14.5 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

ओलंपियन अजीत सिंह के परिवार को अवार्डो की हैट्रिक

खेल समाचार

शहीदों की धरती कहे जाने वाले जिला फिरोजपुर ने कई अच्छे खिलाड़ी दिए हैं। यहां के खिलाड़ियों ने अपनी खेल शैली से सारी दुनिया में भारत वर्ष का नाम बुलंदियों पर पहुंचाया है। हॉकी के मशहूर खिलाड़ी अजीत सिंह को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड (मेजर ध्यानचंद अवार्ड) के लिए चयन किया गया है। उन्होंने ओलंपिक, एशियाई खेलों व विश्व हॉकी में उन्होंने कई मैडल जीते हैं। परिवार में अजीत सिंह तीसरे ऐसे खिलाड़ी बन गए है, जिन्हें देश के श्रेष्ठ अवार्ड से नवाजा जाएगा।

इससे पहले सरकार ने 1997 में हॉकी ओलंपियन अजीत सिंह के भाई हरमीक सिंह को पहला अर्जुन अवार्ड दिया गया। टीम के पूर्व कप्तान रहे हरमीक सिंह को म्यूनिख-1972 में ओलंपिक हॉकी टीम की कप्तानी करने व इसके साथ ही दो बार विश्व हॉकी कप, दो बार ओलंपियन हॉकी व तीन बार एशियाई हॉकी खेलने का श्रेय भी इन्ही के पास है। वहीं खेल मंत्रालय की तरफ से परिवार में दूसरा अर्जुन अवार्ड ओलंपियन अजीत सिंह के बेटे व राष्ट्रीय टीम के पूर्व कप्तान रहे गगनअजीत सिंह को 2003 में दिया गया। अपनी कप्तानी में जूनियर राष्ट्रीय टीम को विश्व हॉकी कप जीतने वाले गगनअजीत सिंह को सीनियर हॉकी टीम की कप्तानी करने के साथ दो बार ओलंपिक हॉकी व एशियाई हॉकी व विश्व कप खेलने का गौरव हासिल हुआ है। अजीत सिंह का परिवार पहले फिरोजपुर शहर में रहता था। अब यह परिवार मोहाली शिफ्ट कर गया है। किसी काम के सिलसिले में करीब एक माह से गोवा में रुके ओलंपियन अजीत सिंह ने कहा कि पूरा परिवार ही देश के लिए खेल सेवा में लगा है। अवार्ड के लिए चयनित होने पर वह काफी प्रसन्नता महसूस कर रहे हैं। ओलंपियन मनजीत को रोइंग में मेजर ध्यान चंद अवार्ड

हॉकी के साथ ही फिरोजपुर जिले के गुरहरसहाए के गाव ईसा पंजगराई के रहने वाले ओलंपियन मनजीत ड्क्षसह का जन्म 10 अक्तूबर 1988 को हुआ। ओलंपियन मनजीत ड्क्षसह ने रोइंग खेल में विश्व के नक्शे पर भारत का नाम रोशन किया। इसके चलते भारत के खेल मंत्रालय की तरफ से उन्हें भी मेजर ध्यान चंद अवार्ड से नवाजा गया है। भात-पाकिस्तान सीमा से सटे गाव के रहने वाले ओलंपियन मनजीत की तरफ से 2004 में रोइंग खेल को अपनाया गया। कई गोल्ड , सिल्वर मेडल के अलावा अपनी कई उपलब्धियों के साथ ही दो बार ओलंपिक रोइंग खेलने का गौरव भी हासिल किया है। इसके चलते उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया है। ओलंपियन मनजीत ने बताया कि 2013 में उनका हाथ फ्रेक्चर हो गया था। इसके चलते वह करीब एक साल तक खेल नहीं पाए। एक साल बाद ओलंपिक रोइंग में अपनी प्रतिभा सका लोहा मनवाते हुए भारत का नाम खेल इतिहास में रोशन किया। मौजूदा समय में ओलंपियन मनजीत ड्क्षसह हैदराबाद में आर्मी में अपनी सेवाएं निभाने के साथ ही खेलों में अपनी लगातार प्रैक्टिस में जुटे हुए है।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More