पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा आवास व शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने आज खोजे गए छोटे क्षेत्र के तीसरे दौर की बोली (डीएसएफ बिड राउंड-III) का शुभारंभ किया। इस अवसर पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली, सचिव एमओपीएनजी श्री तरुण कपूर, अतिरिक्त सचिव एमओपीएनजी श्री अमर नाथ, डीजी, हाईड्रोकार्बन श्री एससीएल दास उपस्थित थे। हाइब्रिड मोड में आयोजित इस कार्यक्रम में भारत और विदेश से कई निवेशकों ने हिस्सा लिया।
बिड राउंड के तहत 11 बेसिनों/स्थानों में 32 अनुबंध क्षेत्रों में 75 खोजे गए क्षेत्रों की पेशकश की जा रही है। अनुमानित हाइड्रोकार्बन लगभग 232 एमएमटीओई तेल और गैस की पेशकश की जा रही है।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि ऊर्जा भारत के विकास पथ के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ‘निवेशक सम्मेलन: डीएसएफ और एचईएलपी के तहत संभावनाएं’ विषय पर अपने संबोधन में, उन्होंने कहा कि भारत में ऊर्जा की काफी जरूरत है और आय व प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत बढ़ने के साथ ही आने वाले दशकों में वैश्विक ऊर्जा की मांग का यह एक प्रमुख केंद्र बन सकता है।
श्री पुरी ने कहा कि भारत विकास पथ पर उड़ान भरने को तैयार है। जैसे-जैसे शहरीकरण बढ़ेगा, आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी और ऊर्जा की मांग बढ़ेगी, वैसे ही भारत की प्रति व्यक्ति खपत भी बढ़ेगी, जो वैश्विक ऊर्जा की एक तिहाई है। ऊर्जा क्षेत्र आगे और रफ्तार पकड़ेगा। उन्होंने कहा कि तेल और गैस हमारी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।
श्री पुरी ने कहा कि निवेशकों के लिए यह फायदे की स्थिति है क्योंकि मांग को लेकर कोई संदेह नहीं है। सरकार निवेशकों के साथ साझेदारी करने और समस्याओं को दूर करने के लिए कदम उठाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार में विभिन्न क्षेत्रों के राष्ट्रीय मुद्दों को संपूर्ण सरकार के दृष्टिकोण के तहत निपटाया जाता है। मंत्री ने निवेशकों को पूर्ण समर्थन और सिस्टम से पूरा सहयोग मिलने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि भारत में निवेशकों के अनुकूल माहौल है, कानून का शासन और लोकतंत्र, निवेशकों को व्यावसायिक रूप से ठोस कदम उठाने में सहूलियत प्रदान करता है।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने लगातार नीतिगत सुधारों और परियोजनाओं के जरिए निवेशक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया है जिसमें क्षेत्र के परिदृश्य को बदलने की क्षमता है। इनमें से कुछ हैं; एचईएलपी और ओएएलपी की सफल शुरुआत, निवेशकों के लिए पूरे तलछटी बेसिन क्षेत्र को खोलना, राष्ट्रीय भूकंपीय कार्यक्रम।
श्री रामेश्वर तेली ने कहा कि 2014 के बाद से, ई एंड पी क्षेत्र में कई नीतिगत पहल की गई हैं जिससे नियामकीय बोझ कम हुआ है और इस क्षेत्र में निवेश बढ़ा है। उन्होंने कहा कि पहले दो दौर की बोली सफल रही और इस बार भी अच्छी प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है। श्री तेली ने कहा कि सरकार पूर्वोत्तर के समग्र विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और मौजूदा राउंड में 3 अनुबंध क्षेत्र यहीं से हैं।
श्री तरुण कपूर ने कहा कि भारतीय अपस्ट्रीम क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं हैं और देश निजी क्षेत्र और विदेश से उत्साहपूर्ण भागीदारी चाहता है। उन्होंने कहा कि डीएसएफ राउंड-III के बाद ओएएलपी बिड राउंड VI और सीबीएम के टेंडर जल्द निकलेंगे। श्री कपूर ने कहा कि यह उत्साहजनक है कि इससे पहले के दौर के डीएसएफ से उत्पादन शुरू हो गया है और अगले साल और भी होगा।
डीएसएफ नीति की मुख्य विशेषताएं हैं; राजस्व साझाकरण मॉडल, परंपरागत और गैर-परंपरागत हाइड्रोकार्बन के लिए एकल लाइसेंस, कोई अग्रिम हस्ताक्षर बोनस नहीं, एचईएलपी के अनुरूप रॉयल्टी दर में कमी, कोई उपकर नहीं, उत्पादित गैस के लिए पूर्ण विपणन और मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता, पूरे अनुबंध अवधि में अन्वेषण की अनुमति और विदेशी कंपनियों/संयुक्त उद्यमों से 100% भागीदारी। इससे पहले के दो दौर में 12 नई कंपनियों सहित 27 कंपनियों से 54 अनुबंध किए गए थे।