नई दिल्ली: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 31 जनवरी, 2017 को चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 अधिसूचित कर दिए हैं। नए नियम ग्लोबल हार्मोनाइजेशन टॉस्क फोर्स (जीएचटीएफ) फ्रेमवर्क के अनुरूप बनाए गए हैं और सर्वोत्कृष्ट अंतर्राष्ट्रीय पद्धतियों की पुष्टि करते हैं। नए नियमों का लक्ष्य भारत में निर्माण यानी मेक इन इंडिया के मार्ग की नियामक कठिनाइयों को दूर करते हैं, व्यापार में सुगमता लाने में सहायक हैं और बेहतर रोगी देखभाल एवं सुरक्षा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करते हैं।
नए नियमों के अंतर्गत चिकित्सा उपकरण विनिर्माताओं को जोखिम अनुपात नियामक अपेक्षाएं पूरी करनी होंगी, जिनका उल्लेख नियमों में किया गया है और जो अंतर्राष्ट्रीय पद्धतियों के अनुरूप हैं।
चिकित्सा उपकरणों में नियमन में सर्वोच्च व्यावसायिकता लाने के लिए अधिसूचित निकायों के ज़रिए तृतीय पक्ष समरूपता मूल्यांकन और प्रमाणन की व्यवस्था की गई है।
नियमों में चिकित्सा उपकरण विनिर्माताओं द्वारा आत्म-अनुशासन की संस्कृति विकसित करने की अपेक्षा की गई है और तदनुरूप श्रेणी ए के चिकित्सा उपकरणों के लिए विर्माण लाइसेंस विनिर्माण स्थल की पूर्व जांच किए बिना ही मंजूर कर दिए जायेंगे। ऐसे मामलों में विनिर्माता को अपेक्षाएं पूरी करने के बारे में स्वयं प्रमाणपत्र देना होगा। परन्तु बी और सी श्रेणी के चिकित्सा उपकरणों के मामले में अधिसूचित निकायों द्वारा पूर्व जांच अनिवार्य होगी।
नए नियमों में कई अन्य विशिष्टताएं हैं। यह पहला अवसर है कि लाइसेंस का समय-समय पर नवीकरण कराने की आवश्यकता नहीं होगी। तदनुरूप विनिर्माण या आयात लाइसेंस तब तक वैध समझे जाएंगे, जब तक कि उन्हें निलंबित या रद्द नहीं कर दिया जाता।