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हिन्दी देश और दुनिया में बोली जाने वाली लोकप्रिय भाषा: सीएम

उत्तर प्रदेश

लखनऊभारत के गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी ने आज जनपद वाराणसी के बड़ा लालपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का शुभारम्भ किया। यह सम्मेलन 13 तथा 14 नवम्बर, 2021 को आयोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय गृह व सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तहत पहली बार अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन देश की राजधानी नई दिल्ली से बाहर हो रहा है। यह एक नई शुरुआत है। आजादी का अमृत महोत्सव महत्वपूर्ण है। यह भविष्य के भारत के लिए संकल्प का समय है। यह संकल्प होना चाहिए कि हिन्दी का वैश्विक स्वरूप हो। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषा तथा हिन्दी भाषा एक-दूसरे के पूरक है। राजभाषा विभाग की जिम्मेदारी है कि वह स्थानीय भाषा का भी विकास करे।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री जी ने कहा कि काशी एक सांस्कृतिक नगरी है। देश के इतिहास को काशी से अलग करके लिख ही नहीं सकते। रामायण काल हो, महाभारत काल हो, या फिर उसके बाद देश का गौरवमयी इतिहास हो, चाहे आज़ादी का आन्दोलन हो, चाहे देश को विकास की दिशा में ले जाने वाले और देश को दुनिया में सबसे सम्मानित स्थान पर पहुंचाने वाले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी काशी से सांसद हों, काशी को देश के इतिहास से अलग करके हम नहीं देख सकते।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री जी ने कहा कि जहां तक भाषा का प्रश्न है, तो काशी भाषा का गौमुख है, भाषाओं के उद्भव, भाषाओं के शुद्धिकरण और व्याकरण को लोकभोग्य बनाने में काशी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। जो हिन्दी आज हम बोलते और लिखते हैं, उस का जन्म इसी बनारस में हुआ है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को कौन भूल सकता है। खड़ी बोली का क्रमबद्ध विकास यहीं हुआ है। आज जिस समृद्ध भाषा के साथ हिन्दी हमारे सामने है, इसकी पूरी यात्रा हमारे लिए हमेशा प्रेरणास्त्रोत रहेगी।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री जी ने कहा कि काशी विश्व की सबसे पुरानी नगरी, बाबा विश्वनाथ का धाम है, यहां माँ गंगा का सान्निध्य है और माँ सरस्वती की उपासना करने वालों के लिए काशी हमेशा स्वर्ग रही है। भाषा और व्याकरण की उपासना करने वालों के लिए काशी हमेशा गंतव्य स्थान रहा है। आज़ादी के अमृत महोत्सव में संकल्प लेने के लिए हम सब यहां एकत्र हुए हैं कि आज़ादी के जब सौ वर्ष पूर्ण होंगे, तब स्वभाषा का लक्ष्य भी हम पूर्ण करेंगे।
गृह एवं सहकारिता मंत्री जी ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास को कैसे भूला जा सकता है, जिन्होंने यदि रामचरितमानस को अवधी में नहीं लिखा होता, तो आज रामायण लोग भूल जाते। हिन्दी के अनेक विद्वानों ने यहीं से भाषा को आगे बढ़ाया। उन्होंने अभिभावकों से अनुरोध किया कि वे अपनी भाषा में बोलें। भाषा जितनी समृद्ध होगी संस्कृति उतनी ही मजबूत होगी।
गृह एवं सहकारिता मंत्री जी ने युवाओं से अपील की कि वे हिन्दी में बोलने में गर्व महसूस करें। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को राजधानी दिल्ली से बाहर करने का निर्णय वर्ष 2019 में ही कर लिया था। लेकिन कोरोना महामारी की वजह से नहीं कर पाए, लेकिन आज खुशी है कि यह नई शुभ शुरुआत आजादी के अमृत महोत्सव में होने जा रही है। अमृत महोत्सव, देश को आजादी दिलाने वाले लोगों की स्मृति को फिर से जीवन्त करके युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए तो है ही, यह हमारे लिए संकल्प का भी वर्ष है।
हमारी आज़ादी के आन्दोलन के तीन स्तम्भ थे-स्वराज, स्वदेशी और स्वभाषा। स्वराज तो मिल गया, लेकिन स्वदेशी और स्वभाषा पीछे छूट गए। वर्ष 2014 के बाद प्रधानमंत्री जी ने पहली बार ‘मेक इन इण्डिया’ और अब स्वदेशी पर जोर दिया। हम इन्हें लेकर आगे बढ़े हैं। उन्होंनेे आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश की जनता का आह्वान करते हुए कहा कि स्वभाषा के लक्ष्य का हम एक बार फिर स्मरण करें और इसे हमारे जीवन का हिस्सा बनाएं। हिन्दी और हमारी सभी स्थानीय भाषाओं के बीच कोई अन्तर्विरोध नहीं है। हमें अपनी राजभाषा को मजबूत करने की जरूरत है।
पहले हिन्दी भाषा के लिए बहुत सारे विवाद खड़े करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वो वक्त अब समाप्त हो गया है। प्रधानमंत्री जी ने गौरव के साथ हमारी भाषाओं को दुनिया भर में प्रतिस्थापित करने का काम किया है। जो देश अपनी भाषा खो देता है, वो देश अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिन्तन को भी खो देता है। जो देश अपने मौलिक चिन्तन को खो देते हैं वो दुनिया को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं कर सकते हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली लिपिबद्ध भाषाएं भारत में हैं। उन्हें हमें आगे बढ़ाना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रथम अखिल भारतीय राजभाषा सम्मलेन के लिए उत्तर प्रदेश की धरती के चयन के लिए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य को सृष्टि में ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति माना गया है। यह सर्वश्रेष्ठ इसलिए है क्योंकि ईश्वर ने मनुष्य को अभिव्यक्ति का एक माध्यम दिया है और वह माध्यम है भाषा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हिन्दी देश और दुनिया मंे बोली जाने वाली लोकप्रिय भाषा है। किन्तु आजादी के 75 वर्षाें के उपरान्त अभी भी उसे उचित स्थान नहीं मिल सका है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश और दुनिया में विभिन्न मंचों पर अपने उद्बोधनों में हिन्दी भाषा में अभिव्यक्ति की है। हिन्दी की विभिन्न बोलियां अवधी, भोजपुरी, बुन्देली, मगधी, राजस्थानी आदि हैं। हिन्दी की लिपि देवनागरी, जो हम सबको जोड़ती है। तुलसीदास जी ने भगवान शिव की प्रेरणा से रामचरितमानस को अवधी भाषा में लिखा। रामचरितमानस सैकड़ों वर्षांे से रामलीला के माध्यम से जनसामान्य को प्राप्त हुई है। हर घर में रामचरितमानस है। उन्होंने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास यदि अवधी में रामायण न लिखते, तो आज वह लुप्त हो गई होती।
मुख्यमंत्री जी अपनी माॅरीशस यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि माॅरीशस की अधिसंख्य आबादी भोजपुरी लोगों की है। यहां से माॅरीशस गये हुए लोगों में अधिकतर मजदूर थे। वे अशिक्षित थे, किन्तु वे अपने साथ यहां से रामचरितमानस लेकर गये थे। जिसकी वे पूजा करते थे। जब मुख्यमंत्री जी मारीशस के एक गांव में गए तो देखा कि वहां लोगों के घरों में रामचरितमानस मौजूद है। वे आज भी उसकी पूजा करते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संत तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस लोक आराधना का केन्द्र बिन्दु बन चुका है। काशी तुलसीदास, कबीरदास, रविदास, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र सभी से जुड़ी रही है। भक्ति काल से लेकर आधुनिक काल तक हिन्दी का युग काशी से सम्बन्धित रहा है। मंुशी प्रेमचन्द जी ने अपनी कृतियों का केन्द्र बिन्दु काशी को बनाया। हिन्दी का बड़ा कालखण्ड काशी से जुड़ा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आजादी की लड़ाई में स्वदेशी और स्वभाषा मुख्य तथा मूलरूप से शामिल रही। आजादी की लड़ाई महात्मा गांधी जी के नेतृत्व मंे एकजुट होकर लड़ी गयी और भारत स्वाधीन हुआ। उन्होंने केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में इस प्रकार के आयोजनों को किया जा रहा है। पूरे देश को एक सूत्र में बांधने का मंच हिन्दी को प्रदान किये जाने का कार्य आवश्यक है। इस कार्य को श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भी किया और प्रधानमंत्री जी भी हिन्दी भाषा के माध्यम से भारत और भारतीयता को गौरव प्रदान करने का कार्य कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हिन्दी को समृद्ध करने की दिशा में उत्तर प्रदेश लगातार कार्य कर रहा है। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान विभिन्न प्रकाशनों और शोध के माध्यम से लोक गाथाओं, लोक परम्पराओं को आगे बढ़ाने के साथ-साथ साहित्यिक कार्यक्रमों को नई गति प्रदान कर रहा है। प्रदेश में पुरस्कारों की भी नई परम्परा प्रारम्भ की गयी है। उत्तर प्रदेश में राजभाषा हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए हिन्दी के लिए कई पुरस्कार दिये जाते हैं। भारत भारती पुरस्कार के तहत 08 लाख रुपये प्रदान किये जाते हैं। इसी प्रकार हिन्दी गौरव सम्मान, लोहिया साहित्य सम्मान, पं0 दीन दयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान, महात्मा गांधी साहित्य सम्मान, अवंतीबाई साहित्य सम्मान, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन सम्मान आदि अलग-अलग विधाओं से जुड़े लोगों को प्रदान किये जाते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी दुनिया के समक्ष भारत को ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के रूप में प्रस्तुत करने में सफल हुए हैं। 07 वर्षों में भारत की बदलती तस्वीर देशवासियों ने देखी है। एक नया श्रेष्ठ बदलता हुआ भारत का सबके सामने आया है।
इससे पूर्व, केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी ने अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन की स्मारिका का विमोचन किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ0 महेन्द्र नाथ पांडे, केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा तथा श्री नित्यानंद राय, विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित, प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री श्री अनिल राजभर, पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 नीलकण्ठ तिवारी, स्टाम्प एवं न्यायालय शुल्क राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रविन्द्र जायसवाल, विधान परिषद सदस्य श्री स्वतंत्र देव सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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