नई दिल्ली: केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रोद्योगिकी, संचार तथा विधि और न्याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत सरकार सामरिक महत्व के दूर दराज वाले क्षेत्रों तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर प्रयास कर रही है ताकि यहां जीवन सुगम बनाया जा सके और उन लोगों के लिए बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके जो इन क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
श्री प्रसाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1,224 करोड़ रुपये की लागत से चेन्नई और अंडमान निकोबार के बीच 2300 किलोमीटर की एक पनडुब्बी ऑप्टिकल फाइबर केबल के उद्घाटन के बाद आज मीडिया को संबोधित कर रहे थे।
श्री प्रसाद ने दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न परियोजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि रणनीतिक, दूरस्थ और सीमावर्ती क्षेत्रों में 354 गांवों में ऐसी कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए एक निविदा को अंतिम रूप दिया गया है और बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात के अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के 144 गांवों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में इसे लागू किया जा रहा है। इन गांवों को रणनीतिक रूप से मोबाइल पर सीमा क्षेत्र कनेक्टिविटी को कवर करने के लिए चुना गया है। इन गांवों में चालू होने के बाद, मोबाइल कनेक्टिविटी के लिए जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में कोई भी ऐसा गाँव नहीं होगा जहां मोमाइल कनेक्टिवविटी उपलब्ध नहीं होगी। सेना, बीआरओ, बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी आदि के लिए 1347 साइटों पर उपग्रह आधारित डीएसपीटी (डिजिटल सैटेलाइट फोन टर्मिनल) भी प्रदान किए जा रहे हैं, जिनमें से 183 साइटें पहले से ही चालू हैं और शेष चालू होने की प्रक्रिया में हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि दूरसंचार विभाग बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के 24 आकांक्षी जिलों के गाँवों में मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने पर काम कर रहा है और छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, आंध्र प्रदेश में बचे हुए 44 आकांक्षी जिलों के 7287 के गांवों को भी कवर किया जाएगा जिसके लिए सरकार की मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया चल रही है।