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Happy Dussehra: जानें रावण दहन के शुभ मुहूर्त के साथ मनाने का मकसद

अध्यात्म

नवरात्रि के पावन नौ दिनों के बाद आज पूरे देश में बड़ी ही धूम-धाम से दशहरा मनाया जा रहा है। असत्य पर सत्य की जीत, बुराई पर अच्छाई की विजय का शंखनाद करता हुआ इस त्योहार का संकेत आज हर किसी की अपने दिल से सच्चाई पर विजय पर करने की सीख सिखाता है। आज के दिन हर स्थान पर राम लीला का भव्य आयोजन किया जाता है। इसे विजयदशमी भी कहा जाता है। इसलिए आज हम आपको इस पर्व से जुड़ी कुछ रोचक और महत्वपूर्ण बाते बताने जा रहे हैं।

इस काल में भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है। ये समय रावण को जलाने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि इस समय अच्छाई की बुराई पर जीत हुई थी। शस्त्र पूजन भी विजयकाल में ही किया जाता है। इसके अलावा मां दुर्गा ने इसी समय महिषासुर को मारा था इसलिए महिषासुर मर्दिनी के रुप में उनकी पूजा करनी चाहिए।

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दशहरा की मान्यताएं-

दशहरा को लेकर मान्यता है कि आज के दिन ही पांडव ने शमी नाम के पेड़ की पूजा की थी जिससे उन्हें कौरवों पर विजय प्राप्त हुई थी। इसी कारण लोग इस पर्व पर शमी के पेड़ की पूजा करते हैं। दशहरा के दिन को लोग शस्त्र पूजा से भी जोड़ते हैं।

दशहरा को लेकर एक मान्यता यह भी है कि दैत्य महिषासुर के आतंक से तंग आकर देवताओं ने भगवान विष्णु की अराधना जिसके भगवान विष्णु ने देवी का रूप धारण किया और नौ दिन तक महिषासुर से युद्ध कर 10वें दिन उसका वध किया। इससे खुशी में तब से विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है।

शुभ मुहूर्त

0820 से 1030 बजे तक लग्न पूजन

1124 से 1232 बजे तक अभिजीत मूहूर्त

दहन का शुभ मुहूर्त- शुक्रवार को दोपहर 2.57 बजे से शाम 4.17 बजे

दशहरे के दिन नीलकंठ भगवान और मछली के दर्शन करना शुभ माना जाता है। इस दिन आप कोई की कीमती सामान खरीद सकते हैं।

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