्कृतिक नगरी के रूप में जाना जाता है उसे और विकसित करना होगा। दश्तकारी, एैपण आदि के कार्य के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने के साथ ही पारम्परिक खेती के लिए हमें काम करना होगा। इस अवसर पर उन्होंने अल्मोड़ा में कौसी में स्थित बैराज में फिल्टरेशन लगाने की बात कही और कहा कि शीघ्र ही इसके लिए ठोस निर्णय लिया जायेगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जायेगी। इस कार्यक्रम में संसदीय सचिव मनोज तिवारी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि वे इस तरह के आयोजनो में अपनी पूर्ण सहभागिता देंगे। वरिष्ठ रंगकर्मी एवं साहित्यकार जुगल किशोर पेटशाली ने बताया कि वर्ष 2008 से यह महोत्सव आयोजित किया जा रहा है और यहाॅ पर संग्रहालय बनाये जाने का निर्णय 2003 में लिया गया था जिसका सपना आज साकार हुआ। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसके संरक्षण और संवद्र्वन हेतु अपना पूर्ण सहयोग हमें दिया तभी हम आज इस मुकाम पर पहुॅच पाये है। इस अवसर पर सांस्कृतिक दलो ने विलुप्त हो रही संस्कृति जागर, भगनौल सहित अन्य कार्यक्रमों को प्रस्तुत किया।