देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सचिवालय में फूड एंड एग्रीकल्चर आॅरगेनाईजेशन द्वारा ‘‘ग्रीन एग्रीकल्चर-ट्रांसफोर्मिंग इंडियन एग्रीकल्चर फाॅर ग्लोबल एनवायरमेंटल बेनेफिट्स एंड द कन्जर्वेशन आॅफ क्रिटीकल एग्रीकल्चर एंड फारेस्ट बायोडाईवरसिटी इन डिफरेंट लेंडस्केप’’ पर आयोजित कार्यशाला का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि खेती की उत्पादकता को बढ़ाना व जमीन के मौलिक गुणों को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। खुशी की बात है कि एफएओ इस पर गम्भीरता से विचार कर रहा है और समाधान निकालने का प्रयास कर रहा है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उŸाराखण्ड में वनों की अधिकता है। यहां की खेती का बड़ा हिस्सा जैविक खेती है। जहां आधुनिक खेती की जा रही है वहां भी जागरूकता आई है। भारत सरकार के सहयोग से गंगा व यमुना के किनारों पर खेती को जैविक किया जा सके। हम वृक्षारोपण व वर्षा जल के संरक्षण के लिए बोनस दे रहे हैं। राज्य के अपने सीमिति संसाधन हैं। पर्यावरण में उŸाराखण्ड के योगदान को देखते हुए केंद्र सरकार को राज्य को ग्रीन स्टेट के तौर पर लेते हुए संसाधन उपलब्ध करवाने चाहिए।
इस अवसर पर भारत में एफएओ के भारत में प्रतिनिधि श्याम खाड़का, अपर सचिव ज्योति यादव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।