नई दिल्ली: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस अवसर पर एक समारोह के साथ विश्व तपेदिक दिवस की शुरुआत की, और 2025 तक देश में तपेदिक को खत्म करने की प्रतिबद्धता दोहराई। स्वास्थ्य सचिव सुश्री प्रीति सूदन ने समारोह की अध्यक्षता की। उन्होंने तपेदिक रोगियों से निपटने के दौरान अधिक संवेदनशील और जिम्मेदार डॉक्टरों, पैरामेडिक्स, अग्रिम पंक्ति स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और सामुदायिक भागीदारों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि तपेदिक के मरीजों की देखभाल की व्यवस्था धैर्यपूर्वक होनी चाहिए और उनकी भलाई के प्रति सहानुभूति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सुदृढ़ स्वास्थ्य सेवाओं, विशेष रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य स्तरों के कारण पोलियो, यॉज़, एमएनटीई से मुक्त होने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों के साथ साझेदारी भारत को तपेदिक-मुक्त बनाने की कुंजी है।
उन्होंने कार्यक्रम के प्रतिभागियों को भारत को तपेदिक मुक्त बनाने की दिशा में योगदान और समर्थन करने के लिए एकजुट होने का संकल्प दिलाया।
आयोजन के दौरान की गई विभिन्न प्रस्तुतियों ने देश में तपेदिक के नीतिगत परिदृश्य में पेश किए गए महत्वपूर्ण बदलावों पर प्रकाश डाला। भारत अब 2018 में अधिसूचित 21.5 लाख नए तपेदिक रोगियों के साथ तपेदिक के सभी मामलों को कवर करने के लिए बेहद करीब है। नि:शुल्क निदान और उपचार सेवाओं के लिए सार्वभौमिक पहुंच के उद्देश्य से पथ प्रदर्शक नीतियां बनाई गई हैं। यूनिवर्सल ड्रग सस्पेसेबिलिटी परीक्षण आरंभ किया गया है, छोटे और नए उपचार की व्यवस्था का देशव्यापी विस्तार किया गया है। भारत एक इंजेक्शन मुक्त व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। निजी क्षेत्र के जुड़ाव को मजबूत प्राथमिक उपायों, सहयोगी प्रोत्साहन और सफल पेशंट प्रोवाइडर स्पोर्ट एजेंसी (पीपीएसए) के उपाय के साथ सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है, जिसके कारण निजी क्षेत्र से तपेदिक अधिसूचना में 35% की वृद्धि हुई है। निक्षय पोषण योजना ने अप्रैल 2018 से डीबीटी के रूप में संवितरित 240 करोड़ रुपए की मदद के साथ 15 लाख तपेदिक रोगियों को लाभान्वित किया है। सूचना देने, शिकायतों पर ध्यान देने, रोगी संबंध और प्रदाता संबंध के लिए एक व्यापक कॉल सेंटर (1XXX-XX-6666) स्थापित किया गया है। संघीय प्रतिस्पर्धा उत्पन्न करने, प्रेरित करने और राज्यों और जिलों से सक्रिय कार्यों को लाने हेतु तपेदिक मुक्त स्थिति के लिए पुरस्कार की संस्थागत प्रणाली की शुरूआत की गई है। अभी तक 15 लाख रोगियों को फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) व्यवस्था शुरू की गई है। राज्यों में विभिन्न स्तरों पर तपेदिक संगठन का गठन कलंक को दूर करने और बीमारी के लक्षणों और सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में उपलब्ध नि:शुल्क उपचार के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए किया गया है। ग्रामीण स्तर पर 4 लाख उपचार सहायता केंद्रों के साथ देशभर में 1180 सीबीएनएएटी प्रयोगशालाएं संचालनगत की गई हैं। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप उपचार सफलता दर (2017-2018) में 25% से बढ़कर 83% हो गई है, और तपेदिक की व्यापकता दर 29% से घटकर 4% पर आ गई है।
राज्यों के तपेदिक से मुक्त हुए मरीजों ने तपेदिक रोगी होने के कलंक से उबरने और अन्य रोगियों को यह उपचार करने के लिए प्रेरित करने से संबंधित अपनी कहानियों को साझा किया। समारोह में इंडियन जर्नल ऑफ ट्यूबरकुलोसिस के तपेदिक पर एक विशेष अंक और रोगी प्रदाता सहायता एजेंसी पर एक टूलकिट का भी अनावरण किया गया।
इस कार्यक्रम में अतिरिक्त महासचिव और महानिदेशक (आरएनटीसीपी और एनएसीपी) श्री संजीव कुमार और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं अन्य विकास भागीदारों, सामुदायिक सहायता संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल थे।