नई दिल्लीः राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) में दार्जिलिंग टी एसोसिएशन की वार्षिक आम बैठक को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि दार्जिलिंग टी एसोसिएशन की वार्षिक आम बैठक में आकर वह बहुत खुश हैं। उन्होंने अनूठे ब्रांड नाम ‘दार्जिलिंग टी’ को बरकरार रखने के लिए दार्जिलिंग टी एसोसिएशन की प्रशंसा की और कहा कि यह नाम अनेक देशों के लोगों की नाश्ता टेबल की स्वागत योग्य वस्तु बनी हुई है।
राष्ट्रपति ने कहा कि चाय भारत की एक महत्वपूर्ण निर्यात वस्तु है और चाय निर्यात को बढ़ावा देना भारत की योजित आर्थिक विकास का एक प्रमुख तत्व है। चाय के उत्पादन में भारत का चीन के बाद दूसरा स्थान है। विशेष रूप से कदरदानों में चाय की सभी किस्मों में दार्जिलिंग चाय का विशिष्ट स्थान है।
श्री मुखर्जी ने वस्तुओं के भौगोलिक संकेत (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 1999 के अधीन देश के पहले भौगोलिक संकेत के रूप में दार्जिलिंग चाय के पंजीकरण के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के अलावा टी बोर्ड के साथ भी मिलकर काम करने के लिए दार्जिलिंग टी एसोसिएशन और गोरखा प्रादेशिक प्रशासन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग चाय भारत का वह पहला उत्पाद है जिसे यूरोपिय आयोग द्वारा एक संरक्षित भौगोलिक संकेतक के रूप में मान्यता प्राप्त है। राष्ट्रपति ने कहा कि दार्जिलिंग चाय अब दुनिया में चाय के श्रेष्ठ ब्रांड का पर्याय बन चुकी है जिसका उद्भव देश के एक खूबसूरत पर्यटन स्थल दार्जिलिंग में हुआ है।