कलाकारः निशान, अनू कपूर, किशोरी शहाणे और सारण्या मोहन
डायरेक्टरः शैलेश वर्मा
रेटिंगः 2 स्टार
आज आधुनिकता के दौर में हम अपनी मिट्टी की महक से कोसों दूर हो जाते हैं, ऐसे समय में कबड्डी जैसा शब्द आना वाकई सुखद एहसास देता है. और अगर बॉलीवुड इस तरह की कोशिश करे तो इसे कमाल ही कहा जा सकता है. ऐसी ही मिट्टी की महक लिए हुए है ‘बदलापुर बॉयज’. आज जब एक बार फिर से कबड्डी का खेल अपने खोए अस्तित्व को नए ढंग से पाने में जुटा है, वहीं ‘बदलापुर बॉयज’ भी नई उम्मीद जगाती नजर आती थी. लेकिन कमजोर कहानी और खराब ट्रीटमेंट की वजह से फिल्म उस तरह दर्शकों के दिलों को छू नहीं पाती है. लेकिन इसे एक अच्छी कोशिश कहा जा सकता है.
फिल्म में स्टारकास्ट जानी-पहचानी नहीं है, बजट बड़ा नहीं है और पब्लिसिटी भी कोई जंबो वाली नहीं है. सब्जेक्ट ओरियंटेड फिल्मों के साथ यह समस्या रहती है और ‘बदलापुर बॉयज’ उससे अलग नहीं है. यह उत्तर प्रदेश के इलाके बदलापुर की कहानी है. कुछ लड़के हैं, जो कबड्डी के खेल में पारंगत नहीं है लेकिन उन्हें कोच अनू कपूर प्रशिक्षित करता है और एक मुकाम तक पहुंचाता है. फिल्म में एक हीरो है निशान और उसकी हीरोइन है सारण्या मोहन. कबड्डी के खेल के साथ प्रेम भी चलता है. पानी की समस्या भी केंद्र में रहती है और भी कई हिंदी फिल्म छाप परेशानियां. फिल्म में कबड्डी वाला पोर्शन अच्छा लगता है.
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