केन्द्रीय कोयला, खान एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि केन्द्र खनिज अन्वेषण में और अधिक निजी उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि ड्रोन और अन्य नवीनतम तकनीकों के उपयोग के माध्यम से खनिज अन्वेषण किया जाएगा और इससे पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
एनएमडीसी लिमिटेड, इस्पात मंत्रालय, खान मंत्रालय और फिक्की द्वारा आयोजित “भारतीय खनिज और धातु उद्योग – 2030 की ओर बदलाव के साथ आगे बढ़ना और विजन 2047” पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए, श्री जोशी ने कहा कि वाणिज्यिक कोयला खदान की नीलामी के माध्यम से पिछले वर्ष 25000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ है और ओडिशा राज्य राजस्व सृजन में पहले स्थान पर रहा है। मंत्री ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) से नए युग के खनिजों की खोज पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। खनन क्षेत्र में हाल ही में शुरू किए गए कुछ सुधारों का जिक्र करते हुए, श्री जोशी ने कहा कि आरक्षित (कैप्टिव) खदानों से कोयले का उत्पादन पिछले वित्त वर्ष के 89 मिलियन टन की तुलना में इस वर्ष 140 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है। मंत्री ने आगे कहा कि इस वित्त वर्ष में कुल कोयला उत्पादन 900 मिलियन टन होने की संभावना है।
मंत्री ने कहा कि खनिज अन्वेषण को और बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (एनएमईटी) को एक स्वायत्त निकाय बनाया गया है। श्री प्रल्हाद जोशी ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की अपनी सफल यात्रा को याद करते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया की तुलना में हमारा खनिज अन्वेषण कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि हाल की पहलों और अधिनियमों तथा नियमों में संशोधन के परिणामस्वरूप, पिछले सात वर्षों के दौरान 190 प्रमुख खनिज ब्लॉकों की नीलामी की गई है। वाणिज्यिक कोयला खदान की नीलामी को एक बड़ी सफलता बताते हुए मंत्री ने सार्वजनिक उपक्रमों से आवंटित कोयला ब्लॉकों में जल्द से जल्द उत्पादन शुरू करने का आग्रह किया, अन्यथा इसे फिर से नीलामी के लिए मंत्रालय को सौंप दिया जा सकता है।