नई दिल्ली: सरकार पेट्रोलियम और गैस क्षेत्र में खोज के संबंध में अनेक विशिष्ट सिफारिशें करने वाली उच्च स्तरीय अंतर मंत्रालय समिति की सिफारिशें लागू करने की प्रक्रिया में है। आज संसद में अंतरिम बजट 2019-20 प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय वित्त, कॉरपोरेट मामले, रेल और कोयला मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस पर भारत की आयात पर निर्भरता सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय रही है। हालांकि हमने बायोईंधन और वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग के माध्यम से बढ़ती हुई मांग को कम करने के लिए अनेक प्रयास किये हैं। फिर भी आयात कम करने के लिए हाइड्रोकार्बन उत्पादन को बढ़ाए जाने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है। समिति की सिफारिशों में खोज के लिए बोली की प्रणाली में बदलाव लाना और श्रेणी 2 और श्रेणी 3 बेसिनों के खोज कार्यक्रमों के लिए राजस्व साझा करने में परिवर्तन लाना शामिल है।
उज्ज्वला योजना के तहत कनेक्शन
अंतरिम बजट के अनुसार उज्ज्वला योजना के तहत 6 करोड़ से भी अधिक कनेक्शन दिए जा चुके हैं। श्री गोयल ने कहा कि अपने चुनाव घोषणा पत्र में हमने यह वादा किया था कि हम स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराकर ग्रामीण भारत की महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता में बदलाव लायेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक गृहणी के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए यह भी जरूरी है कि महिला अपने परिवार के पोषण के लिए खाना पकाते समय आंसू न बहाए। हमारी सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत 8 करोड़ मुफ्त गैस कनेक्शन देने का कार्यक्रम निश्चित किया था। अभी तक 6 करोड़ से अधिक कनेक्शन दिये जा चुके हैं और बकाया मुफ्त कनेक्शन अगले साल तक दे दिये जायेंगे। उज्ज्वला हमारे सरकारी कार्यक्रम की एक महत्वपूर्ण सफलता की कहानी है। यह जिम्मेदार और समर्पित नेतृत्व के साहसिक लेकिन क्रियात्मक विजन को परिभाषित करती है।
पेट्रोलियम सब्सिडी
वर्ष 2019-20 बजट अनुमानों में 37,478 करोड़ रुपये का अंतरिम बजट पेट्रोलियम सब्सिडी के रूप में उपलब्ध कराया गया है। जबकि 2018-19 के बजट अनुमानों में 24,933 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए थे।
पीओएल का आयात
बजट दस्तावेजों के साथ एफआरबीएम अधिनियम के तहत दिए गए विवरणों में बताया गया है कि पेट्रोलियम, तेल और लुब्रिकेंट्स (पीओएल) का आयात अप्रैल-दिसंबर, 2018 की अवधि में 42.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी के कारण 108.1 बिलियन अमेरीकी डॉलर का रहा जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान यह आयात 75.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का रहा था। ऐसा मुख्य रूप से कच्चे तेल के अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों में बढ़ोतरी के कारण हुआ।
12 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने स्वैच्छिक रूप से पीडीएस मिट्टी का तेल आवंटन छोड़ा
12 राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (कर्नाटक, हरियाणा,तेलंगाना, नगालैंड, चंडीगढ़, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, गोवा, पुद्दुचेरी, राजस्थान और महाराष्ट्र) ने केरोसिन योजना में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटीके) के तहत अपनी सार्वजनिक वितरण प्रणाली में मिट्टी के तेल के आवंटन को स्वैच्छिक रूप से छोड़ दिया है। आज की तारीख के अनुसार 8 राज्य सरकारों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही अपने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के मिट्टी तेल आवंटन को छोड़ दिया है। वर्ष 2018-19 में (पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही में) सार्वजनिक वितरण प्रणाली में मिट्टी के तेल आवंटन को पिछले वर्ष 2017-18 के समान अवधि के स्तर पर ही बनाए रखा गया है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिट्टी के तेल का कोटा स्वैच्छिक रूप से छोड़ने वाले राज्यों को मिट्टी के तेल का आवंटन नहीं किया गया है।