केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के स्कूल शिक्षा सचिवों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में कोविड महामारी के दौरान शिक्षा व्यवस्था के बेहतर प्रबन्धन के लिए अपनाए गए विभिन्न उपायों और विद्यार्थियों को शिक्षित करने के लिए स्कूलों में अब तक ऑनलाइन और ऑफलाइन अपनाई गई विभिन्न रणनीतियों और आगे के रास्ते पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोतरे, उच्च शिक्षा सचिव श्री अमित खरे, स्कूल शिक्षा और साक्षरता सचिव श्रीमती अनिता करवाल और शिक्षा मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रधान सचिवों, शिक्षा विभाग के सचिवों, और राज्य के अन्य अधिकारी जैसे राज्य परियोजना निदेशकों, निदेशक, एससीईआरटी सहित लगभग सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। कोरोना महामारी के दौरान स्कूल शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए आयोजित यह काफी महत्वपूर्ण बैठक है।
बैठक को संबोधित करते हुए केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि, कोविड-19 की वर्तमान स्थिति काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण है, लेकिन सरकार इस विद्यार्थियों की सुरक्षा और एकेडमिक कल्याण सुनिश्चित करने की दिशा में नए प्रयोगों के माध्यम से इस कठिन परिस्थिति को एक अवसर में बदलने के प्रतिबद्ध है।
शिक्षा मंत्री ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा पिछले वर्ष किए गए अनुकूल प्रयासों को लगातार जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया और इस महामारी के दौरान सबसे कमज़ोर और हाशिए पर मौजूद बच्चों तक पहुंचने के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग ने महामारी के दौरान विद्यार्थियों की शैक्षणिक गतिविधियों को नियमित रूप से जारी रखने के लिए वर्ष 2020-21 में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें पीएम ई-विद्या के अंतर्गत दीक्षा का विस्तार, स्वयं प्रभा टीवी चैनल के अंतर्गत डीटीएच टीवी चैनल, दीक्षा प्लेटफॉर्म पर शिक्षकों के लिए ऑनलाइन निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत, विद्यार्थियों की सामाजिक-भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मनोदर्पण का शुभारंभ आदि शामिल हैं। ऐसे विद्यार्थियों तक पहुंचने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं, जिनकी पहुँच डिजिटल शिक्षा तक नहीं है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विभिन्न हितधारकों को साथ मिलकर काम करने के महत्व पर भी बल दिया।
श्री पोखरियाल ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा रेखांकित किए गए सभी समस्याओं और सुझावों का भी उल्लेख किया। विद्यार्थियों के एकेडमिक कल्याण को सुनिश्चित करने की दिशा में राज्यों को हर संभव मदद प्रदान करने के लिए राज्यों ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। केन्द्रीय मंत्री ने शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय काम करने के लिए सभी राज्यों का धन्यवाद किया। शिक्षा मंत्री ने इस कठिन परिस्थिति में राज्यों को हर संभव मदद प्रदान करने का आश्वान दिया और कहा कि हम सब साथ मिलकर इस समस्या का सामना करेंगे।
इस बात पर बल देते हुए कि सरकार ने कोविड महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय शिक्षा प्रणाली में नए और नवाचार आधारित तरीकों को अपनाया है, केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोतरे ऑफलाइन और ऑनलाइन शिक्षण विधियों पर आधारित हाइब्रिड शिक्षा प्रदान करने के नए तरीकों की खोज करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि, इसके लिए में हमें नई शिक्षण पद्धतियों, गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सामग्री और मूल्यांकन मॉडल की आवश्यकता होगी। उन्होंने बल देते हुए कहा कि कोविड के बाद की दुनिया में छात्रों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण एक निर्णायक भूमिका निभाएगा, और इसलिए हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को छात्रों के अंदर आलोचनात्मक सोच, तार्किकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने एनईपी 2020 को प्रभावशाली तरीके से लागू करने और इसके वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी को एक टीम के रूप में मिलकर काम करने का आह्वान किया।
विभाग द्वारा 4 मई, 2021 को एक व्यापक कोविड प्रतिक्रिया दस्तावेज जारी किया गया है, जो अभिगमन, अवधारणा, निरंतर शिक्षण प्रक्रिया, क्षमता निर्माण और हितधारकों की संबद्धता से जुड़े सभी हितधारकों के लिए निर्धारित समयसीमा के अंदर एक विस्तृत कार्य योजना को रेखांकित करता है।
स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में मुख्य रूप से विचार करने के लिए चिन्हित किए गए प्रमुख बिन्दु हैं: स्कूल की पहुंच से बाहर मौजूद बच्चों की पहचान करना और उन्हें मुख्यधारा में लाकर उनका निरंतर नामांकन सुनिश्चित करना, अवधारणा और परिवर्तन; छात्रों की शैक्षणिक शिक्षा और संज्ञानात्मक विकास, छात्र मूल्यांकन और डाटा उपयोग सहित मिश्रित और गृह आधारित शिक्षण व्यवस्था पर विशेष फोकस के साथ क्षमता निर्माण, पोषण, सामाजिक-भावनात्मक समर्थन, डिजिटल शिक्षा और निगरानी, ट्रैकिंग और उपचार।
इसके अलावा, वर्तमान कोरोना महामारी की स्थिति को देखते हुए समग्र शिक्षा के निम्नलिखित बिन्दुओं को चिन्हित किया गया है, जिन पर विशेष और केंद्रित तरीके से ध्यान जाएगा:
- बच्चों को पूरक सामग्री उपलब्ध कराने के लिए शिक्षण विकास/समृद्धि कार्यक्रम
- छात्रों को पठन सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पुस्तकालय अनुदान
- स्कूल की पहुँच से बाहर वाले बच्चों और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण।
- एनआईओएस/ राज्य मुक्त विद्यालयों के माध्यम से 16 से 19 वर्ष के आयु वर्ग के स्कूल की पहुँच से बाहर वाले बच्चों के लिए सहायता।
- समुदायिक भागीदारी, माता-पिता का समर्थन सुनिश्चित करने के लिए एसएमसी प्रशिक्षण का उपयोग किया जाएगा।
- ईसीसीई और प्राथमिक स्तर पर शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराना
- पंचायत स्तर पर एक हेल्प डेस्क की स्थापना और जनसंचार माध्यमों के ज़रिए जागरूकता पैदा करना। इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर ऑनलाइन शिक्षण और सामग्री के प्रसार के लिए भी किया जा सकता है।
- चाइल्ड ट्रैकिंग फंड का उपयोग छात्रों का डाटा तैयार करने के लिए किया जा सकता है
- साफ-सफाई और स्वच्छता के लिए स्कूलों को विशेष अनुदान
- ऑनलाइन मोड में बचाव और सुरक्षा के बारे में जागरूकता और शिक्षकों को ऑनलाइन साधनों का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए शिक्षक अनुदान।
- ऑनलाइन शिक्षण सामग्री निर्माण और प्रसार के लिए अनुदान।
- दीक्षा प्लेटफॉर्म पर निष्ठा प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए शिक्षकों को अनुदान।
- शिक्षण निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए समग्र स्कूल अनुदान और इसका कम से कम 10% स्कूलों में पानी, साफ-सफाई और स्वच्छता के लिए उपयोग किया जाएगा।
विभाग ने वर्चुअल माध्यम से समग्र शिक्षा के तहत राज्यों की वार्षिक कार्य योजना और बजट के अनुमोदन के लिए परियोजना अनुमोदन बोर्ड की बैठकें आयोजित करना शुरू कर दिया है, ताकि राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को उपर्युक्त गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए समय पर मज़ूरी मिल सके।
इसके अलावा, समग्र शिक्षा के अंतर्गत राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को 5228 करोड़ रुपये की तदर्थ अनुदान राशि जारी की गई है, और राज्यों/ केन्द्र शासित प्रदेशों को विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही 2500 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे।
बैठक में सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने महामारी के दौरान शिक्षण पद्धति को जारी रखने के लिए अपनी-अपनी रणनीति के बारे में विस्तार से बताया। राज्यों ने बताया कि अधिकांश बच्चों को पाठ्यपुस्तकें मिल गई हैं और विद्यार्थियों को पूरक सामग्री प्रदान करने के लिए भी राज्यों ने ज़रूरी सामग्री तैयार कर ली है। हरियाणा और गुजरात ने स्कूल न खुलने की स्थिति में राज्य द्वारा अपनाए जा रहे मूल्यांकन के बारे में विवरण साझा किया। झारखंड, लद्दाख, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे कई राज्यों ने बताया कि उन्होंने सीखने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल ऐप विकसित किए हैं। सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने विद्यार्थी के सीखने की प्रक्रिया के दौरान माता-पिता और समाज की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने डिजिटल उपकरणों, दूरदर्शन और रेडियो आदि के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों को भी साझा किया।