देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सचिवालय में मुंशी हरि प्रसाद टम्टा परम्परागत शिल्प उन्नयन संस्थान, गरूड़ाबाज अल्मोड़ा की प्रगति की समीक्षा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने संस्थान के निर्माण कार्यों की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि राज्य में परम्परागत शिल्प एवं शिल्पियों को प्रोत्साहन एवं संरक्षण देने के लिए सबसे पहले मास्टर टेªनर तैयार कर स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। इसके लिए प्रशिक्षुओं को हाईलेवल सर्टिफिकेट भी प्रदान किये जाएं। उन्होंने कहा कि शिल्पियों को उद्यमी के रूप में स्थापित करना इस संस्थान का उद्देश्य होना चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य के शिल्पियों को रजिस्टर किया जाना आवश्यक है। शिल्पियों का रजिस्ट्रेशन किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य की परम्परागत शिल्प कला को बढ़ावा देने के लिए मास्टरक्राफ्टमैन तैयार किये जाएं। इसके लिए प्रशिक्षण आदि की विधियों पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। साथ ही उन्नत टूल किट्स आदि के विकास पर भी ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा संस्थान के भवन से ज्यादा उसके कम्पोनेंट्स पर ध्यान दिया जाए। शिल्प कला को नई तकनीक से जोड़कर उन्नत बनाया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि संस्थान की कार्यकारिणी में जिलाधिकारी अल्मोड़ा को भी शामिल किया जाए। उन्होंने निर्देश दिये कि संस्थान को निश्चित समय सीमा के अन्दर तैयार कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गरूड़ाबाज को माॅडल टाऊन के रूप में विकसित करने का प्रयास कर रही है।
इस अवसर पर बताया गया कि संस्थान के निर्माण का कार्य प्रारम्भ हो चुका है एवं संस्थान हेतु चयनित भूमि में बाउण्ड्रीवाॅल, गेट एवं रोड आदि का कार्य 90 प्रतिशत तक पूर्ण हो चुका है।
इस अवसर पर मुंशी हरि प्रसाद टम्टा परम्परागत शिल्प उन्नयन संस्थान की प्रबन्ध कार्यकारिणी के अध्यक्ष चनर राम आई.ए.एस. (सेवानिवृत्त) एवं अन्य सदस्य उपस्थित थे।
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