30 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

स्वस्थ बच्चे ही सक्षम नागरिक बनकर देश एवं प्रदेश के विकास में सक्रिय योगदान कर सकते हैं: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि स्वस्थ बच्चे ही सक्षम नागरिक बनकर देश एवं प्रदेश के विकास में सक्रिय योगदान कर सकते हैं। बच्चों का सर्वांगीण विकास उत्तर प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। बच्चे स्वस्थ रहें, इसके लिए आवश्यक है कि गर्भावस्था के समय से ही गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण का ध्यान रखा जाए तथा बच्चांे में समय से कुपोषण की पहचान कर उसके निराकरण के प्रभावी उपाय किए जाएं। उन्होंने कहा कि कुपोषण से मुक्ति के लिए समाज के सभी लोगों को सहभागी बनना होगा, तभी हम स्वस्थ भारत एवं समर्थ भारत की संकल्पना को साकार कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री जी ने यह विचार आज यहां साइंटिफिक कन्वेंशन सेण्टर, के0जी0एम0यू0 में पोषण अभियान तथा सुपोषण स्वास्थ्य मेले के शुभारम्भ अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के 06 विभागों (आई0सी0डी0एस0, बेसिक शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्राम्य विकास, खाद्य एवं रसद तथा पंचायतीराज) के समन्वय से पोषण अभियान तथा सुपोषण स्वास्थ्य मेले की शुरुआत की जा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है और देश की कुल आबादी की 17 प्रतिशत आबादी यहां निवास करती है। बड़ा प्रदेश होने के कारण हमारे सामने चुनौतियां भी अधिक हैं, लेकिन जब हम टीम वर्क से काम करते हैं तो चुनौतियों से लड़ने का बल भी मिलता है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश से कुपोषण को समाप्त करने के उद्देश्य से आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा 08 मार्च, 2018 को राजस्थान से ‘पोषण अभियान’ का शुभारम्भ किया गया था। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता भी एक आवश्यक तत्व है। जापानी इंसेफेलाइटिस बीमारी का मुख्य कारण गंदगी है। स्वच्छता अपनाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। 02 अप्रैल से 30 अप्रैल, 2018 तक प्रदेश के 38 जिलों में व्यापक स्वच्छता अभियान चलाया गया, जिससे इस वर्ष वेक्टर जनित बीमारियों में काफी कमी आयी है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एक व्यक्ति की अच्छी सोच पूरी व्यवस्था की धुरी बदल सकती है। उन्होंने बस्ती जनपद के एक प्राइमरी स्कूल का जिक्र करते हुए कहा कि यहां के प्रधानाध्यापक द्वारा इस स्कूल में बुनियादी सुविधाओं के साथ ही इसका आधुनिकीकरण भी किया गया है। इसके परिणामस्वरूप इस विद्यालय का चयन राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए हुआ है। उन्होंने कहा कि यह एक उदाहरण है कि जो मानवीय संवेदना के साथ काम करेगा तो उसके परिणाम भी सकारात्मक आएंगे।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब वे सांसद थे, तब उन्हें कुशीनगर में भूख से हुई लोगों की मृत्यु पर काफी दुःख हुआ था। इसीलिए जब वे मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने राशन कार्डों का सत्यापन कराया तथा उन्हें आधार से लिंक कराया। अब तक 30 लाख से अधिक फर्जी राशन कार्ड प्राप्त हुए, जिन्हें निरस्त कराया गया। उन्होंने कहा कि राशन की दुकानों में ई-पाॅस मशीन लगवायी। 13 हजार मशीन लगने के बाद करीब 350 करोड़ रुपए की बचत हुई। जब प्रदेश के सभी 80 हजार कोटे की दुकानों में मशीनें लग जाएंगी तो 2000 करोड़ रुपए की बचत होगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में राशन वितरण व्यवस्था में बीच के लोगों को अलग करने के लिए कार्य किया जा रहा है, जिससे रुपए सीधे लाभार्थी के खाते में जाएं और वे अपनी इच्छानुसार खुले बाजार से कहीं से भी अनाज ले सके। उन्होंने कहा कि यह आंकड़े बताते हैं कि तकनीक को अपनाकर ही भ्रष्टाचार पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री जी ने वृक्षारोपण कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि लोगों को सहजन का पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सहजन की सब्जी स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होती है। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज, विशेषकर रागी काफी पोषक होता है। मोटे अनाज के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

ज्ञातव्य है कि इस पोषण अभियान का उद्देश्य 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण की रोकथाम, बौनापन एवं व्याप्त एनीमिया की स्थिति में सुधार, 15 से 49 वर्ष की किशोरियों और महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता में कमी लाना तथा जन्म के समय बच्चों के कम वजन की स्थिति में प्रतिवर्ष 2 से 3 प्रतिशत की कमी लाना है। राज्य सरकार ने प्रत्येक माह के प्रथम बुधवार को प्रदेश में कुल 21 हजार 730 उपकेन्द्रों पर स्वास्थ्य स्वच्छता पोषण दिवस की ब्राण्डिंग करते हुए ‘सुपोषण स्वास्थ्य मेले’ के आयोजन का अभिनव प्रयोग किया है।

इस अवसर पर बाल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती अनुपमा जैसवाल ने कहा कि कुपोषण से सम्बन्धित प्रदेश के आंकड़े भी पूरे भारत के आंकड़ों की तुलना में कमजोर हैं। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में बौनेपन का प्रतिशत 38.40 है, तो उत्तर प्रदेश में 46.30 प्रतिशत है। इसी प्रकार पूरे भारत में 58.40 प्रतिशत अल्परक्तता के सापेक्ष उत्तर प्रदेश में 63.20 प्रतिशत अल्परक्तता है। इस सबका एक प्रमुख कारण जन्म के पश्चात् शुरुआती 2 वर्षाें तक बच्चों का समुचित पोषण न होना है। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में माताओं द्वारा आयरन टैबलेट सेवन का प्रतिशत 30.3 है, जबकि प्रदेश में मात्र 12.9 प्रतिशत है। कुपोषण को दूर करने के लिए सभी को इस मिशन को जनान्दोलन से जोड़ना होगा।

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More