नई दिल्ली: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए प्रति मेगावाट 30,000 रुपये की दर से लिए जाने वाले अनिवार्य पट्टा किराये में छूट देने का फैसला किया है।
एक समीक्षा बैठक में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिएप्रति मेगावाट 30,000 रुपये की दर से पट्टा किराया लेने की स्थिति में छूट देने का फैसला किया। श्री जावड़ेकर ने कहा कि उम्मीद है कि इस कदम से पवन ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश बढ़ेगा और सस्ती दरों पर पवन ऊर्जा प्रदान करने में मदद मिलेगी।
पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘सरकार नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का दोहन करके ऊर्जा की अधिकतम जरूरत को पूरा करना चाहती है ताकि एक निश्चित समय पर स्व्च्छ ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि विभिन्न नीतियों और नियमों में लगातार सुधार किया जा रहा है।’
इस समय वन भूमि पर पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने के लिए, वर्तमान प्रक्रिया के अनुसार प्रतिपूरक वनीकरण और निर्धारित वर्तमान मूल्य (एनपीवी) के लिए अनिवार्य शुल्क अदा करना आवश्यक है। अनिवार्य शुल्क के अलावा, पवन ऊर्जा कंपंनियों को 30,000 रुपये प्रति मेगावाट की दर से पट्टाकिराया की अतिरिक्त कीमत अदा करनी पड़ती थी। यह अतिरिक्त कीमत अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं जैसे सौर ऊर्जा और पनबिजली परियोजना के लिए अनिवार्य नहीं है। पवन ऊर्जा के जरिये स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के लिए अतिरिक्त कीमत से उपभोक्ता के स्तर पर बिजली की प्रति इकाई कीमत बढ़ जाती है।
इस तरह की परियोजनाओं को बढ़ावा देने से अंतराष्ट्रीय समझौतों की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता मजबूत होती है। वर्ष 2015 में पेरिस में की गई राष्ट्रीय प्रतिबद्धता में 2030 तक नवीकरणीय संसाधनों से 40 प्रतिशत बिजली बनाने की बात कही गई थी। इस समय भारत लक्ष्य से आगे निकल चुका है और यह सुनिश्चित करने के लिए सही रास्ते पर चल रहा है कि 2030 तक हमारी स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त हो।