देहरादून: प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री उत्तराखण्ड सरकार सुरेन्द्र सिंह नेगी ने आज विधान सभा स्थित अपने सभा कक्ष में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग उत्तराखण्ड के अन्तर्गत विभागीय निर्माणाधीन भवनों की स्थिति की समीक्षा बैठक ली।
बैठक में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग की काफी योजनाओं पर सन्तुष्टि व्यक्त करते हुए शासन एवं महानिदेशक स्वास्थ्य को निर्देशित करते हुए कहा कि कार्यदायी संस्थाओं को समय से धन अवमुक्त करायें जिससे उक्त संस्थाएॅं समय पर निर्माणाधीन चिकित्सालय एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, बेस चिकित्सालय, आवासीय भवन, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, ब्लड बैंक एवं ट्रामा सेन्टर तथा शव विच्छेदन गृहों का निर्माण समय से पूरा कर सकें।
उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं से अपेक्षा की कि उक्त निर्माण कार्यों का निर्माण गुणवत्ता पूर्वक तरीके से करते हुए समय पर कार्य करें तथा पुनरक्षित बजट की मांग न करे। बैठक में उन्होंने कहा कि यह कार्यदायी संस्था की जिम्मेदारी भी बनती है कि सी.एम.ओ. से धन अवमुक्त हो जाने पर यदि उन्हें समय से धन की प्राप्ति नहीं होती है, तो इसकी सूचना माहनिदेशक स्वास्थ्य को बताते हुए उनके संज्ञान में भी लाया जाय। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रत्येक योजना पर समयबद्ध तरीके से कार्य गुणवत्ता पूर्ण होना चाहिए।
उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सभी कार्य मार्च, 2016 तक पूर्ण हो जाने चाहिए तथा किसी कार्यदायी संस्था द्वारा गुणवत्ता से समझौता बर्दास्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इतने महत्वपूर्ण जनमानस से जुड़े हुए कार्यों में आपका अधिनस्थ अधिकारी भी ठेकेदार के भरोसे रहकर कार्य करवाता है, जो उचित नहीं है। आपका आदमी हर समय निर्माण स्थल पर मौजूद होना चाहिए जिससे सीमेन्ट बजरी के अनुपात का सही मिश्रण करवा सकें। क्योंकि यह सीमेन्ट कंक्रीट का कार्य है। जरा सी लापरवाही में जन हानि भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि अवस्थापना वाला कार्य बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें किसी भी प्रकार की कोताही एवं लापरवाही अक्षम्य होगी। उन्होंने कार्यदायी संस्था पेयजल निर्माण निगम से कहा कि स्वास्थ्य विभाग के सबसे ज्यादा कार्य पेयजल निर्माण निगम के पास हैं। यदि लोन लेकर कार्य कर रहे हैं तो कार्य शत प्रतिशत पूर्ण होना चाहिए। उन्होंने सभी कार्यदायी संस्थाओं को निर्देशित किया कि मानकों के अनुसार कार्य करें, तथा स्टैण्डर्ड को मेंनटेन करना आवश्यक है।
बैठक में उन्होंने डी.जी.स्वास्थ्य को निर्देश दिये कि पूरे प्रदेश में दूर-दूर स्थनों पर स्वास्थ्य विभाग के निर्माण कार्य चल रहे हैं। इसलिए प्रोजैक्ट मैनेजर का विजिट समय-समय पर करवायें जिससे वह कार्य की गुणवत्ता परख सके। इसके साथ ही उन्होंने डी.जी.स्वास्थ्य को भी निर्देशित किया कि अपने स्तर से सी.एम.ओ. को सूचित करें कि जो भी पैंसा निर्माण कार्यों के लिये शासन द्वारा उन तक पहुचता है। उसे तीन दिन के अन्दर कार्यदायी संस्था को उपलब्ध कराया जाय। जिससे निर्माण कार्य बाधित न हो। उन्होंने महानिदेशक स्वास्थ्य से कहा कि उक्त निर्माण कार्यों के लिये जो पुनरक्षित बजट देना है, उसका प्रस्ताव शासन को तुरन्त दिया जाय। जिससे पुनरक्षित बजट अवमुक्त हो सके। इसके साथ ही उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं को निर्देश दिये कि उपयोगिता प्रमाण पत्र की मूल प्रति महानिदेशक स्वास्थ्य एवं उसकी प्रति सी.एम.ओ को भी उपलब्ध करायी जाये।
बैठक में महानिदेशक स्वास्थ्य डाॅ0 आर.पी.भट्ट ने मंत्री जी के सम्मुख निर्माणाधीन भवनों की स्थिति रखी जिसमें प्रदेश के 15 राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय, 21 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा 1 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का उच्चीकरण, 1 सी.एम.ओ. कार्यालय भवन, 5 तहसील स्तरीय कार्य, 4 बेस चिकित्सालय, 13 आवासीय भवन, 10 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 1 ब्लड बैंक, खटीमा, ऊधम सिंह नगर, 1 ट्रामा सेन्टर टनकपुर, चम्पावत, 1 शव विच्छेदन गृह पौड़ी, 2 उपकेन्द्र एक मिरचैड़ा, पौड़ी में निर्माणाधीन है। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि उक्त 80 कार्यों में से 10 कार्य अभी अनारम्भ हैं। जिसमें 3 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 1 सा0स्वा0केन्द्र का उच्चीकरण, 1 सी.एम.ओ. कार्यालय भवन, 2 बेस चिकित्सालय, 1 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 2 उपकेन्द्र हैं। इनके साथ ही उन्होंने मंत्री जी को यह भी अवगत कराया कि 9 कार्यों पर जिसमें सी.एच.सी. आवासीय भवन, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में 90 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण हो चुके हैं। तथा 44 कार्य 50 से 90 प्रतिशत की स्थिति में हैं तथा 17 कार्य 50 प्रतिशत की स्थिति पर निर्माणाधीन हैं।