लखनऊ: प्रदेश में उद्योगों से जनित परिसंकटमय अपशिष्ट, पर्यावरण विशेषकर जन स्वास्थ्य के लिये एक गंभीर चुनौती उत्पन्न कर रही है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा परिसंकटमय अपशिष्टों के प्रबन्धन हेतु ‘‘ परिसंकटमय अपशिष्ट नियम’’ 1989 पर्यावरण की रक्षा हेतु परिसंकटमय रसायनों और परिसंकटमय अपशिष्टों सहित परिसंकटमय पदार्थों के उपयोग और प्रबन्धन के सुरक्षा उपयों को अपनाया जाना अनिवार्य किया गया है। प्रदेश में बहुत बड़ी मात्रा में जनित हो रहे परिसंकटमय अपशिष्टों के वैज्ञानिक निस्तारण हेतु सुविधाओं के विकास की आवश्यकता है।प्रदेश में उद्योगों से उत्पन्न होने वाले परिसंकटमय अपशिष्ट पदार्थों से जन स्वास्थ्य एवं पर्यावरण की सुरक्षा हेतु परिसंकटमय अपशिष्टों के उपचार, भण्डारण और निस्तारण सुविधाओं की स्थापना के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप आधार पर अनुदान दिये जाने हेतु यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा संचालित किया जा रहा है। में रैम्की इन्वायरों इंजीनियर्स द्वारा ग्राम कुम्भ, कानपुर देहात में स्थापित किये जा रहे टी0एस0डी0एफ0 सुविधा के सम्बन्ध में वित्तीय वर्ष 2009-10 में प्रथम किस्त कें रूप में रू0 80.00 लाख तथा वित्तीय वर्ष 2013-14 में योजना की द्वितीय किस्त के रूप में रू0 20.00 लोख की धनराशि राज्यांश के रूप में उव0प्रव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अवमुक्त की गयी थी। प्रश्नगत योजना की तृतीय किश्त के रूप में वित्तीय वर्ष 2014-15 में केन्द्रांश रूव 50 लाख की धनराशि स्वीकृत की गयी थी। उक्त योजना हेतु वित्तीय वष्ज्र्ञ 2015-16 में केन्द्रांश रू0 50 लाख की व राज्यांश रू0 50 लाख की धनराशि अर्थात एक करोड़ रूपये अवमुक्त की जायेगी।
में भारत आॅयल एण्ड वेस्ट मैनेजमेंट द्वारा ग्राम कुम्भी, कानपुर देहात में स्थापित किये जा रहे टी0एस0डी0एफ0 सुविधा के सम्बन्ध में वित्तीय वर्ष 2013-14 में प्रथम किस्त के रूप में रू0 20.00 लाख की धनराशि राज्यांश के रूप में उ0 प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अवमुक्त की गयी थी। वित्तीय वर्ष 2014-15 में प्रश्नगत योजना की द्वितीय किश्त के रूप में केन्द्रांश रू0 10.00 लाख धनराशि स्वीकृत की जा चुकी है। उक्त योजना हेतु वित्तीय वर्ष 2015-16 में केन्द्रांश रू0 50.00 लाख व राज्यांश रू0 50.00 लाख की धनराशि अवमुक्त होनी है।
इसके अतिरिक्त अन्य स्थलों पर भी ट्रान्सपोर्ट स्टोरेज एवं डिस्पोजल फैसेलिटी के विकास का प्रस्ताव है। अवैध परिसंकटमय स्थलों के उपचार के सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा गाइड लाइन्स तैयार की जा रही हैं, जिनके प्रभावी होने पर राज्य में स्थित अवैध परिसंकटमय स्थलों के उपचार सम्बन्धी योजना का प्रस्ताव किया जायेगा।