दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाया जाता है. इस त्योहार में लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन का निर्माण करते हैं. इसे अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है. गोबर से बनाए गए गोवर्धन पर्वत की लोग पूजा करते है और परिक्रमा कर प्रसाद चढ़ाते हैं. गोवर्धन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल में माना गया है.
कब करनी है पूजा
इस वर्ष गोवर्धन पूजन का शुभ समय गुरुवार सुबह 6:37:54 से 08:48:38 तक है. इसकी अवधि 2 घंटे 10 मिनट है. वहीं यह पूजा आप रात को भी कर सकते है. रात्रि समय 15:20:50 से 17:31:34 तक दो घंटे दस मिनट तक गोवर्धन भगवान की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त हैं.
किस भगवन की होती है पूजा
कहा जात है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति दिखाते हुए विशाल गोवर्धन पर्वत को महज कानी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के गुस्से से बचाया था. मान्यता है कि इस दिन जो भी श्रद्धापूर्वक भगवान गोवर्धन की पूजा करता है,उसे सुख समृद्धि प्राप्त होती है.
गोवर्धन पूजा विधि
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- गोबर्धन तैयार करने के बाद उसे फूलों से सजाएं.
- आप शाम के समय गोवर्धन पूजा कर सकते है.
- पूजा में धूप, दीप, दूध नैवेद्य, जल, फल, खील, बताशे आदि का इस्तेमाल करें.
- गोबर से बनाए गए गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें.
- इसी दिन गाय-बैल और कृषि काम में आने वाले पशुओं की पूजा की जाती है.
- पूजा के बाद सात परिक्रमाएं लगाते हुए जयकारा लगाएं.
- ध्यान रहे परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है.
- गोबर्धन तैयार करने के बाद उसे फूलों से सजाएं.
- आप शाम के समय गोवर्धन पूजा कर सकते है.
- गोबर से बनाए गए गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें.
- पूजा के बाद सात परिक्रमाएं लगाते हुए जयकारा लगाएं.