मुंबई: बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से परोपकार के रूप में पूरे राज्य के सिविल अस्पतालों में मदद के लिए निजी डॉक्टरों को प्रोत्साहित करने के लिए कहा है ताकि गरीब मरीजों को लाभ मिल सके. आदेश में कहा गया है कि मालेगांव सिविल अस्पताल (नासिक जिले में) में सेवा करने वाले ऐसे डॉक्टरों को तैयार करने के लिए सरकार की कवायद को एक ‘मॉडल’ के रूप में अन्य जिलों में भी लागू किया जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति एन एच पाटिल और जी एस कुलकर्णी की एक खंडपीठ मालेगांव शहर के एक निवासी की पिछले सप्ताह दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और कई सालों से मालेगांव सिविक अस्पताल में डॉक्टरों और सहायक चिकित्सा कर्मी की भर्ती में स्थानीय नगर निकाय की ओर से निष्क्रियता का आरोप लगाया गया है.
याचिकाकर्ता राकेश भामरे ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी का हवाला देते हुये अदालत को बताया कि अधिकारी 2012 से मंजूरी देने में और ऐसी रिक्तियों को भरने में विफल रहे हैं. इस महीने की शुरूआत में महाधिवक्ता आशुतोष कुम्भकोनी ने अदालत में एक रिपोर्ट पेश की थी जिसमें इस साल जून में मालेगांव सिविल अस्पताल से जुड़े चिकित्सा विशेषज्ञों और निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों के काम का ब्योरा दिया गया था.