लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उद्यान विभाग द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति के किसानों के लिए औद्यानिक विकास कार्यक्रमों/योजना के लिए अनुदान की सुविधा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। योजना के अंतर्गत विभिन्न औद्यानिक फसलों के उत्पादन हेतु निर्धारित इकाई लागत के सापेक्ष कद्दू वर्गीय सब्जियों एवं संकर सिमला मिर्च पर 75 प्रतिशत, मशाला क्षेत्र विस्तार, पुष्प क्षेत्र विस्तार, आई.पी.एम. तथा मौन वंश/मौन वितरण पर 90 प्रतिशत अनुदान प्रदान करने का प्राविधान किया गया है।
उद्यान निदेशक श्री एस.वी. शर्मा ने यह जानकारी देते हुए आज यहां बताया कि अनुसूचित जाति/जनजाति के किसानों को औद्यानिक फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से अनुदान की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में 160 हे0 क्षेत्र में कद्दू वर्गीय, 115 हे0 क्षेत्र संकर सिमला मिर्च, 163 हे0 क्षेत्र में मशाला मिर्च, 105 हे0 क्षेत्र में संकर धनिया, 85 हे0 क्षेत्र में लहसुन, 22 हे0 क्षेत्र गुलाब कटिंग, 75 हे0 क्षेत्र में गेंदा की खेती, 190 हे0 क्षेत्र में इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेन्ट तथा 220 मौन वंश/मौन ग्रह वितरण के कार्यक्रम नियोजित किये गये हैं। इसके लिए कार्यक्रमवार इकाई लागत का 75 से 90 प्रतिशत तक राज सहायता अनुमन्य की गई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में अनुदान हेतु 294.18 लाख रुपये की धनराशि अवमुक्त की गई है। इस कार्यक्रम के लिए लाभार्थियों के आॅनलाइन पंजीकरण का कार्य किया जा रहा है।
श्री शर्मा ने बताया कि अनुसूचित जाति/जनजाति के किसान उद्यान विभाग के पोर्टलूूूण्नचंहतपबनसजनतमण्बवउ पर आॅनलाइन पंजीकरण कराकर योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। पंजीकरण के लिए किसानों की पहचान हेतु आधार कार्ड, भूमि की पहचान हेतु भू-अभिलेख तथा बैंक खाते की पहचान के लिए पासबुक के पहले पेज की फोटोकाॅपी तथा अनुसूचित जाति/जनजाति का कृषक होने के संबंध में शपथ पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए प्रथम आवक-प्रथम पावक के सिद्धांत पर उपयुक्तता के अनुसार लाभार्थियों का चयन सुनिश्चित किया जायेगा। रोपण सामग्री और अन्य आवश्यक औद्यानिक तथा कृषि निवेशों पर देय अनुदान प्रदेश के पंजीकृत/चयनित किसानों को डीबीटी के माध्यम से किसानों के बैंक खाते में सीधे हस्तांतरित की जायगी। उन्होंने इस वर्ग के किसानों से अपील की है कि इस योजना का फायदा प्राप्त करने के लिए संबंधित जिले के जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर अपना पंजीकरण कराना सुनिश्चित करें, ताकि योजना का लाभ अनुमन्य किया जा सके।