नई दिल्ली: ग्रीष्म लहर कार्य योजना की तैयारी के बारे में एक राष्ट्रीय कार्यशाला आज हैदराबाद में शुरू हुई। इस दो दिवसीय कार्यशाला का इस वर्ष गीष्म लहर की मार से प्रभावी तरीके से निपटने के उद्देश्य से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा तेलंगाना सरकार के सहयोग से आयोजन किया जा रहा है।
इस कार्यशाला का उद्देश्य पिछले साल तैयार की गई और परिचालित ‘कार्य योजना की तैयारी के लिए एनडीएमए के दिशा-निर्देश – ग्रीष्म लहर की रोकथाम और प्रबंधन’ के अनुसार राज्यों को अपनी ग्रीष्म लहर कार्य योजनाओं को तैयार करने के लिए संवेदनशील बनाना है।
उचित समय पर आयोजित इस कार्यशाला से 2017 के लिए ग्रीष्म लहर की आशंका वाले राज्यों को अपनी योजनाएं तैयार करने में मदद मिलेगी क्योंकि देश के विभिन्न भागों में ग्रीष्म लहर की मार मार्च के अंतिम पखवाडे में शुरू हो जाती है। पिछले वर्ष गर्मी से बुरी तरह प्रभावित कुछ राज्यों में ग्रीष्म कार्य योजना के प्रभावी क्रियान्वयन से देश में गर्मी की लहर से होने वाली मौतों की संख्या में लगभग 50 प्रतिशत कमी आई थी।
इस अवसर पर एनडीएमए के सदस्य श्री आर. के. जैन ने कहा कि वर्ष 2015 में ग्रीष्म लहर के कारण हुई मौतों की संख्या किसी अन्य आपदा के कारण हुई मौतों की तुलना में कहीं अधिक रही थी। इस पृष्ठभूमि में एनडीएमए ने 2016 में ग्रीष्म लहरों के प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए। एनडीएमए ने सभी हितधारकों, विशेष रूप से राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों के साथ गर्मी की संभावनाओं वाले राज्यों द्वारा की गई तैयारियों और कार्रवाई की बड़ी नजदीकी से समीक्षा और निगरानी की, क्योंकि ये राज्य गर्मी के कारण होने वाली मौतों में भारी गिरावट लाने में समर्थ रहे थे।
एनडीएमए के अन्य सदस्य डॉ. डी.एन. शर्मा ने कहा अग्रिम योजना और तैयारियों तथा सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी से न केवल मौतों को बल्कि ग्रीष्म लहरों के कारण होने वाली बीमारियों को भी कम किया जा सकता है। ग्रीष्म लहरों की रोकथाम और प्रबंधन के बारे में एक प्रस्तुति देते हुए एनडीएमए के संयुक्त सचिव डॉ. वी. थिरूप्पुगाज ने ग्रीष्म कार्य योजनाओं और मजबूत डेटाबेस के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि गर्मी की लहरों के प्रभाव को कम करने के लिए समुदायों को संवेदनशील बनाने के लिए जागरूकता अभियानों की जरूरत थी।
एमसीआर – एचआरडी संस्थान, हैदराबाद के एडीजी डॉ. के. तिरूपतियाह ने गर्मी की लहरों के प्रभाव को कम करने के लिए स्वदेशी परंपराओं और ज्ञान को पुनर्जीवित करने के महत्व का जिक्र करते हुए जागरूकता का संदेश फैलाने के काम में बच्चों और पंचायती राज्य संस्थानों को शामिल करने की जरूरत बताई।
ग्रीष्म लहर कार्य योजना और जोखिम न्यूनीकरण पर पहले तकनीकी सत्र में गर्मी की लहरो की रोकथाम और प्रबंधन के लिए ग्रीष्म कार्य योजनाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया। दूसरे सत्र में आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, ओडिशा और महाराष्ट्र ने दूसरे राज्यों को ग्रीष्म लहर कार्य योजनाओं को तैयार कराने में हुए अपने अनुभव और श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को साझा किया। ये राज्य सबसे अधिक गर्मी से प्रभावित राज्य हैं जो बेहतर तैयारी और उचित उपायों के द्वारा ग्रीष्म लहरों के प्रभाव को काफी हद तक कम करने में सक्षम रहे हैं।
पूर्व चेतावनी और गर्मी की लहरों के पूर्वानुमान पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता एनडीएमए के सदस्य डॉ. डी. एन. शर्मा ने की। उन्होंने व्यापक पूर्वानुमानों के साथ-साथ क्षेत्र विशेष और कम दूरी के क्षेत्र के बारे में पूर्वानुमान लगाए जाने के महत्व पर ध्यान दिया गया ताकि किसी क्षेत्र विशेष की तात्कालिक जरूरत को समझने के साथ-साथ पूरे ग्रीष्म कालीन सीजन के लिए सबसे उपयुक्त शमन उपायों को समझने में अधिकारियों को मदद मिले।
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