देहरादून: शनिवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राजकीय बालिका निकेतन व नारी निकेतन, केदारपुरम में ‘‘पालना’’ योजना का शुभारम्भ किया। इसके तहत कतिपय कारणों से माता-पिता द्वारा त्याग दिए जाने वाले नवजात बच्चों की जिम्मेवारी राज्य सरकार लेगी। चुनिंदा स्थानों पर पालने रखे जाएंगें जहां अनचाहे बच्चों को छोड़ा जा सकता है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने नारी निकेतन की विक्षिप्त महिलाओं व बालिकाओं के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘‘नई जिंदगी’’ का भी शुभारम्भ किया।
‘पालना’’ की शुरूआत केदारपुरम के बालिका निकेतन से की गई है। यहां के मुख्य दरवाजे पर पालना रखा गया है और एक घंटी भी लगाई गई है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि देहरादून के चयनित स्थानों पर पालने रखे जाएंगे। इसके बाद इस योजना का विस्तार राज्य के अन्य स्थानों पर भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘‘हम चाहते हैं कि उŸाराखण्ड पर कन्या भू्रण हत्या का कलंक न लगे। हमारा अनुरोध है कि अनचाहे गर्भ को गिराने या नवजात बच्ची को कूड़े के ढे़र में फेंक देने की बजाय हमारे द्वारा रखे जा रहे पालनों में छोड़ दें। इनका पालन पोषण उŸाराखण्ड की बेटी के तौर किया जाएगा।’’
मुख्यमंत्री श्री रावत ने इसी मौके पर ‘नई जिंदगी’ कार्यक्रम का भी शुभारम्भ किया। कौशल विका प्रशिक्षण के इस कार्यक्रम के तहत नारी निकेतन की मानसिक रूप से विक्षिप्त बालिकाओं व महिलाओं को अपशिष्ट फूलों से पर्याव्रण के अनुकूल उत्पादों (धूपबŸाी) बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसिक तौश्र पर कमजोर बालक बालिकाओं में भी क्षमता होती है। हम प्रयास कर रहे हैं कि इनकी क्षमताओं का किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है। इनके द्वारा बनाए जाने वाले उत्पदों की बिक्री की व्यवस्था भी की जाएगी और बिक्री से जितनी आय प्राप्त होती है उतनी ही राशि राज्य सरकार द्वारा अनुदान के तौर पर दी जाएगी। इस राशि का प्रयोग इनके कल्याण पर ही किया जाएगा।