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सरकार का उद्देश्य भारत में दलहनों का आवश्यकता से अधिक उत्पादन करना है: नरेन्द्र सिंह तोमर

देश-विदेश

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र विश्व दलहन दिवस समारोह का नई दिल्ली में उद्घाटन करते हुए, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में  दलहनों का उत्पादन बढ़ाने में सरकार की पहलों से सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं और  सरकार इसके उत्पादन के लिए किसानों को लाभकारी कीमत प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास क्षेत्रों के लिए 3 लाख करोड़ रु के बजटीय आवंटन से यह पता चलता है कि सरकार इस क्षेत्र पर मुख्य रूप से ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले कृषि क्षेत्र का बजट 27 हजार करोड़ रुपये था, किंतु सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किये हैं।

श्री तोमर ने कहा कि आवश्यकता से अधिक खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने के बाद, 2016-17 से ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशों का पालन करते हुए, सभी हितधारकों के संयुक्त प्रयासों से अपना देश दलहन की खेती में आत्मनिर्भर बन गया है। फसल वर्ष 2018-19 में भारत ने 22 मिलियन टन दलहन का उत्पादन किया और अगले वर्ष के लिए 26.30 मिलियन टन का लक्ष्य रखा गया है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी को डेढ़ गुना बढ़ा दिया है। वन नेशन वन मार्केट के दृष्टिकोण से ई-नाम को मजबूत किया गया है, जिसने किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए बेहतर और व्यापक बाजार क्षेत्र तक पहुंच प्रदान की है। पहले से ही 585 मंडियां ई-नाम पोर्टल से जुड़ चुकी हैं और जल्द ही अन्य 400 मंडियों को जोड़ा जाएगा। कृषि क्षेत्र से जुड़े लॉजिस्टिक्स को मजबूत करने के लिए, इस बजट में एक नई किसान रेल की घोषणा की गई है, जो कृषि और बागवानी दोनों क्षेत्रों को लाभान्वित करेगी। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र से फलों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, बजट में किसान उद्यान योजना की घोषणा की गई है।

विश्व दलहन दिवस कार्यक्रम के आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए नेफेड को बधाई देते हुए, श्री तोमर ने कहा कि सरकार ने पिछले पांच वर्षों में 63 लाख टन दलहन की खरीद की है, जिससे लाखों किसान लाभान्वित हुए हैं।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, नीति आयोग के सदस्य डॉ. रमेश चंद ने कहा कि दालों के उत्पादन को बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका देश के अनुसंधान एवं विकास द्वारा निभाई जानी है, क्योंकि मूल्य कारक की तुलना में उत्पादन में वृद्धि लाने में प्रौद्योगिकी एक प्रमुख इंजन है। हरित क्रांति के पश्चात, भारतीय आहार के बारे में चर्चा करते हुए, डॉ. चंद ने कहा कि आज देश में कई पोषण संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए हमें दालों की खेती और खपत के तौर-तरीकों पर ध्यान देने की जरूरत है।

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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2019 से प्रत्येक वर्ष के 10 फरवरी को “संयुक्त राष्ट्र विश्व दल दिवस” के रूप में नामित किया है। ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (जीपीसी) के सहयोग से नेफेड द्वारा इस वर्ष इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। त्रिपुरा के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री श्री मनोजकांति देब, ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन चेयरपर्सन सुश्री सिंडी ब्राउन, नेफेड के अध्यक्ष डॉ. बिजेन्द्र सिंह और विभिन्न देशों के प्रतिनिधि और केंद्र तथा राज्य सरकारों के अधिकारी और दलहन उत्पादन और बिक्री से जुड़े लोग बड़ी संख्या में इस कार्यक्रम में मौजूद थे।

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इस अवसर पर, श्री तोमर ने नेफेड दलहनों तथा नेफेड जैविक दलहनों का फैमिली पैक लॉन्च किया। नेफेड की 2 अक्टूबर, 1958 को स्थापना के समय से लेकर वर्तमान तक संपूर्ण विवरण सहित एक नेफेड कॉफी टेबल बुक, एक एफएओ प्रकाशन “दालों की वैश्विक अर्थव्यवस्था” को भी लॉन्च किया गया। उद्घाटन सत्र के बाद चार सत्र आयोजित किये गए, जो पोषण के लिए दालों की आपूर्ति श्रृंखला, दालों की आपूर्ति श्रृंखला में निवेश और मूल्य संवर्धन की आवश्यकता के साथ-साथ भारत पर जोर देने के साथ वैश्विक स्तर पर दालों का उत्पादन और खपत की आवश्यकता के लिए समर्पित थे। ।

नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (नेफेड) न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर पीएम आशा के तहत दलहन और तिलहन, कोपरा और कपास की खरीद के लिए भारत सरकार की केंद्रीय नोडल एजेंसी है।

फ्रांस में 1963 में स्थापित ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (जीपीसी) का मुख्यालय 2009 से दुबई में है। यह दालों के उत्पादन, उपभोग, जागरूकता और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो दाल का उत्पादन, उपभोग बढ़ाने, आपूर्ति संबंधी हर घटक जैसे उत्पादकों, व्यापारियों, सरकारी निकायों, व्यापार संवर्धन संस्थाओं, प्रोसेसर और उपभोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह 50 से अधिक देशों में दालों के व्यापार में लगे 26 राष्ट्रीय संघों और हजारों कॉरपोरेट्स का परिसंघ है।

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