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सरकार प्रदूषण में कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध

देश-विदेश

नई दिल्ली: सरकार ने प्रदूषण कम करने हेतू कदम उठाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी है और साथ ही सरकारी प्रयासों में जनता से भागीदारी करने को कहा है।

प्रदूषण निगरानी के किए जाने वाले विभिन्न उपायों पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने उद्योगो द्वारा पैदा अपशिष्ट और उत्सर्जन की अनुपालन स्थिति पर ऑनलाइन डेटा प्राप्त करने शुरू कर दिया है। श्री जावड़ेकर ने कहा कि 2, 800 उद्योगों में, 920 से अधिक उद्योगों में उत्सर्जन और अपशिष्ट पर 24 घंटे दिन-रात नजर रखने के लिए निगरानी उपकरणों को स्थापित किया गया है। श्री जावड़ेकर ने यह भी कहा कि 400 औद्योगिक इकाइयों में निकलने वाले तरल पदार्थ पर रोक यानि जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जैडएलडी) सुनिश्चित कर दिया है।

आसवनी, कपड़ा, चमड़े का कारख़ाना, रसायन, उर्वरक, कीटनाशक, रंग और दवा के क्षेत्र में नई औद्योगिक इकाइयों को समयबद्ध तरीके से जीरो लिक्विड डिस्चार्ज के लक्ष्य को प्राप्त करना होगा। औद्योगिक इकाइयों को सतत प्रवाह निगरानी उपकरण (सीइटीपी) के बजाए वेब-कैमरों को स्थापित करना होगा। सीइटीपी प्रवेश और निकास मार्ग दोनों में स्थापित उपकरणों के माध्यम से 24 घंटे दिन-रात नजर रखेगी।

श्री जावड़ेकर ने इस बात पर जोर दिया कि गंगा की सफाई एक सर्वोच्च प्राथमिकता है। गंगा नदी में अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाली 440 चमड़ा कारखानों सहित लगभग 630 उद्योग इकाईयां काम कर रही हैं। चमड़ा कारखानों के अपशिष्टों पर तीन प्रमुख कानपुर, बनथार और उन्नाव में सीइटीपी के अंतर्गत निगरानी रखी जा रही हैं। शेष 190 इकाइयों में से 110 इकाइयों में अनुपालनता लाई जा रही है। इन सीइटीपी का पूरी तरह से उन्नयन जीरो लिक्विड डिस्चार्ज के उद्देशेय प्राप्त करने की योजना के तहत किया गया है। केंद्र सरकार इन सीइटीपी लगाने के लिए 50% सब्सिडी प्रदान करता है जबकि शेष राशि राज्य सरकार और उद्योग के द्वारा पूरी की जाती है। कुछ गैर-अनुपालन वाली प्रदूषणकारी इकाइयों को बंद करने के लिए दिशा-निर्देश में जारी किए गए हैं। श्री जावड़ेकर ने कहा कि 64 इकाइयों को पिछले साल बंद कर दिया गया था, जिनमें से 24 इकाइयों को अपेक्षित प्रणाली की स्थापना के बाद काम शुरू करने की अनुमति दी गई ।

अधिक से अधिक 15 मिनट के लिए निर्धारित स्तर को पार करने पर इकाइयों को प्रदूषण फैलाने पर एसएमएस अलर्ट भेजने के लिए पायलट चरण शुरू किया गया है। उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) को भी वास्तविक समय के आधार पर विश्लेषण के लिए आवश्यक ऑकड़ो के सेट को संभालने के लिए कहा गया है।

श्री जावडेकर ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम मसौदा 2015, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम मसौदा 2015, ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम मसौदा 2015, बायोमेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन नियम मसौदा 2015 सहित चार अपशिष्ट प्रबंधन नियम, मसौदो के एक सेट पर जनता से सुझाव भी आमंत्रित किये हैं। ये ड्राफ्ट अपशिष्ट प्रबंधन नियम मंत्रालय की वेबसाइट पर नई विज्ञप्ति के लिंक www.moef.nic.in और www.moef.gov.in पर डाले गये है। सरकार ने फ्लाई ऐश उपयोगिता संशोधन अधिसूचना, 2015 के मसौदे पर भी जनता से सुझाव आमंत्रित किए हैं।

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