नई दिल्ली: एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह भाषा हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। जब विश्व के 177 देशों की मान्यता के साथ 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में अपनाया जा सकता है
तो हिंदी भाषा को भी संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकृत भाषाओं की सूची में शामिल क्यों नहीं किया जा सकता जबकि इसके लिए तो सिर्फ 127 देशों के समर्थन की ही आवश्यकता है। यह बात केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज भोपाल में दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन के अवसर पर कही।
तीन दिवसीय विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन होने के नाते उनके उपयोगी और प्रचलित शब्दों को अपने में समाहित करके सही मायनों में भारत की संपर्क भाषा होने की भूमिका निभा रही है। हिंदी भाषा वैश्विक पटल पर भी तकनीक और डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र में विस्तार और बड़े बाजार की अनंत संभावनाएं समेटे हुए है। हिंदी के इसी महत्व को देखते हुए तकनीकी कंपनियां इस भाषा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि गूगल के आंकड़ों के मुताबिक आज इंटरनेट पर सबसे ज्यादा मौलिक विषय वस्तु (कंटेंट) हिंदी भाषा में रचे जा रहे हैं। श्री राजनाथ सिंह ने उद्योग जगत से आग्रह किया कि वे अपने उत्पादों के नाम सहित अन्य विवरण हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में लिखने के बारे में विचार करें। श्री सिंह ने कहा कि बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे इस देश के हर प्रांत के साथ दुनिया भर में भली प्रकार समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
गृहमंत्री ने कहा कि विश्व हिंदी सम्मलेन के दौरान विभिन्न सत्रों में प्रशासन, विधि और न्याय, संचार व तकनीक, पत्रकारिता, बाल साहित्य सहित अन्य विषयों पर चर्चाओं के बाद प्रस्तुत की गईं अनुशंसाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार गंभीरता से प्रयास करेगी।
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री जनरल डॉ. वी.के. सिंह ने इस अवसर पर कहा कि दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान हिंदी के विस्तार और संभावानाओं से जुड़े जिन 12 विषयों के बारे में अनुशंसाएं आई हैं उन पर विचार करने के लिए विदेश मंत्रालय एक विशेष समीक्षा समिति गठित करेगा जो विभिन्न मंत्रालयों से इसके कार्यान्वयन के लिए समन्वय स्थापित करेगी। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि अगला विश्व हिंदी सम्मलेन वर्ष 2018 में मॉरिशस में आयोजित होगा।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने स्वागत भाषण में घोषणा की कि मध्य प्रदेश सरकार का हर काम काज अब हिंदी भाषा में ही होगा और अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय को अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप देने के प्रयास किए जाएंगे।
इस अवसर पर हिंदी भाषा के विकास, सेवा और संरक्षण में सराहनीय योगदान देने वाले देश और विदेश के करीब 40 विद्वानों को विश्व हिंदी सम्मान से अलंकृत किया गया। कार्यक्रम में गृहमंत्री ने हिंदी से संबंधित कुछ पुस्तकों का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी, गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री हर्षवर्धन, मॉरिशस की शिक्षा एवं मानव संसाधन, क्षेत्रीय शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री श्रीमती लीला देवी दूखन-लछुमन और राज्य सभा सांसद तथा विश्व हिंदी सम्मेलन की आयोजन समिति के उपाध्यक्ष श्री अनिल माधव दवे भी उपस्थित थे।
विश्व हिंदी सम्मलेन के समापन के अवसर पर हिंदी भाषा के विकास, सेवा और संरक्षण में सराहनीय योगदान देने वाले देश और विदेश के करीब 40 विद्वानों को विश्व हिंदी सम्मान से अलंकृत किया गया।
दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन समारोह के अवसर पर मंच पर बैठे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह। साथ में हैं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी, गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री रमन सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री हर्षवर्धन, मॉरिशस की शिक्षा एवं मानव संसाधन, क्षेत्रीय शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री श्रीमती लीला देवी दूखन-लछुमन।