देश में जहां एक तरफ कोरोना मरीजों की संख्या में बढोत्तरी दर्ज की जा रही है वहीं सकारात्मक बात यह भी है कि कोरोना के ठीक होने वाली मरीजों की दर में भी इजाफा हो रहा है। पिछले 24 घंटों में कोरोना से संक्रमित 682 लोगों के स्वस्थ होने के साथ ऐसे लोगों की संख्या 10633 पर पहुंच गयी है तथा इनकी रिकवरी दर बढ़कर 26 प्रतिशत से अधिक हो गयी है। केन्द्र सरकार देश में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण के मामलों की रोकथाम, नियंत्रण और इनसे निपटने के प्रयासों की उच्च स्तर पर निगरानी रख रही है तथा इसी के अनुसार आगे की रणनीति भी बना रही है और लॉकडाउन के तीसरे चरण में केन्द्र सरकार ने कोरोना पीड़ित क्षेत्रों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या को देखते हुए रेड और ग्रीन जोन के बारे में नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं और इनमें कोरोना के कुल मामलों की संख्या तथा उनके दुगुना होने की दर प्रमुख कारक हैं। इसके अलावा वहां नमूने जांच की दर और जनसंख्या घनत्व को भी ध्यान में रखा जाना है। इसी को देखते हुए रेड और ओरेंज जोन को पुन: परिभाषित किया गया है। इन क्षेत्रों में विषाणु संक्रमण को रोकने के लिए उपयुक्त ‘कंटेनमेंट स्ट्रैटिजी’ अपनाई जानी जरूरी है। इस कंटेनमेंट जोन के बाहर के क्षेत्र को घेरकर उपयुक्त रणनीति बनाई जानी है लेकिन अगर इसके बाहर के क्षेत्र यानी बफर जोन में कोई भी केस नहीं आ रहा है और इसके बाहर के क्षेत्र में कुछ गतिविधियों में छूट दी जा सकती है। किसी भी राज्य अथवा जिले चाहे वे रेड जोन हो या ओरेंज जोन हो, उन सभी में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों को बढऩे से रोकने के लिए ‘कड़े कदम’ उठाये जाने जरूरी है क्योंकि इस वायरस का प्रसार रोकने के लिए यह बहुत जरूरी हो जाता है।
हालांकि इसी बीच देश में कईं मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी को आजमाया गया और उसके नतीजे भी सकारात्मक रहे है लेकिन महाराष्ट्र में एक कोरोना मरीज की मौत होने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके बारे में स्पष्ट कर दिया है कि प्लाज्मा थेरेपी को विश्व में कहीं भी मान्य उपचार के तौर पर पुष्टि नहीं हुई है और यह सिर्फ ट्रायल के तौर पर ही की जा रही है तथा दिशा-निर्देशों का पालन किए बिना यह घातक साबित हो सकती है। विश्व के अनेक देशों में कोरोना महामारी से निपटने पर शोध और अनेक कार्य हो रहे हैं लेकिन अभी तक किसी भी कारगर वैक्सीन अथवा दवा का पता नहीं चल सका है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि देश में कई स्थानों पर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कोरोना मरीजों के इलाज के लिए हो रहा है लेकिन इसका उपयोग भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशा- निर्देशों के तहत ही होना चाहिए और इसके लिए ” ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ से मंजूरी लेनी जरूरी है। इसी के बाद ही यह प्रकिया शुरू की जानी है। Source डेली न्यूज़