नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी में हर माह लोगों को 20 हजार लीटर पानी निशुल्क मुहैया कराने पर गुरुवार को सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि वास्तव में जरूरतमंद लोगों के अलावा अन्य किसी को कुछ भी मुफ्त नहीं मिलना चाहिए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यामयूर्ति सी. हरि. शंकर की पीठ ने केजरीवाल सरकार से कहा, भले ही आप 10 पैसा या एक पैसे शुल्क लीजिए, लेकिन किसी को कुछ भी मुफ्त में नहीं दिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी के विवाद को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
हालांकि सरकार और दिल्ली जल बोर्ड के अधिवक्ता दयान कृष्णन ने निशुल्क पानी देने की योजना का बचाव किया। उन्होंने कहा कि सरकार की यह योजना पानी को संरक्षित करने के लिए है क्योंकि हर माह सिर्फ 20 किलोलीटर पानी ही मुफ्त दिया जाता है, इससे लोग बहुत संभलकर इस्तेमाल करते हैं। सरकार के सफाई पेश करने के बाद भी हाईकोर्ट ने इस पर असंतोष जताया।