ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा एप्लीकेशन के नियम और कड़े कर दिए हैं. इसके तहत अमेरिकी एम्पॉलयर को यह जानकारी देनी होगी कि उनके यहां कितने विदेश कर्मचारी काम कर रहे हैं. इससे H-1Bआवेदन की प्रक्रिया सख्त हो जाएगी.
एप्लीकेशन फॉर्म के नियम ज्यादा कड़े हुए
अब यहां लेबर डिपार्टमेंट प्रमाणित करेगा कि खास पद के लिए स्थानीय स्तर पर कोई उपयुक्त व्यक्ति नहीं मिल रहा है और इसलिए कंपनी H-1B कैटगरी के तहत विदेशी कर्मचारी को नियुक्त कर सकती है. वर्कर एप्लीकेशन फॉर्म में अब नियोक्ताओं को H-1B से जुड़ी रोजगार शर्तों के बारे में अधिक जानकारी देनी होगी.
श्रमिक आवेदन फॉर्म में नियोक्ताओं को बताना होगा कि H-1B वीजा कर्मचारियों के लिए कहां-कहां रोजगार है, उन्हें कितने समय के लिए रखा जाएगा और किन-किन जगहों पर H-1B वीजा कर्मचारियों के लिए ये कितने रोजगार हैं. नए नियमों के तहत नियोक्ताओं को यह भी बताना होगा कि उसके सभी स्थानों पर कुल कितने विदेशी कर्मचारी पहले से काम रहे हैं.
अमेरिका H-4 वीजा धारकों को मिला वर्क परमिट भी खत्म करने की तैयारी में है. H-4 वीजा, H-1B वीजा पर अमेरिका जाने वाले प्रोफेशनल्स के जीवनसाथी को दिए जाते हैं. ओबामा प्रशासन ने उन्हें एक स्पेशल ऑर्डर के जरिये वर्क परमिट दे दिए थे. ट्रंप प्रशासन को लग रहा है कि इससे बड़ी तादाद में उन अमेरीकियों को मदद मिल सकती है, जो नौकरी संकट से जूझ रहे हैं. ट्रंप प्रशासन का यह कदम भारतीयों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. बड़ी तादाद में भारतीय आईटी और अन्य प्रोफेशनल H-1B वीजा पर अमेरिका जाते हैं.
अमेरिका देख रहा है अपने वर्करों का फायदा
अमेरिकी सरकार के इस कदम से उन सत्तर हजार H-4 वीजा धारकों पर असर पड़ेगा, जिन्हें वहां वर्क परमिट मिला हुआ है. डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्यूरिटी के बयान में कहा गया है कि उसका मानना है कि अगर H-4 वीजा धारकों को मिला वर्क परमिट हटा लिया जाए तो इससे अमेरिकी वर्करों को कुछ फायदा होगा. डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्यूरिटी का प्रस्ताव लागू हुआ तो H-1B वीजा धारकों के जीवनसाथी अमेरिका में काम नहीं कर पाएंगे.
इनपुट : भाषा