अल्मोड़ा/देहरादून: महिलाआें को आत्मनिर्भर बनाने एवं पलायन को रोकने के लिये शासन द्वारा अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये जा रहे है यह बात प्रदेश के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शनिवार को डीनापानी में नन्दादेवी सेन्टर आॅफ एक्सीलैंस फाॅर हैण्डलूम एवं नेचुरल फाइबर सेन्टर के उद्घाटन के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि राज्य में पहली बार स्थानीय स्तर पर महिलाओं के द्वारा उत्पादित वस्तुओं की विदेश में भी पहचान होगी।
यह सेन्टर राज्य में अपने स्तर का एक मात्र संस्थान होगा इस संस्थान में बिच्छू घास और भांग के रेसों से हैण्डलूम तैयार किया जायेगा, यदि यह योजना सफल रही तो महिलायें आत्मनिर्भर बन जायेंगी और इस तरह के उद्योगों को बढ़ावा मिल सकेगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पीपीपी मोड में खुल रहे इस सेन्टर में लूप मशीन भी लगा दी गई है, इस सेन्टर में स्थानीय उत्पादों से माल तैयार किया जायेगा, उसके लिये मुम्बई से एक्सपर्ट भी यहाॅ पहुॅच चुके है। इस सेन्टर में स्थानीय महिलाओं के अलावा अन्य जिलों की कुशल महिलाओं को भी लिया जायेगा। यहाॅ पर जिन चीजों से उत्पाद बनेगा उसमें बिच्छूघास, भंाग, अल्पा, मरीनों, तिब्बती भेड़, अंगुरा, पशमीना आदि से रेशे निकालकर अलग-अलग क्वालिटी के प्रोडेक्ट तैयार किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि फिर कलर और फिनिशिंग टच देकर जूते, कुर्ता, पर्स, बैंग, दुपटटे सहित कई उत्पादों को बाजार में उतारें जाने की योजना है। इस केन्द्र में स्थानीय मटेना की महिलाओं के अलावा अन्य 500 कुशल महिलायें काम करेंगी। महिलाओं द्वारा उत्पादित वस्तुओं का निर्यात विदेशों में किया जायेगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने जनता को सम्बोधित करते हुये कहा कि स्थानीय उत्पादो का अधिकाधिक उपयोग हो सके इसके लिये हमें महिलाओं को प्रोत्सहित करना होगा, साथ ही ऐसी संस्थायें जो स्थानीय उत्पाद से जुडे़ उद्योग को बढ़ावा दे रहे है उन्हें प्रथम चरण में सरकार अनुदान देगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि वे खाली वन क्षेत्र में उत्तम प्रजाति के पौधों का रोपण करें ताकि बाॅस उद्योग प्रोत्साहित हो सके इसके साथ-साथ बाॅज, शहतूत के पेड़ों से जो सामाग्री उत्पादित हो सके, उसके लिये भी ठोस कार्यवाही करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भंाग की खेती को बढ़ावा देने के लिये विवेकानन्द कृषि अनुसंधान संस्था, पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय, भरसार विश्वविद्यालय से कहा गया है कि वे भंग की नई प्रजाति जो मानक अनुसार हो विकसित की जाय। उन्होंने कहा कि वन विभाग को यह भी निर्देश दिये है कि वे जंगलों में भीमल के पेड़ों का अधिकाधिक रोपण करें।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि दो हजार महिलाओं एवं एक हजार पुरूषों को मास्टर टेªनर के रूप में प्रशिक्षित किया जायेगा ताकि वे अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित कर सकें, इसके लिये यह भी जरूरी होगा कि अन्र्तरराष्ट्रीय उत्पादित माल में रंगों के चयन के हेतु भी एक्सपार्ट तैयार किये जाय ताकि विदेशों में उसकी खपत हो सके। उन्होंने यह भी कहा कि रेशे निकालने का काम काफी कठिन होता है जिसमे काफी मेहनत पड़ती है इसके लिये भी प्रोत्साहित करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग बिच्छु घास को पैदा करेंगे उन्हें भी सरकार प्रोत्साहित करेगी। इसके साथ ही साथ उन्होंने रिंगाल उद्योग को बढ़ावा देने की बात कही ताकि विलुप्त हो रहे इस उद्योग को पुर्नजीवित किया जा सके।
इस दौरान उन्होंने आज डीनापानी में हैण्डलूम के द्वारा जो माल उत्पादित हो रहा है उसके कार्यशाला को देखा और पंचाचूली वुमेन वीवर्स संस्था द्वारा किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा की और उसकी संस्थापिका मुक्तीदत्ता को इस तरह के कराये जा रहे कार्यों को आगे बढ़ाने की बात कही।
इस अवसर पर प्रदेश की प्रमुख सचिव लघु एवं मध्यम उद्योग मनीषा पंवार ने विस्तृत रूप से जानकारी देते हुये बताया कि उनके द्वारा यहाॅ पर महिलाओं को साथ विचार-विर्मश किया गया और उनके सुझाव प्राप्त किये गये। मुक्तीदत्ता ने सरकार द्वारा इस तरह के कार्याें को प्रोत्सहित किये जाने के लिये मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम में उपस्थित प्रदेश के उद्योग मंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल ने कहा कि प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थानीय तौर पर उत्पादित माल का उपयोग अधिकाधिक संख्या में हो सके और महिलायें आत्मनिर्भर बन सकें। इसके लिये सरकार अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता पैदा कर रही है। जनपद अल्मोड़ा में स्थानीय उत्पाद से तैयार किये जाने के एक सेन्टर की स्थापना हो जाने से जहाॅ एक ओर उद्योग को बढ़ावा मिलंेगा, वही दूसरी ओर महिलायें आत्म निर्भर बन सकेंगी। इस अवसर पर उद्योग विभाग, खादी ग्रामोद्योग विभाग के द्वारा बनाये जा रहे उत्पादों की प्रर्दशनी भी लगाई गई।
इस कार्यक्रम में संसदीय सचिव मनोज तिवारी ने कहा कि अल्मोड़ा के समीपस्थ क्षेत्र में इस तरह का उद्योग लगने से जहाॅ एक ओर पलायन को रोका जा सकेंगा वही दूसरी ओर नवयुवतियों को रोजगार के नये अवसर मिल सकेंगे।