नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को संचालित करने वाले नए एवं सरल दिशा-निर्देशों 2015 को अधिसूचित कर दिया है, जो 01 अगस्त, 2015 से प्रभावित होंगे।
केंद्रीय दत्तक-ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) द्वारा जारी दिशा-निर्देश 2015 दत्तक ग्रहण दिशानिर्देश 2011 की जगह लेंगे।
संशोधित दिशानिर्देश कारा, दत्तक ग्रहण एजेंसियों एवं गोद लेने वाले संभावित माता-पिताओं (पीएपी) के सामने आने वाली चुनौतियों और मुद्दो को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं।
इन दिशानिर्देशों का उद्देश्य अनाथों और त्यागे गए बच्चों को अपनाने के लिए अधिक कारगर नियमन मुहैया कराना है जो बच्चों को गोद लेने की प्रणाली में अधिक कुशलता और पारदर्शिता लाएंगे। नए दिशानिर्देशों के साथ पीएपी के लिए उनके आवेदनों की स्थिति का पता लगाना संभव हो जाएगा, जिससे पूरी प्रणाली अधिक अनुकूल हो जाएगी।
इसी के अनुरूप, बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए सृजित एक ई गवर्नेंस कदम के रूप में केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन सूचना दिशानिर्देश प्रणाली (केयरिंग्स) का भी पुनरूद्धार किया गया है। केयरिंग्स गोद लिए जाने योग्य बच्चों की अधिकतम संख्या को गोद लेने के लिए सुगम बनाएगी और अनावश्यक देरी में कमी लाने के जरिए गोद लेने की प्रक्रिया को अधिक सहज बनाएगी। गोद लेने की प्रक्रिया को समस्यारहित बनाने के लिए केयरिंग्स के पास गोद लिए जाने योग्य बच्चों एवं पीएपी का एक केंद्रीकृत डाटा बैंक होगा। घरेलू एवं अंत: देशीय गोद लेने की प्रक्रिया के लिए सुस्पष्ट समय-सीमा तैयार की गई है, जिससे कि ऐसे बच्चों को शीघ्रता से गोद लेना सुनिश्चित किया जा सके।
सभी जिला शिशु सुरक्षा इकाइयों (डीसीपीयू) को केयरिंग्स से ऑनलाइन जोड़ा जाएगा। डीसीपीयू परित्यक्त बच्चों के बारे में समाचार पत्रों में प्रकाशन के लिए उत्तरदायी होगा और अगर आवश्यकता पड़ी तो इसके व्यय को समेकित शिशु सुरक्षा इकाइयों (आईसीपीयू) फंड के तहत डाल दिया जाएगा। एक डीसीपीयू सदस्य दत्तक ग्रहण समिति का भी हिस्सा होगा।
बच्चों को गोद लेने को संचालित करने वाले नए व सरल ‘दिशा-निर्देश 2015’ की मुख्य विशेषताएं:-
- निवासी भारतीयों के पंजीकरण के लिए स्पष्ट और पारदर्शी प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेजों को ऑनलाइन अपलोड करने के लिए प्रावधान।
- पीएपी के पास विकल्प है कि वे गृह अध्ययन रिपोर्ट (एचएसआर) के संचालन एवं पसंदीदा राज्य के लिए भी अपनी पसंद की दत्तक ग्रहण एजेंसी का चयन कर सकते हैं।
III. पीएपी की गृह अध्ययन रिपोर्ट को सारा/डीसीपीयू के पैनल से जुड़ा सामाजिक कार्यकर्ता तैयार कर सकता है।
- पीएपी की वरिष्ठता को पंजीकरण की तिथि से बरकरार रखा जाएगा।
- ज्यादा उम्र के बच्चों को गोद लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विवाहित दंपत्ति की अधिकतम संयुक्त आयु को 105 वर्ष से बढ़ाकर 110 वर्ष कर दिया गया है।
- बच्चे और गोद लेने वाले माता पिताओं के बीच न्यूनतम 25 वर्ष के उम्र अंतराल की अनुशंसा की गई है।
VII. विशिष्ट जरूरतों वाले बच्चों, ज्यादा उम्र के बच्चों और सहोदर भाई-बहनों को गोद लेने के मामलो में अधिक स्पष्टता। ज्यादा उम्र के बच्चों और सहोदर भाई-बहनों को विशिष्ट जरूरतों वाले बच्चों के रूप में शामिल नहीं किया जाएगा।
VIII. सभी विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसियों (एसएए) को देश में एवं अंत: देशीय दत्तक ग्रहण के लिए अधिकृत किया जाएगा।
- देश के भीतर गोद लेने को बढ़ावा देने के लिए अंतरराज्य दत्तक ग्रहणों को सरल बनाया गया। अन्य राज्य से घरेलू दत्तक ग्रहण के लिए राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी (सारा) से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
- किसी बच्चे को निर्दिष्ट करने को लेकर प्राथमिकता के लिहाज से एनआरआई को निवासी भारतीयों के समतुल्य माना जाएगा।
- ओसीआई और भारत में रहने वाले विदेशी पीएपी के लिए प्रक्रिया एवं दस्तावेजीकरण में अधिक स्पष्टता।
XII. पीएपी के विभिन्न वर्गों के लिए गोद लेने का व्यय अनुशंसित।
XIII. अधिकृत विदेशी दत्तक ग्रहण एजेंसी (एएफएए) के पास पाँच वर्षों की अवधि के बाद नवीनीकरण का प्रावधान होगा।
XIV. सभी दत्तक ग्रहण (देश में या अंतरदेशीय) केयरिंग्स से संबंधित होंगे, केयरिंग्स से बाहर दत्तक ग्रहण की सख्त मनाही है।
नए सरल दिशानिर्देश महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की वेबसाइट “www.wcd.nic.in” और कारा की वेबसाइट “www.adoptionindia.nic.in.” पर उपलब्ध है।