लखनऊ: राज्य सरकार ने अच्छा कार्य करने वाले बैंकों को प्रोत्साहन देने के लिये ‘प्रोत्साहन नीति’ के तहत मानक तैयार किये हैं। मानकों को पूरा करने वाले बैंकों में ही आवश्यकतानुसार वित्तीय नियमों के तहत शासकीय धनराशि रखी जाएगी।
यह जानकारी देते हुए आज यहां राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश का ऋण जमानुपात भारतीय रिज़र्व बैंक के मानक 60 प्रतिशत से कम है तथा वार्षिक ऋण योजना 2013-14 की प्रगति भी शत्-प्रतिशत नहीं रही है, जबकि बैंकों के पास पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है, जिससे स्पष्ट है कि बैंकों द्वारा प्रदेश सरकार द्वारा संचालित विभिन्न महत्वपूर्ण एवं जनहितकारी योजनाओं में पर्याप्त वित्त पोषण नहीं किया जा रहा है, जिससे योजनाओं को अपेक्षित स्तर की सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही है।
इस स्थिति के मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि वित्तीय वर्ष 2013-14 में ऋण जमानुपात की स्थिति, वार्षिक ऋण योजना (प्राथमिकता क्षेत्र) के लक्ष्यों की प्राप्ति, फसली ऋण वितरण, लघु उद्यम तथा कामधेनु योजना, मिनी कामधेनु, सघन मिनी डेरी परियोजना, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन योजना, राज्य सरकार की अन्य महत्वाकांक्षी योजनाओं में लक्ष्य के सापेक्ष उपलब्धि, काॅर्पाेरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (बैंक द्वारा कुल अर्जित लाभ का 02 प्रतिशत) तथा मुख्यमंत्री बैंकिंग एवं बीमा हेल्पलाइन पर दर्ज होने वाली जन शिकायतों का त्वरित निस्तारण करते हुए अच्छा कार्य करने वाले बैंकों को प्रोत्साहित किया जाए।
प्रवक्ता ने बताया कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये ‘प्रोत्साहन नीति’ के मानक तैयार किये गये हैं, जिसके अन्तर्गत प्रदेश के विकास योजनाओं में मानक पूरा करने वाले बैंकों में ही आवश्यकतानुसार वित्तीय नियमों के अन्तर्गत शासकीय धनराशि रखी जायेगी।
प्रवक्ता ने बताया कि प्रोत्साहन नीति के मानदण्डों के आधार पर वित्तीय वर्ष 2014-15 में बैंकों की उपलब्धि का आकलन किया जाएगा। कम उपलब्धि वाले बैंकों को प्रथम वर्ष में तदनुसार अवगत कराया जाएगा तथा जिन बैंकों की उपलब्धि अत्यन्त खराब होगी उनमें राज्य सरकार से प्राप्त किसी भी प्रकार की धनराशि को अगले आदेश तक जमा नहीं किया जाएगा और पूर्व में रखी गयी धनराशि को ऐसे बैंकों से निकालकर निर्धारित मानदण्ड पूरे करने वाले अन्य बैंकों में रखा जाएगा ताकि प्रदेश के विकास में योगदान करने वाले बैंकों को प्रोत्साहन मिल सके।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रोत्साहन नीति में यह आवश्यक होगा कि अर्द्धवार्षिक आधार पर बैंकों के ऋण जमानुपात अथवा अन्य मानदण्डों का आकलन कर प्रोत्साहन नीति के अन्तर्गत बैंकों का चयन किया जाए। इसके लिए महानिदेशक, संस्थागत वित्त, उत्तर प्रदेश द्वारा बैंकों के कार्याें की समीक्षा करते हुए एक तालिका प्रदेश के समस्त विभागों, जनपदों, मण्डलों, निकायों तथा प्राधिकरणों के लिए जारी की जाएगी, जिसमें कार्यरत बैंकों द्वारा निर्धारित मानदण्डों के आधार पर प्राप्त अंकों के अनुसार ए, बी एवं सी श्रेणी निर्धारित की जाएगी। जो बैंक न्यूनतम अंक से कम अंक प्राप्त करेंगे उन्हें डी श्रेणी में डाला जाएगा तथा ऐसे बैंकों की सूची पृथक से जारी की जाएगी। डी श्रेणी में रखे गए बैंकों में शासकीय जमा रखना निषेध किया जाएगा।
ए, बी एवं सी श्रेणी में रखे गए बैंकों में शासकीय जमा रखते समय ए श्रेणी के बैंकों को बी एवं सी श्रेणी के बैंकों के सापेक्ष तथा बी श्रेणी के बैंकों को सी श्रेणी के सापेक्ष वरीयता दी जाएगी, किन्तु शासकीय जमाओं के सापेक्ष प्राप्त होने वाले ब्याज का निर्धारण प्रशासकीय विभाग द्वारा प्रतिस्पर्धात्मक आधार पर किया जाएगा तथा इसका विवरण महानिदेशक, संस्थागत वित्त उत्तर प्रदेश को भी उपलब्ध कराया जाएगा, जिसकी समीक्षा विभागों से सूचना प्राप्त होने के उपरान्त महानिदेशक, संस्थागत वित्त द्वारा की जाएगी।
प्रवक्ता ने बताया कि संस्थागत वित्त विभाग/संस्थागत महानिदेशालय द्वारा बैंकों की अर्द्धवार्षिक समीक्षा करते समय इस तथ्य को भी ध्यान में रखा जाएगा कि प्रश्नगत अवधि में जिन बैंकों का प्रदर्शन पूर्व की तुलना में अच्छा हो जाता है उन्हें प्राथमिकता प्रदान की जाए एवं खराब प्रदर्शन करने वाले बैंक सरकारी जमा रखने हेतु पात्र नहीं होंगे। बैंकों की समीक्षा के उपरान्त बैंकों को प्राथमिकता देने अथवा पात्रता निर्धारित करने का अधिकार संस्थागत वित्त विभाग को होगा तथा समीक्षा के आधार पर जनहित में समय-समय पर अच्छा एवं खराब प्रदर्शन करने वाले बैंकों की पात्रता सूची संस्थागत वित्त महानिदेशालय द्वारा जारी की जाएगी।
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि प्रदेश के विभिन्न विभागों द्वारा चलायी जा रही बीमा योजनाओं के पर्यवेक्षण का दायित्व संस्थागत वित्त, वाह्य सहायतित परियोजना महानिदेशालय का होगा। राज्य सरकार की बीमा योजनाओं का सही ढंग से संचालन न करने वाली बीमा कम्पनियों की सूची सम्बन्धित विभाग महानिदेशक, संस्थागत वित्त के माध्यम से प्रमुख सचिव संस्थागत वित्त को उपलब्ध कराएंगे, जो कि इसे प्रभावी कार्यवाही हेतु प्रेषित कराएंगे।