नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भीख मांगना अब अपराध नहीं रह गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति हरिशंकर की खंडपीठ ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि भीख मांगने पर दंडित करने के प्रावधान असंवैधानिक हैं। इन्हें रद्द किया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय का यह फैसला भीख को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने संबंधी दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई पर दी। याचिकाएं हर्ष मंदर और कर्णिका साहनी ने दायर की थी। न्यायालय ने कहा कि किसी भी भूखे व्यक्ति को ‘राइट टू स्पीच’ के तहत रोटी मांगने का अधिकार है।दरअसल कानून के मुताबिक भीख मांगते हुए अगर कोई व्यक्ति पकड़ा जाता है तो उसे एक से तीन साल की सजा का प्रावधान है।