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जीटीसी हैलीपेड पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत

GTC helipad to welcome the Prime Minister, Chief Minister Harish Rawat
उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत ने मंगलवार को देहरादून पहुंचने पर जीटीसी हैलीपेड पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत किया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को विमुद्रीकरण से राज्य को हो रहे नुकसान व केंद्र सरकार से विभिन्न क्षेत्रों के लिए अपेक्षित फंड के संबंध में ज्ञापन सौंपा।
विमुद्रीकरण के संबंध में ज्ञापन
विमुद्रीकरण से राज्य की आम जनता को हो रही परेशानी व अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे प्रभावों के संबंध में सौंपे गये ज्ञापन में मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड एक छोटा पर्वतीय राज्य है तथा इसके अधिकतर क्षेत्र दूरस्थ एवं पर्वतीय है। उत्तराखण्ड राज्य एक पर्यावरणीय संवेदनशील राज्य भी है जिसकी अर्थव्यवस्था पर्यटन एवं सम्बन्धित गतिविधियों पर आधारित है। राज्य के पास बहुत कम संसाधन है। मुख्यरूप से पर्यटन एवं लघु कृषि गतिविधियां ही इसकी जीवन रेखाएं है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य में करंेसी नोटों की भारी कमी हो गई है जिससे राज्य के लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे है। बैंक शाखाओं एवं एटीएम के आगे लम्बी लम्बी कतारे लगी हुई है। करेंसी नोटों की अपर्याप्त मात्रा के कारण वृद्ध जन एवं विकलांग लोग सबसे अधिक प्रभावित है। साथ ही यह समय विवाह आदि का भी है जिसके कारण नकदी की अनुपलब्धता के कारण लोगों को विवाह समारोह सम्पन्न करवाने में परेशानी हो रही है। इसलिए राज्य में नकदी की मात्रा को पर्याप्त मात्रा में तुरन्त बढ़ाये जाने के लिए संबंधित को निर्देशित किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि भारत सरकार द्वारा सहकारी बैंको को 500 व 100 के विमुद्रीकृत नोटों को स्वीकार करने की मनाही कर दी गई है जिसके कारण जिन किसानों के पास खरीफ की फसलों के बाद नकदी थी, वह उस नकदी को अपने बैंक खातों में जमा नही करवा पा रहे है। उनमें से बहुत से किसानों के तो सहकारी बैंक के अलावा किसी अन्य बैंक में भी बैंक खाता नहीं है। इसके अलावा रबी की फसल की बुवाई का मौसम आरम्भ हो चुका है तथा किसान बीज, खाद व ऋण आदि भी सहकारी क्षेत्र से प्राप्त नहीं कर पा रहे है। इसके कारण रबी की फसल की बुवाई बुरी तरह से प्रभावित होगी। जिसके कारण कृषि का कम उत्पादन होगा तथा किसानों की आय भी बहुत कम होगी परिणामस्वरूप खाद्य मुद्रास्फिीति बहुत अधिक बढ़ जाएगी। ऐसी स्थिति में सहकारी बैंकों मेें 500 एव 1000 नोटों को जमा जाने की स्वीकृति दी जानी चाहिए। सहकारी बैंकों में नकदी की कमी से इनमें उपभोक्ताओं द्वारा आहरण प्रभावित होने से सहकारी बैंकिंग क्षेत्र चरमरा सकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि बहुत से गैर बैंकिंग वितीय संस्थानों एव एमएफआई ने हमारे गांवो के कमजोर वर्गो को ऋण प्रदान किए है। अब वह अपने शेष भुगतान की मांग कर रहे है लेकिन अर्थव्यवस्था में इस समय मुद्रा तरलता में कमी हो गई है तथा लोग अपने भुगतान किश्ते जमा नही कर पा रहे है। इस कारण ऋण लेने वालों की विश्वसनीयता पर प्रभाव पड़ा है। इस कारण से उक्त वितीय संस्थाओं के भुगतान संतुलन पर भी बुरा असर पड़ा है। अतः इस प्रकार के ऋण तथा ब्याज को नवंबर व दिसम्बर माह के लिए माफ किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि नकदी की कमी के कारण राज्य में वस्तुओं, सेवाओं व सम्पतियों की खरीद -ब्रिकी में भारी कमी आई है। निजी क्षेत्र द्वारा कुल उपभोग एव निवेश में कुल 50 प्रतिशत कमी आई है। नकदी की कमी के कारण लोग नकदी को अपने पास जमा कर रहे है तथा इसे खर्च नहीं करना चाहते जिसके कारण व्यापारिक लेन देन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। व्यापारिक समुदाय द्वारा नए ऋण नहीं लिए जाने से निवेश की निराशाजनक स्थिति बन रही है। इससे राज्य की जीडीपी में गिरावट आने की पूरी सम्भावना है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि नकदी तरलता के कारण ब्रिकी, वस्तुओं के विनिमय, सम्पतियों, सेवाओं तथा पर्यटन व सम्बन्धित क्षेत्रों की गतिविधियो में भारी गिरावट आई है। परिणामस्वरूप राजस्व एवं वैट कलेक्शन में भी गिरावट आई है। साथ ही एक्साइज, स्टेम्प डयूटी, रजिस्ट्रेशन फीस आदि में भी कमी आई है। उक्त कारणों से राज्य की सामान्य कार्य करने की क्षमता विशेषकर पूंजी निवेश एवं विकासात्मक व्यय की क्षमता प्रभावित हो रही है। भारत सरकार द्वारा बहुत से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर, विमुद्रीकरण योजना द्वारा प्राप्त किये जायेगे। इसका लाभ केंद्र द्वारा राज्य सरकारों के साथ साझा करना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि विभिन्न पर्यावरणीय बाधाओं के चलते अन्य राज्यों के मुकाबले उत्तराखण्ड में विभिन्न विकासात्मक एव पर्यावरणीय गतिविधियाॅं संचालित नहीं हो पा रही है। विमुद्रीकरण के कारण राज्य और भी बुरी तरह प्रभावित होगा। प्रधानमंत्री अवगत हैं कि 14 वे वित्त आयोग की सिफारिशों से राज्य को पहले ही नुकसान हो चुका है।

केंद्र सरकार से विभिन्न क्षेत्रों के लिए अपेक्षित सहयोग के संबंध में
  मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत ने मंगलवार को जीटीसी हैलीपेड पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को विभिन्न क्षेत्रों के लिए केन्द्र सरकार से अपेक्षित फंड के संबंध में ज्ञापन सौंपा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने अपने ज्ञापन में कहा कि उत्तराखण्ड सीमित संसाधनों वाला एक छोटा राज्य है। राज्य की सीमाएं चीन व नेपाल देशो से मिलती है तथा 70 प्रतिशत से अधिक हिस्सा विषम पर्वतीय व वनाच्छादित है। राज्य सरकार जनता की अपेक्षाओं को केन्द्र सरकार की सहायता एवं समर्थन के बिना पूरा नहीं कर सकती। विगत में वित्तीय हस्तांतरण प्रक्रिया में किए गए परिवर्तन के कारण राज्य की अर्थव्यस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है तथा केन्द्रीय वित्त मंत्री ने भी इस तथ्य को स्वीकारा है कि राज्य को वार्षिक 1700 करोड रूपए़ की हानि हुई है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि आपदा पुर्ननिमार्ण पैकेज के अन्र्तगत उत्तराखण्ड पर कैबिनेट कमेटी द्वारा विशेष पुनर्निर्माण पैकेज अनुमोदित किया गया था। सिचांई विभाग की सीएसएसआर के अंतर्गत सिंचाई विभाग की 54 योजनाओं अनुमोदित लागत 657.79 करोड़ रूपये में से रूपये 380.94 करोड़ की धनराशि अभी भी केन्द्र सरकार से जारी की जानी है। सीएसएस-एफएमपी के अंतर्गत सिंचाई विभाग की ही 17 योजनाओं अनुमोदित लागत रूपये 265.83 करोड़ क्रियान्वयन में हैं। इनमें भी केन्द्र सरकार से 120 करोड़ रूपये अभी भी अवमुक्त किये जाने शेष है।
इसके साथ ही वर्ष 2016-17 में एसपीए-आर के अन्तर्गत 323 करोड़ रूपये भी केन्द्र सरकार द्वारा जारी किये जाने है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रधानमंत्री से उक्त अवशेष राशि शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया। साथ ही उन्होंने अनुरोध किया कि उक्त परियोजनाओं को पूर्ण करवाने की तिथि वर्ष 2020 तक बढ़ायी जाय।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने अपने ज्ञापन में बताया है कि एनआरडीडब्लूपी द्वारा बजट समर्थन में 50 फीसदी की कटौति की गई है। स्वजल को भी रोक दिया गया है। इससे राज्य में पेयजल में काफी कठिनाई हो रही है। नमामि गंगा प्रोग्राम व एनएमसीजी के तहत 12 कस्बों में बायोडाइजेस्टर हेतु 12 डीपीआर को केंद्र सरकार से स्वीकृत की जानी है, हरिद्वार में 71 करोड़ रूपए लागत की 40 एमएलडी एसटीपी की बीडिंग प्रक्रिया को अनुमति दी जानी है, रूपए 57 करोड़ 77 लाख की लागत से 7 एसटीपी को अपग्रेड करने की डीपीआर को मंजूरी दी जानी है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रधानमंत्री से 300 मेगावाट की लखवाड़ व 660 मेगावाट की किसाऊ सहित विभिन्न हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को मंजूरी दिए जाने का भी अनुरोध किया है। इको सेंसेटिव जोन में 25 मेगावाट तक के छोटे पावर पलान्ट स्थापित करने की अनुमति दी जा सकती हैं जिस तरह से पश्चिमी घाट में इनकी अनुमति दी गई है। उन्होंने लघु पावर प्लान्ट की श्रेणी 25 मेगावाॅट से 100 मेगावाट तक बढ़ाने का भी अनुरोध किया।
आपदा पुनर्विस्थापन के सम्बन्ध में श्री रावत ने अनुरोध किया कि  आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील 352 गावांे को सुरक्षित स्थानों पर पुनस्र्थापित किया जाना है। इसके लिए 13,000 करोड़ की धनराशि राज्य सरकार को आवंटित की जानी चाहिए। हाल ही में एक संसदीय समिति द्वारा उत्तराखण्ड में भूकम्प की अधिक सम्भाव्यता को देखते हुए यहां के सभी स्कूलों की रेट्रोफिटिंग पर बल दिया गया है। इसके लिए लगभग 1000 करोड़ रूपए का निवेश आवश्यक होगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि एनडीआरएफ की तर्ज पर राज्य में एसडीआरएफ की 3 कम्पनियां बनाई जा चुकी हैं। देहरादून एयरपोर्ट के पास इसके मुख्यालय के लिए भूमि आवंटित की जा चुकी है। परंतु राज्य को 170 करोड़ रूपये एसडीआरएफ के मुख्यालय स्थापित करने हेतु आवश्यकता है। साथ ही मौसम की पूर्व जानकारी हेतु राज्य के विभिन्न स्थानों में डाॅप्लर राडार स्थापित किए जाने है जिसके लिए संबंधित मंत्रालय को निर्देशित किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने यातायात क्षेत्र हेतु भी अनुरोध किया कि वर्तमान में राज्य के राष्ट्रीय महामार्गाे की क्षमता बढ़ाने का कार्य प्राथमिकता से लिया जाय। राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित नए राष्ट्रीय राजमार्गों की स्वीकृति प्राथमिकता से की जाए। दिल्ली से पंतनगर हवाईसेवा नियमित की जाए। पंतनगर एयरपोर्ट में ही एटीएफ पूर्ति की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए इंडियन आॅयल कारपोरेशन या किसी अन्य सार्वजनिक उपक्रम को निर्देशित किया जाए। उन्होंने कहा कि देहरादून में मेट्रो रेल नेटवर्क को अनुमोदित किया जाए। इन्फास्ट्रक्चर की मास्टर लिस्ट में रोप वे/केबल कार/फनक्यूलर/एक्सेलेटर/एलेवेटर आदि भी शामिल किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने इको सिस्टम सेवाओं के सन्दर्भ में कहा कि बीके चतुर्वेदी समिति द्वारा उत्तराखण्ड की इको सेवाओं का मूल्य 40 हजार करोड़ रूपए आंका गया था। साथ ही बजट समर्थन का 2 प्रतिशत इको सेवाएं प्रदान करने वाले राज्यों को हस्तांतरित करने का सुझाव दिया गया था। उत्तराखण्ड राज्य को विशेष श्रेणी का राज्य मानते हुए इसकी पर्यावरणीय सेवाओं के लिए 4000 करोड़ रूपये प्रति वर्ष का वित्तीय हस्तांतरण राज्य को किया जाना चाहिए।
सामाजिक कल्याण , शिक्षा एवं खेलों के क्षेत्र में मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि केन्द्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति के लिए 11 करोड़ 20 लाख़ रूपये अवशेष राशि वर्ष 2015-16 के लिए जारी की जानी है। साथ ही वर्ष 2016-17 के लिए इस मद मे 207 करोड़ 15 लाख रूपए की राशि की मांग राज्य सरकार द्वारा की गई है। अल्मोड़ा, हल्द्वानी, व देहरादून के मेडिकल  कालेज व विभिन्न नर्सिंग स्कूल व काॅलेजों के अपग्रेडेशन हेतु केंद्र से 1000 करोड़ रूपए व पर्वतीय क्षेत्रों में माॅडल् स्कूलों की स्थापना के लिए 1500 करोड़ रूपए के सहयोग की आवश्यकता होगी।
वर्ष 2018 में राज्य में 38वे राष्ट्रीय खेल आयोजन के लिए स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए रूपए 719 करोड़ 44 लाख की धनराशि जबकि खेलों के आयोजन के लिए रूपए 249 करोड़ 97 लाख की राशि केंद्र से अपेक्षित है। 14 वें वित्त आयोग के बाद लोकनिर्माण विभाग, पर्यटन की विभिन्न केंद्रीय योजनाओं में कटौति कर दी गई थी। इन्हें पूरा करने के लिए एसपीए के तहत 1200 करोड़ रूपए की आवश्यकता है। इसका विस्तृत विवरण नीति आयेाग को भेजा गया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रधानमंत्री से उक्त बिन्दुओं पर विचार करने का आग्रह किया है।

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