देहरादून: परम आदरणीय महामहिम राज्यपाल उत्तराखण्ड, परम आदरणीय राज्य आन्दोलनकारी, राज्य आन्दोलन के शहीदों के सम्मानित कुटम्बीजन, आदरणीय बुजुर्गो, बहिनों और भाईयों,
राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष में आप सबको हार्दिक बधाई, और ढे़र सारी शुभकामनाएं। आईये हम सब, इस पुनित अवसर पर, अपने आपको, राज्य आन्दोलन के शहीदों के सपनों के उत्तराखण्ड के निर्माण हेतु, पुनः समर्पित करें। राज्य आन्दोलन की वर्षगांठ पर हम हमेशा आत्म-अवलोकन करते हैं, और मिलजुल कर आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं। आज भी हम सब मिलजुल कर राज्य को आगे ले चलने का संकल्प उठाने यहॉ एकत्र हुये हैं। हमारी सामुहिकता ही राज्य की शक्ति है। सामुहिकता की भावना को आगे बढ़ाना है।
चारधाम यात्रा की सफलता हमारे सामुहिक प्रयासों का ही प्रतिफल है। 2013.14 का टूटा-टूटा सा, सहमा-सहमा सा, बिखरा हुआ उत्तराखण्ड, आज पूरे उत्साह के साथ विकास की ओर अग्रसर है। देश की वार्षिक विकास दर के मुकाबले उत्तराखण्ड की विकास दर ढ़यौड़े से भी अधिक है। 2014 की नकारात्मक कृषि विकास दर, आज सकारात्मक होकर 5) प्रतिशत वार्षिक की दर से आगे बढ़ रही है। राज्य उद्योग क्षेत्र में, 16) प्रतिशत और सेवा क्षेत्र में 12) प्रतिशत की वार्षिक विकास दर बनाये हुये है। गरीबी, रोजगारहीनता, अभावजन्य पलायन और ढांचागत विकास की चुनौतियों का सामना करने के लिए, हमें उपरोक्त सभी क्षेत्रों में वर्तमान विकास दर में और बढ़ोत्तरी करनी है। हमारी निरन्तर चेष्ठा होनी चाहिए, राज्य के अन्दर सम्भावनाओं के सृजन के लिए Ease In Doing Business वातावरण बनाये रखने की। उत्तराखण्ड एक शान्तप्रिय राज्य है, इस पहचान को अक्षुण रखना है। राज्य में निवेश का वातावरण बनाने के लिए, इस समय आवश्यक वातावरण और सहयोगी तंत्र विकसित हो चुका है। यही कारण है सरकारी निर्णयों में पारदर्शिता व म्ेंम प्द क्वपदह ठनेपदमे के राष्ट्रीय मानकीकरण में, उत्तराखण्ड अग्रणी राज्यों में गिना जा रहा है। हमें इस पहचान को और आगे बढाना है। हमारे लोग श्रमशील हैं। इसी का नतीजा है कि, हमारे राज्य में प्रति व्यक्ति औसत आय की वृद्धि दर, राष्ट्रीय औसत आय वृद्धि दर की तुलना में, लगभग दोगुना है। हम इसे तेजी के साथ और ऊपर बढ़ाने तथा इसे समावेशी बनाने के लिए निरन्तर प्रयत्नशील हैं।
वर्ष 2014 के बाद समाज कल्याण विभाग द्वारा वितरित होने वाली कुल पेंशनों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। वर्ष 2014 में एक लाख 74 हजार के मुकाबले, इस समय 7 लाख से अधिक भाई-बहन कल्याण पेंशनों से लाभान्वित हो रहे हैं। इस समय हम, देश में, सर्वाधिक प्रकार की पेंशनें व पेंशन राशि देने वाले राज्य हैं। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है, अब इस समाज कल्याण पेंशन परिवार में, पुरोहित वर्ग व सगुन अक्षर (मांगलिक गीत) गाने वाली बहनें भी सम्मिलित हो गयी हैं। जगरिये और डंगरिये भी अब समाज कल्याण पेंशन का लाभ उठायेंगे। इस हेतु आवश्यक निर्देश जारी कर दिये गये हैं। इन सभी प्रकार की पेंशनों का लक्ष्य, अपने राज्य के जरूरतमंद लोगों को सामाजिक अधिकारिता देना है। इन पेंशन योजनाओं का एक और लक्ष्य, आजीविका आधारित पेशे को सम्मान देना भी है। हमने एक और कल्याण योजना में मनरेगा श्रमिकों, ओड़ों, मिस्त्रीयों व लोहारों के साथ-साथ सभी निर्माण श्रमिकों को जोड़ा है। इस कल्याण योजना में श्रमिक की मृत्यु व घायल होने, शिक्षा एवं मकान बनाने, पुत्र-पुत्री विवाह आदि हेतु सहायता दी जाती है। श्रम विभाग द्वारा संचालित इस योजना से 1.50 लाख से अधिक पंजीकृत श्रमिक भाई-बहन लाभान्वित हो रहे हैं। वृद्ध श्रमिकों के लिए श्रम विभाग के तहत, एक पृथक पेंशन योजना भी संचालित हो रही है। हमें राज्य पर पड़ रहे व्यय भार की परवाह किये बिना इस प्रकार की सभी पेंशनों, जिसमें समाज कल्याण विभाग की पेंशनें भी सम्मिलित हैं, निरन्तर वृद्धि करनी है। वर्ष 2017-18 में इस प्रकार की सभी पेंशन धारकों की पेंशनों में दो गुना वृद्धि किया जाना राज्य के सर्वांगीण समावेशी विकास के लिए आवश्यक है। हम राज्य के संसाधनों को बढ़ाकर इस हेतु धन जुटायेंगे।
बहनों व भाईयों सौभाग्य से इस समय उत्तराखण्ड महिला आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में सर्वाधिक यत्नशील राज्य है। उत्तराखण्ड में एक ओर महिला स्वंय सहायता समूहों और महिला मंगल दलों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आर्थिक कार्यक्रमों से जोड़ा जा रहा है। वहीं महिलाओं के बीच में ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत आशाओं, आंगनबाड़ियो, भोजनमाताओं, समाख्याओं को निरन्तर प्रोत्साहित कर उनके मानदेय व सुविधाओं में वृद्धि की जा रही है। आने वाले समय में महिला स्वंय सहायता समूहों सहित, इन सभी संवर्गो को सामुहिक सुरक्षा एवं आर्थिक सशक्तिकरण हेतु, अंशदायी बीमा योजना तथा रिवालिंग फंड- अनुसंरक्षण योजना से जोड़ा जायेगा। महिला सशक्तिकरण की दिशा में राज्य द्वारा व्यय की जा रही राशि को दो गुना किया जायेगा।
मुख्यमंत्री महिला सत्त आजीविका योजना से परित्यक्ता, विकलांग एवं सभी निराश्रित/विधवा व निर्बल वर्ग की महिलाओं को शत-प्रतिशत आच्छादित किया जायेगा। इन वर्गो की बहनों को स्टाईफन आधारित प्रशिक्षण एवं प्रशिक्षण उपरान्त व्यवसाय हेतु आवश्यक कार्यशील पूंजी उपलब्ध करवायी जा रही है। इन्दिरा अम्मा कैन्टीन योजना तथा महिलाओं के लिए नई दिशा योजना में विकसित किये जा रहे हैण्डीक्राफ्ट, हैण्डलूम व एपण कलस्तर, निम्न आय वर्ग की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने में सफल हो रहे हैं। महिलाओं के प्रशिक्षण हेतु नन्दा देवी सेन्टर आफ एक्सिलेन्स फॉर हैण्डलूम एवं नैचुरल फाईबर तथा निशबड़ को दायित्व सौंपा गया है। राज्य में दस हजार महिला संकुल अस्तित्व में लाने हेतु महिला क्राफ्ट, हैण्डलूम व फूड़ सराय विकसित करने हेतु, योजनाबद्ध प्रयास किये जा रहे हैं। प्रत्येक महिला स्वंय सहायता समूह को सीड कैपिटल के तौर पर 5 हजार, सामुहिक निवेश निधि में 20 हजार व 1 लाख रूपये की सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। राज्य की समस्त जरूरतमंद महिलाओं को राज्य की किसी न किसी कल्याणकारी योजना से लाभान्वित किया जा रहा है। वर्ष 2020 तक महिला स्वालम्बन एवं आर्थिक अधिकारिता के लक्ष्य को पूर्णतः प्राप्त करना हमारा सामुहिक विनिश्चय है। छात्रा शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए, विमुक्त जातियों, अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजातियों, अति पिछड़ा वर्ग व अन्य पिछड़ा वर्ग तथा अल्प संख्यक वर्ग के समुदायों की लड़कियों के लिए लक्ष्यगत छात्रवृति योजनाऐं प्रारम्भ की गयी हैं। राज्य इस दिशा में निर्धारित शताब्दी लक्ष्यों को प्राप्त करें, इस हेतु इन वर्ग की लड़कियों को शिक्षा-उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा के लिए विशेष रूप से प्रेरित किया जा रहा है। हमें शिशु मृत्यु दर और जननी मृत्यु दर को घटाकर आधा करना है, इस हेतु उत्तराखण्ड सरकार वर्ष 2020 को लक्ष्य मानकर कार्य कर रही है। हमें हर हाल में प्रदर रोग व खून की कमी से होने वाली महिला मृत्यु को रोकना है, इस दिशा में राज्य ने तीन वर्ष का कार्यक्रम प्रारम्भ किया है। 12 वर्ष से उपर की बच्चियों को सेनेट्री नेपकिन वितरण योजना भी इसी लक्ष्य के साथ जुड़ी हुई है। राज्य के स्वास्थ्य संगठकों, जैसे दाई मॉ, आशा व आशा फेसिलेटेटर ए0एन0एम0 सिस्टम को और संगठित किया जा रहा है। इनके माध्यम से प्रारम्भिक स्वास्थ्य लक्ष्यों के साथ-साथ स्वच्छ व स्वस्थ भारत अभियान के संचालन में भी मदद ली जा रही है। उत्तराखण्ड को इस वर्ष के अन्त तक खुले में शौच की समस्या से लगभग मुक्त कर दिया जायेगा। ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवाओं में हम निरन्तर सुधार ला रहे हैं। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का व्यापक लाभ हमारे प्रत्येक परिवार को प्राप्त हो इस हेतु एम0एस0बी0वाई0 के कार्ड बनाने का कार्य प्रगति पर है।
मैं आज यह कहने की स्थिति में हॅू कि वर्ष 2020 तक उत्तराखण्ड का कोई भी परिवार गरीबी की रेखा के नीचे नही रहेगा। इस हेतु आधुनिक कृषि और पारम्परिक कृषि एवं बागवानी के संवर्द्धन के 19 नये इन्सियेटिव प्रारम्भ किये गये हैं। पारम्परिक फसलों को, बोनस और समर्थन मूल्य निर्धारित कर प्रोत्साहित किया जा रहा है। जल संग्रहण का एक व्यापक अभियान प्रारम्भ किया जा चुका है। मैं इस अवसर पर ‘‘स्टेट मिशन फॉर रिजुविनेशन ऑफ स्प्रिंग्स इन उत्तराखण्ड’’ को घोषित करता हॅू। इस योजना के तहत 5 हजार प्राकृतिक श्रोतों को पुर्नजीवित किया जायेगा। विभिन्न विभागों को इस हेतु आवश्यक धन उपलब्ध करवा दिया गया है या करवाया जा रहा है। हरेला कार्यक्रम पर्याप्त लोक प्रिय हुआ है। इस कार्यक्रम के संचालन हेतु एक पृथक धनराशि रखी जा रही है। जिसके तहत चौड़ी पत्ती, चारा प्रजाति, नट व रेशा विरादरी के वृक्षों व पौधां का व्यापक लक्ष्यगत रोपण किया जायेगा। राज्य के गैर सिंचित क्षेत्रों में, कलस्टर आधारित कृषि, बागवानी व जड़ी-बूटी उत्पादन को कई योजनाओं के माध्यम से बढ़ाया जा रहा है, और इस हेतु एक गांव, एक खेत की अवधारणा को जिला योजनाओं के माध्यम से क्रियान्वित किया जायेगा तथा इस हेतु जिला योजना में पृथक से धनराशि की व्यवस्था की जा रही है। पर्वतीय क्षेत्रों में हो रहे विभिन्न उत्पादों को, मार्केट संरक्षण मिलना आवश्यक है। इस हेतु मण्डी एक्ट में व्यापक परिवर्तन लाकर पर्वतीय क्षेत्रों के छोटे बाजारों/उत्पादन केन्द्रों को मण्डी व्यवस्था से जोड़ा जा रहा है। वानिकी, जड़ी-बूटी संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु, उत्तराखण्ड के वनों और पंचायती वनों को पुराने वन स्वरूप में लाना अत्यधिक आवश्यक, मगर दुष्कर कार्य है। मुझे खुशी है कि वन विभाग द्वारा इस नीति पर उत्साहपूर्वक काम किया जा रहा है।
पर्यटन को राज्य की आजीविका का आधार बनाने के लिए इको टूरिज्म, विलेज टूरिज्म, योगा व हैल्थ टूरिज्म, कल्चरल टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म, लेजर टूरिज्म तथा धार्मिक टूरिज्म की समुचित योजना बनाकर दर्जनों टूरिस्ट सर्किट विकसित किये जा रहे हैं। राज्य आज जिस दिशा में काम कर रहा है, उस दिशा पर चलते हुये हम पर्यटन के क्षेत्र में एक बड़े नाम बनकर उभरेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। हमें लक्ष्यगत तरीके से आगे बढ़ते हुये अगले तीन वर्षो में तीन गुना अधिक अभ्यागतों का उत्तराखण्ड में स्वागत करना है। चारधाम यात्रा, अर्द्धकुम्भ व कांवड यात्रा के सफल संचालन ने एक सुरक्षित-सुविधायुक्त उत्तराखण्ड का संदेश सारे देश व दुनिया में दिया है। आज उत्तराखण्ड के दूर दराज के क्षेत्र भी पर्यटकों से गुंजायमान हैं। चारधाम यात्रा को वर्षभर संचालित करने की दिशा में देवताओं के शीतकालीन आवास गन्तब्यों में सुविधा विस्तार किया जा रहा है। वर्ष 2014 में 15 घण्टे विद्युत उपलब्धता से बढ़कर, आज हम औसतन प्रतिदिन 23 घण्टे बिजली उपलब्ध करवा रहे हैं। मगर अभी राज्य के 87 प्रतिशत परिवार ही बिजली पोषित हैं। हमें अगले एक वर्ष में शत-प्रतिशत परिवारों को विद्युत पोषित करना है और 24 घण्टे बिजली उपलब्ध करवाने का कानून बनाना है। इस हेतु राज्य सरकार 5 सूत्रीय कार्य नीति पर काम कर रही है। मुझे खुशी है कि राज्य शीघ्र लखवाड़ परियोजना पर भी काम प्रारम्भ करने जा रहा है। सोलर इनर्जी के क्षेत्र में वर्ष 2017 तक 200 मेगावाट बिजली उत्पादित होने लग जायेगी। दो हजार नौजवानों का चयन सोलर इनर्जी वेंडर के रूप में किया जा चुका है। इस योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है, ग्रामीण सहभागिता से सुक्ष्म जल विद्युत योजनायें भी स्थापित हो रही हैं।
राज्य में हवाई, सड़क और रेल मार्गों के निरन्तर विस्तार व सुधार की योजना पर काम हो रहा है। राज्य बनते वक्त 180 करोड़ व्यय करने वाला लोक निर्माण विभाग इस वर्ष 26 सौ करोड़ से ज्यादा व्यय करने जा रहा है। लोक निर्माण विभाग/आर0ई0एस0, ग्राम्य विकास, वन आदि विभागों द्वारा, इस वर्ष 1 हजार से अधिक सड़कों पर काम किया जायेगा। जिनमें से लगभग आधी सड़कों पर काम प्रारम्भ हो चुका है। लोक निर्माण विभाग द्वारा फ्लाईओवर, अण्डरपास और रेलवे ओवर ब्रिज, सुरंग निर्माण की योजनायें तैयार कर उस पर काम किया जा रहा है। वर्ष 2014 के बाद हमने लगभग 600 सड़कों के निर्माण हेतु वनभूमि परिवर्तन की स्वीकृति प्राप्त की है। 1054 कार्यो के प्रस्तावों को ऑनलाइन किया है। राज्य का लक्ष्य 2018 तक सड़कों से असम्बद्ध सभी चार हजार गॉवों को सड़कों से जोड़ना है। इस दिशा में 27 सौ सड़कों की स्वीकृति दी जा चुकी है। हम इस वर्ष अपने दूर-दराज के तीनों हवाई अड्डों के लिए, पन्तनगर और देहरादून से छोटे जहाज और लगभग 10 हैलीपैडों के लिए नियमित हैली सर्विसेज प्रारम्भ करने जा रहे हैं। राज्य में सुगम और दु्रत आवागमन क्षेत्रीय विकास के असन्तुलन को दूर करने में सहायक होगा।
हमने पिछले दो वर्षो में प्रत्येक नई योजना के क्रियान्वयन के साथ चार लक्ष्यों को जोड़ा है।
(1) नये रोजगार सृजन की क्षमता (2) स्थानीय परिवेश का संरक्षण (3) महिलाओं सहित निर्बल वर्ग के साथ योजना का जुड़ाव (4) राज्य परिसम्पति एवं आय सृजन क्षमता। इन चार मानकों की पूर्ति के लक्ष्य निर्धारण के प्रभाव स्वरूप, हम आज नीति संचालित राज्य के रूप में उभर रहे हैं। पिछले दो वर्षो में हमने प्रत्येक क्षेत्र में नीति निर्धारण पर जोर दिया है। राज्य ने खेल, पंचायती व्यवस्था, स्वास्थ्य, आई0टी0, जल विद्युत उत्पादन, टैक्सटाईल्स, मेगा इन्डस्ट्रियल पॉलिसी,एम0एस0एम0ई0 एवं स्टार्टअप पॉलिसी सहित प्रमुख क्षेत्रों में स्पष्ट नीति बनाकर इनवेस्टर्स का विश्वास जीता है। राज्य को इस क्षेत्र में सत्त सुधार लाने के लिए सचेष्ठ रहना पड़ेगा और इस हेतु भू-कानूनों सहित कई कानूनों में परिवर्तन व संशोधन आवश्यक है। इस दिशा में गठित नेगी कमेटी की रिपोर्ट की हम प्रतीक्षा कर रहे हैं।
परिवहन क्षेत्र को गतिशील बनाने, व उसके आधुनिकीकरण के लिए हमने परिवहन निगम को नई गाड़ियों का बीड़ा उपलब्ध करवाने के साथ सड़क-परिवहन क्षेत्र में व्यापक सुधारों व ट्रांसपोर्ट सैक्टर को मजबूत करने के लिए, कई फौरी व दीर्घकालिक कदम उठाये हैं। देहरादून- ऋषिकेश-हरिद्वार, मैट्रो-मोनो रेल का सपना साकार करने की दिशा में, मैट्रो कारपोरेशन का गठन व प्रबन्ध निदेशक की नियुक्ति की जा चुकी है। राज्य के शहरों, अर्द्ध शहरी वसासतों में पेयजल, सिवरेज व ड्रेनेज सेस्टम स्थापित करने के साथ-साथ कूड़ा निस्तारण, पार्कस व चौराहों का गठन चुनौतीपूर्ण कार्य है, इस दिशा में योजना बनाई जा रही है। हमें सुव्यवस्थित शहरीकरण को आगे बढ़ाना है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिये रिवर फ्रन्टडैवलैपमैन्ट सहित मलीन बस्तियों के नियमितीकरण व सुधार योजना पर कार्य प्रारम्भ हो चुका है। उत्तराखण्ड जन आवास योजना व छोटे स्मार्ट शहरों के विकास के लक्ष्य को यूहुडा के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है। जन आवास योजना में 35 हजार घर बनाने का लक्ष्य है।
अल्पसंख्यकों से सम्बन्धित सभी संस्थानों जैसे मदरसा बोर्ड, वक्फ बोर्ड आदि का गठन कर दिया गया है, कई पुरानी व नई योजनाओं के माध्यम से राज्य अल्पसंख्यको के आर्थिक व शैक्षिक सुधार के कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रहा है।
दलित व अति पिछडे़ वर्ग के भलाई के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाते हुये भूमि के पट्टे धारकों को मालिकाना हक देने का निर्णय इन वर्गों की भलाई की दिशा में एक बड़ा निर्णय है। विभिन्न श्रेणियों की भूमि के पट्टाधारकों व दिर्घकालिक कब्जेदारों को मालिकाना हक देना इन वर्गों की आर्थिक अधिकारिता की दिशा में बड़ा कदम है। सरकारी विभागों में रिक्त पड़े आरक्षित पदों को भरने का अभियान चलाया गया है और सभी पदों पर भर्ति हेतु अधियाचन किया जा चुका है। इस वर्ष अंत तक राज्य में लगभग सभी आरक्षित मगर रिक्त पड़े पद भर दिये जायेंगे।
रिटायर्ड सैनिकों व अर्धसैन्य बलों के भाईयों के कल्याणार्थ गठित योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने के लिये एक बोर्ड तथा एक दल गठित किया गया हैं। इन दोनों संगठनों को सेवारत व रिटायर्ड दोनों वर्गों के लिये संचालित योजनाओं का मूल्यांकन कर, उनमें अपेक्षित सुझाव देने का कार्य सौंपा गया है। राज्य अपने सैनिकों अर्धसैनिक बलों व पुलिस बल के वर्तमान व रिटायर्ड अधिकारियों व जवानों पर गर्व करता है और उनकी भलाई के कार्यों के लिये यथेष्ठ संसाधन जुटायेगा। राज्य स्थापना के महान दिवस के अवसर पर, पुनः हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई। मैं इस अवसर पर आप सब की ओर से, राज्य आन्दोलन के अमर शहीदों को भी शत्-शत् नमन करता हूँ। मैं अपने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों, देश की सीमाओं व देश की आन्तरिक सुरक्षा में शहीद हुये भाईयों की स्मृति को भी प्रणाम करता हूँ। धन्यवाद।