लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नये महाविद्यालयों/संस्थानों के खोले जाने तथा वर्तमान महाविद्यालयों/संस्थानों में स्नातम/स्नातकोत्तर स्तर के अतिरिक्त विषयों/पाठ्यक्रमों को प्रारम्भ करने हेतु भूमि आदि के संबंध में मानकों का निर्धारण शासनादेश दिनांक 27 सितम्बर 2002, शासनादेश दिनांक 11 अक्टूबर 2002, शासनादेश दिनांक 21 अक्टूबर 2005 तथा शासनादेश दिनांक 7 नवम्बर, 2006 द्वारा किया गया है। उक्त शासनादेशों में केवल बी0एड0 पाठ्यक्रम हेतु भूमि के मानक के संबंध में अलग से व्यवस्था नहीं है। यह जानकारी उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री अनिल गर्ग ने दी। उन्हांेने बताया कि इस आशय का शासनादेश 20 मई 2015 को राज्य के समस्त विश्वविद्यालयों कुलसचिव को पुनः भेजा जा चुका है। उन्होंने कहा कि जिन संस्थानों को एनसीटीई द्वारा बी0एड0 पाठ्यक्रम संचालन हेतु मान्यता प्रदान की गई है तथा ऐसी संस्थाओं द्वारा कवेल बी0एड0 पाठ्यक्रम संचालन हेतु प्रारम्भिक रूप से सम्बद्धता चाही गयी है, उन पर एनसीटीई के भूमि के मानक निम्नानुसार लागू होंगे। बी0एड0 पाठ्यक्रम में प्रारम्भिक 50 विद्यार्थियों की भर्ती के लिए संस्था के पास उसकी अपनी कम से कम 2500 वर्गमीटर (दो हजार पांच सौ वर्ग मीटर) भूमि होनी चाहिए जो भली-भांति सीमांकित हो, और जिसमें से 1500 वर्गमीटर (एक हजार पांच सौ वर्गमीटर) निर्मित क्षेत्र हो तथा शेष भूमि लान, खेल का मैदान इत्यादि के लिए हो। इसके अतिरिक्त 50 विद्यार्थियों (बी0एड0) की भर्ती के लिए संस्थान के पास 500 वर्गमीटर भूमि और होनी चाहिए। 200 से अधिक और 300 विद्यार्थियों की वार्षिक भर्ती के लिए संस्थान के पास अपनी 3500 वर्गमीटर (तीन हजार पांच सौ वर्गमीटर) भूमि होनी चाहिए।
उच्च शिक्षा सचिव श्री गर्ग ने बताया कि एनसीटीई के रेगूलेशन दिनांक 16 दिसम्बर 2014 की स्थापना से पूर्व स्थापित संस्थाओं के पास 100 विद्यार्थियों की अतिरिक्त भर्ती के लिए निर्मित क्षेत्र 500 वर्गमीटर अधिक बढ़ा देना चाहिए। इन संस्थाओं के लिए अतिरिक्त भूमि की शर्त लागू नहीं होगी। बी0एड0 एवं एम0एड0 पाठ्यक्रम हेतु संस्था के पास अपनी कम से कम 3000 वर्गमीटर (तीन हजार वर्गमीटर) भूमि होनी चाहिए, जिसमें से 2000 वर्गमीटर निर्मित क्षेत्र होना अनिवार्य है।