केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आज यहां एक विस्तृत मीडिया ब्रीफिंग में संस्कृति मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय की उल्लेखनीय उपलब्धियों और वर्तमान पहलों की एक श्रृंखला पर प्रकाश डाला। श्री शेखावत ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार का 10 साल से अधिक का कार्यकाल ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘विकास भी विरासत भी’ के विजन को साकार करने के दृढ़ संकल्प से प्रेरित है। श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार हुए हैं, जिससे भारतीयों को न केवल सामाजिक-आर्थिक बल्कि बौद्धिक रूप से भी लाभ हुआ है।
श्री शेखावत ने इस बात पर बल दिया कि देश ने 2014 के बाद से अपनी नीतियों और आकांक्षाओं में काफी परिवर्तन देखा है, जो विकास और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के एक नए युग की शुरुआत है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है, जो एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। काशी में विश्वनाथ धाम भारत की सांस्कृतिक राजधानी के कद को बढ़ाता जा रहा है, जबकि सोमनाथ में विकास परियोजनाएं नए मानक स्थापित कर रही हैं। श्री शेखावत ने नई दिल्ली में बनाए जा रहे दुनिया के सबसे बड़े युग युगीन भारत संग्रहालय, राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, वैश्विक काशी सांस्कृतिक पथ, पुरावशेषों का पुनर्जीवन, शास्त्रीय भारतीय भाषाओं की संख्या में वृद्धि, परी परियोजना, प्रथम एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन और संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ मनाने जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक आयोजित होने वाला महाकुंभ हमारे देश की समृद्ध, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करेगा।
श्री शेखावत ने पर्यटन के क्षेत्र में परिवर्तनकारी प्रगति के बारे में भी बात की, इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास, वैश्विक प्रचार अभियान और भारत के सांस्कृतिक और पर्यटन परिदृश्य को बढ़ाने के उद्देश्य से परियोजनाओं का ब्यौरा दिया। मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यटन को ‘विकसित भारत’ के निर्माण का अभिन्न अंग बनाने के लिए तीव्र प्रयास किए जा रहे हैं। पर्यटन क्षेत्र में कुल 76.17 मिलियन नौकरियां सृजित की गई हैं। ‘पर्यटन मित्र’ और ‘पर्यटन दीदी’ कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। विदेशी मुद्रा आय 28.07 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है, जो 2014 की तुलना में 42.53 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
घरेलू पर्यटकों की संख्या में 95.64 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वैश्विक यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक में भारत की रैंकिंग 65 से सुधरकर 39 हो गई है। गंतव्य विकास परियोजनाओं पर 6,800 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं। विभिन्न राज्यों में कम ज्ञात पर्यटन स्थलों के विकास के लिए 3,295.76 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। श्री शेखावत ने बताया कि ई-पर्यटक वीजा सुविधा आगंतुकों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई है।
समग्र सरकारी दृष्टिकोण के माध्यम से, संस्कृति और पर्यटन मंत्रालयों ने सफलतापूर्वक एक ऐसा इकोसिस्टम बनाया है जो न केवल दोनों क्षेत्रों के हितधारकों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करता है, बल्कि महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करने में भी कारगर साबित हुआ है।
केंद्रीय मंत्री ने संस्कृति मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय द्वारा की जा रही महत्वपूर्ण उपलब्धियों और पहलों का एक व्यापक सारांश भी साझा किया। इसमें पिछले दशक में लागू की गई परिवर्तनकारी परियोजनाओं, योजनाओं और नीतियों के बारे में विस्तृत जानकारी शामिल थी, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ाने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रयासों को दर्शाती है। ये पहल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और दोनों क्षेत्रों में सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। विवरण इस प्रकार हैं:
संस्कृति मंत्रालय
युग युगीन भारत संग्रहालय
दुनिया के सबसे बड़े संग्रहालय के रूप में परिकल्पित युग युगीन भारत संग्रहालय 1,50,000 वर्ग मीटर में फैला होगा, जिसे नई दिल्ली के रायसीना हिल पर उत्तर और दक्षिण ब्लॉक सचिवालय भवनों में विकसित किया जा रहा है। भारत ने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत संग्रहालय परियोजना (व्यवहार्यता अध्ययन) के पहले चरण के लिए फ्रांस के साथ सहयोग किया है, क्योंकि लूवर पेरिस जैसी समान अनुकूली पुन: उपयोग परियोजनाओं में उनकी विशेषज्ञता है।
राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन का उद्देश्य पूरे देश में पांडुलिपियों का दस्तावेजीकरण, संरक्षण, डिजिटलीकरण और प्रसार करना है। अप्रकाशित पांडुलिपियों का प्रकाशन और पहचान, अप्रकाशित पांडुलिपियों का प्रतिलेखन और संपादन, संरक्षण कार्यशालाएं, पुरालेख कार्यशालाएं और जागरूकता कार्यक्रम भी भविष्य की गतिविधियों के रूप में शुरू किए जाएंगे।
वैश्विक काशी संस्कृति पथ
काशी संस्कृति पथ, भारत की सफल जी-20 अध्यक्षता के तहत संस्कृति कार्य समूह का मौलिक परिणाम दस्तावेज है, जिसे जी-20 संस्कृति मंत्रियों द्वारा अपनाया गया है, जिसमें निम्नलिखित चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर प्रतिबद्धताओं का सारांश दिया गया है:
i. सामाजिक न्याय की नैतिक अनिवार्यता के रूप में सांस्कृतिक संपत्ति की वापसी और पुनर्स्थापन को सक्षम बनाना, साथ ही अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई का विस्तार करना।
ii. आजीविका और समावेशी विकास को बनाए रखने के लिए स्थानीय समुदायों और जीवित विरासत के अमूल्य योगदान को स्वीकारना।
iii. सांस्कृतिक एवं रचनात्मक उद्योगों तथा रचनात्मक अर्थव्यवस्था में निवेश करना।
iv. डिजिटल परिवर्तन के अवसरों का लाभ उठाना।
महाकुंभ – 2025
उत्तर प्रदेश सरकार 13 जनवरी से 26 फरवरी, 2025 तक प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन कर रही है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय का लक्ष्य देश की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक सांस्कृतिक गांव (कलाग्राम) की स्थापना और संचालन करना है। इस उद्देश्य के लिए संस्कृति मंत्रालय को प्रयागराज के नागवासुकी में 10.24 एकड़ का क्षेत्र आवंटित किया गया है। मेला प्राधिकरण द्वारा 10,000 दर्शकों की क्षमता वाला एक गंगा पंडाल स्थापित किया जाएगा, जहां मशहूर हस्तियां प्रस्तुति देंगी। झूंसी, नागवासुकी और एरियत में 4000 दर्शकों की क्षमता वाले तीन स्टेज पंडालों के साथ-साथ कलाग्राम में 1000 क्षमता वाले एम्फीथिएटर में उभरते एसएनए पुरस्कार विजेता कलाकार, एनएसडी प्रोडक्शंस और जेडसीसी के कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। पूरे शहर में 20 स्टेज बनाए जाएंगे, जिन्हें उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग और संस्कृति मंत्रालय के बीच समान रूप से वितरित किया जाएगा।
संविधान के अंगीकरण के 75वें वर्ष का स्मरण दिवस (26 नवंबर, 2024)
26 नवंबर, 2024 को, भारत ने देश के लोकतांत्रिक ढांचे की आधारशिला, भारत के संविधान के अंगीकरण की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक ऐतिहासिक वर्ष भर चलने वाले समारोह का शुभारंभ किया। भव्य उद्घाटन कार्यक्रम संसद के सेंट्रल हॉल में हुआ, जिसमें भारत के राष्ट्रपति, माननीय उपराष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, माननीय लोकसभा अध्यक्ष और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। इस महत्वपूर्ण मील के पत्थर को चिह्नित करने के लिए एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया गया। इसके अतिरिक्त, संविधान की कता को समर्पित एक पुस्तिका का भी विमोचन किया गया, जो इसकी कलात्मक विरासत का जश्न मनाती है और इसके डिजाइन में शामिल प्रसिद्ध कलाकारों के योगदान को स्वीकार करती है।
पूरे वर्ष के दौरान, संस्कृति मंत्रालय इस स्मरणोत्सव के हिस्से के रूप में गतिविधियों की एक श्रृंखला आयोजित करेगा। अभियान की वेबसाइट www.constitution75.com को पहले ही देश भर के लोगों से 37 लाख से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हो चुकी हैं।
विश्व धरोहर समिति की बैठक
संस्कृति मंत्रालय ने 21 से 31 जुलाई 2024 तक दिल्ली में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र की सफलतापूर्वक मेजबानी की। बैठक का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री ने किया और इसमें 140 से अधिक देशों के लगभग 2900 अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया। असम से भारत का नामांकन “मोइदम्स- अहोम राजवंश की टीला दफनाने की प्रणाली’’ को जुलाई, 2024 में सांस्कृतिक संपत्ति के रूप में विश्व धरोहर सूची में अंकित किया गया। भारत की अब विश्व धरोहर सूची में 43 संपत्तियां हैं, इसके अलावा यूनेस्को की संभावित सूची में 56 संपत्तियां हैं।
विरासत वस्तुओं की वापसी
1976 से 2013 तक मात्र 13 विरासत वस्तुओं की वापसी संभव हुई। पिछले दस वर्षों (2014 के बाद) में विरासत वस्तुओं – 642 (345+297) की वापसी हुई है। कुल 297 विरासत वस्तुएं अमेरिका से भारत स्थानांतरित होने की प्रक्रिया में है, जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को 21-24 सितंबर की अपनी अमेरिका की यात्रा के दौरान सौंपा था।
असमिया, मराठी, पाला, प्राकृत और बंगाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता
सरकार ने असमिया, मराठी, पाली, प्राकृत और बंगाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी है। इस निर्णय से शास्त्रीय भारतीय भाषाओं की संख्या बढ़कर 11 हो गई है, जिसमें पहले से ही तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया शामिल है। इन भाषाओं को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देना भारत की समृद्ध भाषायी विरासत को संरक्षित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह पदनाम इन भाषाओं के अनुसंधान, विकास और संवर्धन के प्रयासों को बढ़ावा देता है। सांस्कृतिक गौरव और अकादमिक अन्वेषण को बढ़ावा देता है।
परी परियोजना
परी परियोजना (भारतीय सार्वजनिक कला) संस्कृति मंत्रालय द्वारा एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य जुलाई 2024 में 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक की प्रत्याशा में नई दिल्ली के सांस्कृतिक परिदृश्य को बढ़ाना है। ललित कला अकादमी और राष्ट्रीय आधुनिक कला गैलरी की अगुवाई में यह परियोजना भित्ति चित्रों और मूर्तियों सहित सार्वजनिक कला प्रतिष्ठानों की एक विस्तृत श्रृंखला बनाने के लिए पूरे भारत से 150 से अधिक कलाकारों को एक साथ लाती है।
पहला एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन
पहला एशियाई बौद्ध शिखर सम्मेलन (एबीएस) 5 और 6 नवंबर, 2024 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसका विषय था एशिया को मजबूत बनाने में बुद्ध धम्म की भूमिका। माननीय राष्ट्रपति ने 5 नवंबर, 2024 को शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य एशियाई बौद्ध देशों को भारत की समृद्ध बौद्ध विरासत से जोड़ना है।
पर्यटन मंत्रालय
सम्पूर्ण सरकार का दृष्टिकोण
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पर्यटन क्षेत्र 2047 तक विकसित भारत में योगदान देने की राह पर है। लगभग 1,50,000 किलोमीटर सड़क नेटवर्क बिछाया गया है, 500 से अधिक नए हवाई मार्ग और 150 से अधिक नए हवाई अड्डे से हवाई संपर्क में वृद्धि हुई है, हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनें शुरू की गई है, लगभग 100 पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को पूरा किया गया है, भारत की जी-20 अध्यक्षता ने वैश्विक स्तर पर 60 से अधिक गंतव्यों को दृश्यता प्रदान की है, स्वच्छ भारत के कारण स्वच्छ गंतव्य, यूपीआई के माध्यम से बेहतर सुविधा और डिजिटल कनेक्टिविटी – ‘सम्पूर्ण सरकार का दृष्टिकोण’ के कारण पर्यटन नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है।
गंतव्य विकास
पिछले दशक में माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने स्वदेश दर्शन और प्रसाद जैसी प्रमुख योजनाओं के माध्यम से 6,800 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत से लगभग 120 परियोजनाओं को पूरा करके समग्र गतव्य विकास पर ध्यान केंद्रित किया है।
देश में कम ज्ञात पर्यटन स्थलों को सामने लाने के लिए, राज्यों को पूंजी निवेश के लिए विशेष सहायता के अंतर्गत 3,295.76 करोड़ रुपये की कुत लागत से पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर और पर्यटक अनुभव को बढ़ाने के लिए 23 राज्यों में 40 उच्च प्रभाव परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। परियोजनाओं के रूप में पूंजी निवेश को बढ़ावा देकर यह योजना स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास और स्थायी पर्यटन परियोजनाओं के माध्यम से रोजगार के अवसरों के सृजन की परिकल्पना करती है। मंत्रालय कम ज्ञात स्थलों पर ध्यान केंद्रित करके, समग्र पर्यटन अनुभव को बढ़ाने, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने और नई परियोजना के चयन के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण के माध्यम से पर्यटन क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित करने की उम्मीद करता है। कुछ उदाहरण हैं – बटेश्वर (उत्तर प्रदेश), पोडा (गोवा), गंडिकोटा (आंध्र प्रदेश), पोरबंदर (गुजरात), ओरछा (मध्यप्रदेश) नाथूला (सिक्किम) आदि।
कौशल और रोजगार
पर्यटन मित्र और पर्यटन दीदी कार्यक्रम की शुरुआत 6 गंतव्यों में कार्यक्रम के पायलट के हिस्से के रूप में लगभग 3,500 पर्यटन सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षित करने के साथ की गई थी, साथ ही 45 अन्य गंतव्यों में पहल को लागू किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यटकों को गंतव्यों में सकारात्मक और स्वागत करने वाला अनुभव मिले। गंतव्य में जमीनी स्तर पर बेहतर प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रम को मजबूत और संवर्धित किया जा रहा है।
छात्रों को नवीनतम उद्योग प्रणालियों से परिचित कराने और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सक्षम करने के लिए आतिथ्य समूह के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए 121 होटल प्रबंधन संस्थान और 8 अग्रणी आतिथ्य समूह इसमें शामिल हुए हैं। ये समूह है इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आईएचसीएल), आईएचजी होटल्स एंड रिसॉर्ट्स मैरियट इंटरनेशनल, ललित सूरी हॉस्पिटेलिटी ग्रुप, आईटीसी ग्रुप ऑफ होटल्स, एपीजे सुरेन्द्र पार्क होटल्स, रेडिसन ग्रुप ऑफ होटल्स और लेमन ट्री होटल्स।
विपणन एवं संवर्धन
माननीय प्रधानमंत्री के आह्वान पर, भारतीय प्रवासी सदस्यों को अतुल्य भारत के दूत बनने में सक्षम बनाने के लिए चलो इंडिया ग्लोबल डायस्पोरा अभियान शुरू किया गया था। यह अभियान अतुल्य और विकसित भारत के लिए जनभागीदारी की भावना से लागू किया गया है ताकि भारतीय प्रवासियों को हर साल अपने 5 गैर-भारतीय दोस्तों को भारत की यात्रा के लिए आमंत्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि के लिए ‘चलो इंडिया अभियान के तहत भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों के लिए 1 लाख मुफ्त ई-वीजा की घोषणा की गई है।
विश्व पर्यटन दिवस पर, दुनिया भर में यात्रा और पर्यटन उद्योग को उच्च गुणवत्ता वाली छवियों वीडियो और अन्य जानकारी तक पहुंच प्रदान करने के लिए अतुल्य भारत कंटेंट हब और पुनर्निर्मित अतुल्य भारत डिजिटल पोर्टल लॉन्च किया गया था, जिसकी उन्हें अतुल्य भारत को बढ़ावा देने के लिए आवश्यकता हो सकती है। पर्यटन मंत्रालय ने 26 से 29 नवंबर, 2024 तक काजीरंगा, असम में 12वां अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मार्ट (आईटीएम) का भी आयोजित किया है।
कारोबारी सुगमता
पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र के लिए उद्योग का दर्जा प्रदान करने और उसे तागू करने में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रत्येक चरण में मार्गदर्शन प्रदान करने वाली एक पुस्तिका जारी की है, जिसका उद्देश्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में इस क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करना और रोजगार के अवसर पैदा करना है।
यात्रा में सुगमता
- सरकार ने नवंबर 2014 में ई-पर्यटक वीजा का शुभारंभ किया, जो संभावित आगंतुक को भारतीय मिशन में जाए बिना अपने देश से भारतीय वीजा के लिए ऑनलाइन आवेदन करने और वीजा का भुगतान भी ऑनलाइन करने में सक्षम बनाता है।
- पर्यटन मंत्रालय ने भारत में यात्रा से संबंधित जानकारी के संदर्भ में सहायता सेवा प्रदान करने और भारत में यात्रा के दौरान संकट में फंसे पर्यटकों को उचित मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए टोल-फ्री नंबर 1800111363 या संक्षिप्त कोड 1363 पर 12 भाषाओं में 24×7 बहुभाषी पर्यटक सूचना हेल्पलाइन शुरू की है।
तथ्य पत्रक
- भारत में पर्यटन क्षेत्र ने 2022-2023 में 76.17 मिलियन (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) नौकरियां सृजित कीं, जबकि 2013-2014 में यह संख्या 69.56 मिलियन थी।
- 2023 में पर्यटन से विदेशी मुद्रा आय (एफईई) 28.07 विलियन अमेरिकी डॉलर होगी जबकि 2014 में यह 19.69 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो 42.53 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करती है।
- 2023 के दौरान भारत में विदेशी पर्यटकों के आगमन (एफटीए) की संख्या 2014 में 77 लाख की तुलना में बढ़कर 95 लाख हो गई जो 23.96 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करती है।
- भारत में 2023 में 250 करोड़ घरेलू पर्यटक आएंगे जो 2014 के 123 करोड़ से 95.64 प्रतिशत अधिक है।
- वैश्विक यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक (टीटीडीआई) में भारत की रैंकिग 2014 में 65वीं से बढ़कर 2024 में 39वीं हो गई है।
- 2022 में, जीडीपी में पर्यटन के योगदान के मामले में भारत विश्व स्तर पर छठे स्थान पर होगा।
वर्ष 2023 के लिए
- 2023 के दौरान भारत में अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आगमन (आईटीए) 18.89 मिलियन था।
- 2023 के दौरान भारत में विदेशी पर्यटकों का आगमन (एफटीए) 9.52 मिलियन था।
- 2023 के दौरान पर्यटन के माध्यम से विदेशी मुद्रा आय (एफईई) 2,31,927 करोड़ रुपये थी।
- 2023 के दोरान भारत में घरेलू पर्यटक दौरे (डीटीवी) 2,509 मिलियन था।
- जीडीपी 2022-23 के दौरान पर्यटन क्षेत्र का योगदान 5 प्रतिशत था।
पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े