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मुख्यमंत्री ने सूखाग्रस्त जनपदों में राहत कार्यों की समीक्षा की

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने प्रदेश के सभी सूखाग्रस्त जनपदों में राहत एवं पेयजल आपूर्ति से सम्बन्धित कार्याें को युद्धस्तर पर संचालित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होेंने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में समाजवादी सूखा राहत सामग्री तथा पात्र परिवारों को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत चार माह तक निःशुल्क खाद्यान्न वितरण के लिए पूर्व मंे दिए गए आदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर सूखे से प्रभावित जनपदों में चलाए जा रहे राहत कार्याें की उच्चस्तरीय समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सभी 07 जनपदों के 2.30 लाख अंत्योदय परिवारों को हर महीने समाजवादी सूखा राहत सामग्री का वितरण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने यह निर्देश भी दिए कि किसी भी स्थिति में किसी भी व्यक्ति की भुखमरी से मृत्यु न होने पाए, इसके लिए सभी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। भुखमरी से यदि किसी व्यक्ति की मौत होती है तो सम्बन्धित जिलाधिकारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी।
बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पीडि़तों को राहत पहुंचाने के लिए विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करके राहत कार्य प्रभावी ढंग से संचालित किए जा रहे हैं। अंत्योदय लाभार्थियों में से जिन परिवारों की आजीविका प्राकृतिक आपदा से गम्भीर रूप से प्रभावित हुई है, उन परिवारों को राहत पैकेट वितरित किये जा रहे हैं। इसके अलावा, बुन्देलखण्ड के 07 जनपदों में पशुओं को चारे की व्यवस्था हेतु 01 करोड़ रुपये प्रति जनपद के हिसाब से पूर्व में ही आवंटित किया जा चुका है। साथ ही, मनरेगा के अन्तर्गत रोजगार मानव दिवसों को 100 से बढ़ाकर 150 मानव दिवस कर दिया गया है।
इसके अलावा, बुन्देलखण्ड के समस्त जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति के निर्देश दिए गए हैं। पीने के पानी की समस्या को दूर करने के लिए टैंकर के माध्यम से पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। इसके साथ ही, बुन्देलखण्ड क्षेत्र के समाजवादी पेंशन योजना के पात्र लाभार्थियों को शत-प्रतिशत आच्छादित किया जा रहा है।
ग्राम्य विकास विभाग के अन्तर्गत बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 07 जनपदांे में 5,786 नये इण्डिया मार्का-2 हैण्डपम्पों की स्थापना हेतु 40 करोड़ रुपये उपलब्ध कराते हुए हैण्डपम्पों की स्थापना की कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा, सभी 7 जनपदों में 440 वाटर टैंकर खरीदने के लिए 9.94 करोड़ रुपये निर्गत कर टैंकर खरीद की कार्रवाई की जा रही है। 07 जनपदों में 3,527 इण्डिया मार्का-2 हैण्डपम्पों की रिबोरिंग हेतु त्वरित आर्थिक विकास योजना के अन्तर्गत नियोजन विभाग द्वारा 20.85 करोड़ रुपये स्वीकृत कर हैण्डपम्पों की रिबोरिंग की कार्रवाई की जा रही है।
बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 07 जनपदों में वर्ष 2015-16 में 160.88 लाख मानव दिवस सृजन के वार्षिक लक्ष्य के सापेक्ष 198.26 लाख मानव दिवस सृजित किए गए। इसी प्रकार वर्ष 2016-17 में बुन्देलखण्ड के 07 जनपदांे में 3 मई, 2016 तक के लक्ष्य 7.66 लाख मानव दिवस सृजन के सापेक्ष 5.39 लाख मानव दिवस सृजित किए गए है। मुख्यमंत्री जल बचाव अभियान के अन्तर्गत बुन्देलखण्ड क्षेत्र मंे 10,705.74 लाख रुपये एवं पूरे प्रदेश में 87,197 लाख रुपये व्यय करके तालाबों पर कार्य कराया गया है।
प्रदेश में सूखे के प्रबन्धन हेतु विभिन्न विभागों द्वारा विभिन्न स्तरों पर प्रभावी कार्रवाई तेजी से की जा रही है। कृषि विभाग द्वारा अन्य फसलों के साथ तिल के बीज का मूल्य निर्धारित किए जाने की संस्तुति भारत सरकार को भेजी गई है। इसके साथ ही, तिल के बीज के खरीद मूल्य अपग्रेड करने के लिए भारत सरकार को पत्र लिखा गया है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में वर्षा, जल संचयन हेतु 12.21 करोड़ रुपये की खेत-तालाब योजना स्वीकृत की गई है। इसके अन्तर्गत 02 हजार तालाबों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह योजना बुन्देलखण्ड के सभी जनपदों में संचालित की जा रही है।
बुन्देलखण्ड पैकेज के प्रथम चरण में 12 ग्रामीण पाइप पेयजल योजनाएं एवं द्वितीय चरण में 48 ग्रामीण पाइप पेयजल योजनाएं स्वीकृत की गई हैं। पहले चरण के निर्माण हेतु स्वीकृत कुल राशि 91.63 करोड़ रुपये अवमुक्त की जा चुकी है। इन 12 ग्रामीण पाइप पेयजल योजनाओं में से 11 योजनाआंे में कार्य पूर्ण कर पूरी तरह उपयोग में लाया जा चुका है। द्वितीय चरण में स्वीकृत 48 योजनाओं हेतु स्वीकृत सम्पूर्ण धनराशि 181.283 करोड़ रुपये अवमुक्त की जा चुकी है तथा 18 योजनाओं के कार्य पूर्ण कर उन्हंे संचालित किया जा चुका है।
बैठक में यह भी बताया गया कि किसानों को अपना उत्पाद बिक्री करने हेतु निकटतम बाजार की सुविधाएं सुलभ कराने के लिए बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भारत सरकार की सहायता से 07 विशिष्ट मण्डियां तथा 133 ग्रामीण अवस्थापना केन्द्रों का निर्माण मण्डी परिषद द्वारा कराया जा रहा है। सिंचाई के लिए बुन्देलखण्ड के 07 जनपदों में 17 निःशुल्क बोरिंग, 583 मध्यम गहरी बोरिंग, 276 गहरी बोरिंग व 59 रिचार्जिंग चेकडैम बनाने की कार्य योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। इसके अलावा, 8098 डगवैल निर्माण के लक्ष्य के सापेक्ष 7926 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं।
मुख्यमंत्री जल बचाव अभियान के अन्तर्गत नदियों के पुनर्जीवन/पुनरोद्धार के कार्य कराए जा रहे है। जनपद महोबा की चन्द्रावल नदी के पुनर्जीवन/पुनरोद्धार हेतु विकास खण्ड चरखारी एवं कबरई में स्थित नदी/सहायक नालों पर 15 चेकडैम 615.89 लाख रुपये की लागत से निर्मित कराए जा रहे है। जनपद झांसी में लखेरी नदी एवं सहायक नालों पर विकास खण्ड गुरसराय एवं बंगरा में 29 चेकडैमों हेतु प्राप्त धनराशि 632.978 लाख रुपये के सापेक्ष निविदाएं आमंत्रित कर ली गई हैं।
इसके अलावा, सिंचाई विभाग के तहत अर्जुन सहायक परियोजना से हमीरपुर, महोबा एवं बांदा जनपदों के लिए अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित करने का काम किया जा रहा है। इसी प्रकार बाण सागर नहर परियोजना से मिर्जापुर एवं इलाहाबाद जनपद के लिए सिंचाई के साधन तैयार किए जा रहे हैं। इसी तरह, वाराणसी शहर में वरुणा नदी के चैनलाइजेशन एवं तटीय विकास की परियोजना का काम किया जा रहा है। इससे वरुणा नदी मंे पर्याप्त जल उपलब्ध रहेगा, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त जल प्राप्त हो सकेगा।
पूरे प्रदेश में खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू कर दिया गया है। इसके तहत पात्र व्यक्तियों को 02 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं तथा 03 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल के रूप में खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है। खाद्य एवं रसद विभाग द्वारा वर्तमान आवंटन के अनुसार बुन्देलखण्ड क्षेत्र में 39060.105 मी0 टन खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है। यह आवंटन 73.64 प्रतिशत जनसंख्या को आच्छादित करता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के अन्तर्गत बुन्देलखण्ड क्षेत्र मंे नियमानुसार अधिक से अधिक लाभार्थियों को चिन्हित किया जा सकता है। दिनांक 31 मार्च, 2016 को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अन्तर्गत चिन्हित किए गए लाभार्थियों की संख्या कुल जनसंख्या के सापेक्ष 76.92 प्रतिशत हो गई है। इस जनसंख्या के अनुरूप आवंटन का प्रस्ताव भारत सरकार के अनुमोदन हेतु भेजा गया है।
इसके अलावा, वर्ष 2015 में कम वर्षा के कारण उत्पन्न सूखे की स्थिति से रबी की फसलों को 07 जनपदों में कृषि फसलों की क्षति के मद्देनजर 1261.04 करोड़ रुपये की धनराशि राष्ट्रीय आपदा मोचक निधि से स्वीकृत करने के लिए भारत सरकार से अनुरोध किया गया है।
उल्लेखनीय है कि फरवरी, मार्च एवं अप्रैल, 2015 में प्रदेश के 73 जनपदों में ओलावृष्टि, अतिवृष्टि से कृषि फसलों की व्यापक क्षति के साथ-साथ जनधन की हानि हुई थी। इस आपदा से लगभग 02 करोड़ किसान बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। भारत सरकार को 7543.14 करोड़ रुपये का मेमोरेण्डम प्रेषित किया गया, जिसके सापेक्ष मात्र 2801.59 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई। राज्य सरकार द्वारा अद्यतन 4498.29 करोड़ रुपये (2801.59 करोड़ रुपये राष्ट्रीय आपदा मोचक निधि से व 478.70 करोड़ रुपये राज्य आपदा मोचक निधि से तथा 1218 करोड़ रुपये राज्य सरकार की ओर से) जनपदों को स्वीकृत की गई है।
भारत सरकार से सम्पूर्ण धनराशि प्राप्त न होने के कारण लगभग आधे किसान राहत से वंचित रह गए हैं। प्रदेश सरकार द्वारा इसके अतिरिक्त भू-राजस्व की वसूली तथा ऋणों की वसूली में उत्पीड़नात्मक कार्रवाई न किए जाने के आदेश भी दिए गए हैं। भारत सरकार से अवशेष धनराशि 4741.55 करोड़ रुपये की मांग फरवरी, 2016 में की गई है।
इसके अलावा जून से सितम्बर, 2015 के मध्य कम वर्षा के कारण प्रदेश के 50 जनपदों को नवम्बर, 2015 में सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। इन 50 जनपदों में से 21 जनपदों में कृषि फसलांे की व्यापक क्षति हुई थी। सूखा-2015 हेतु
2057.79 करोड़ रुपये का मेमोरेण्डम भारत सरकार को भेजा गया था। भारत सरकार द्वारा केन्द्रांश को समायोजित करने के पश्चात 934.32 करोड़ रुपये की धनराशि निर्गत की गई है। जिसमें से 867.87 करोड़ रुपये की धनराशि कृषि निवेश अनुदान के मद में जनपदों को स्वीकृत की गई है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में स्वीकृत धनराशि को सम्मिलित करते हुए 21 जनपदों को अब तक 1006.03 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है।
इसके अलावा मार्च, 2016 मंे ओलावृष्टि से प्रदेश के 12 जनपदों मंे लगभग 107.18 करोड़ रुपये की कृषि फसलों की क्षति हुई थी। प्रभावित जनपदों में पीडि़त किसानों को कृषि निवेश अनुदान प्रदान करने हेतु 107.18 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की जा चुकी है। वर्ष 2014 एवं 2015 में वर्षा की कमी के कारण क्रमशः 58 व 50 जनपदों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। मिट्टी में नमी की कमी होेने के कारण रबी 2015-16 की बुआई भी प्रभावित हुई तथा फसलों की क्षति हुई।

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