सरकार ने राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) योजना को 31 मार्च, 2026 या अगली समीक्षा तक, जो भी पहले हो, जारी रखने की मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव में 12929.16 करोड़ रुपये का खर्च शामिल है। इसमें से केन्द्र का हिस्सा 8120.97 करोड़ रुपये और राज्यों का हिस्सा 4808.19 करोड़ रुपये का है। इस योजना के नए चरण के तहत लगभग 1600 परियोजनाओं को सहायता देने की परिकल्पना की गई है।
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) एक केन्द्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) है। यह व्यापक योजना समानता, पहुंच और उत्कृष्टता के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का वित्त पोषण करने के लिए मिशन मोड में काम कर रही है।
रूसा के नए चरण का लक्ष्य सुविधा से वंचित क्षेत्रों, अपेक्षाकृत कम सुविधा वाले क्षेत्रों; दूरदराज/ग्रामीण क्षेत्रों; कठिन भौगोलिक स्थिति वाले क्षेत्रों; वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित क्षेत्र; उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर); आकांक्षी जिलों, द्वितीय श्रेणी (टियर-2) के शहरों, कम जीईआर वाले क्षेत्रों आदि तक पहुंचना और सबसे अधिक वंचित क्षेत्रों एवं एसईडीजी को लाभ पहुंचाना है।
इस योजना के नए चरण को नई शिक्षा नीति की उन सिफारिशों और उद्देश्यों को लागू करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जोकि वर्तमान उच्च शिक्षा प्रणाली में कुछ महत्वपूर्ण बदलावों का सुझाव देते हैं ताकि इस प्रणाली में सुधार लाकर इसे फिर से सक्रिय किया जा सके और इस तरह समानता एवं समावेशन के साथ गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की सुविधा प्रदान की जा सके।
इस योजना के नए चरण के तहत लैंगिक समावेशन, समानता संबंधी पहल, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल उन्नयन के माध्यम से रोजगार पाने की संभावना बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों को सहायता प्रदान की जाएगी। राज्य सरकारों को नए मॉडल डिग्री कॉलेज बनाने के लिए भी सहयोग दिया जाएगा। बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान के लिए राज्य के विश्वविद्यालयों को सहायता दी जाएगी। भारतीय भाषाओं में सिखाने-सीखने सहित विभिन्न गतिविधियों के लिए मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से अनुदान प्रदान किया जाएगा।