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गृह मंत्री ने 7वें राष्ट्रीय महिला पुलिस सम्मेलन का उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए।

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नई दिल्‍ली: केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज सीआरपीएफ आकादमी, कादरपुर, गुड़गांव में 7वें राष्ट्रीय महिला पुलिस सम्मेलन का

उद्घाटन किया। तीन दिन (6-8 जनवरी 2016) के सम्मेलन में राज्य तथा केन्द्रीय पुलिस बलों की 300 महिला पुलिसकर्मी भाग ले रही हैं। इन महिला पुलिसकर्मियों में कॉन्सटेबल से लेकर महानिदेशक तक है।

सम्मेलन का विषय है ‘क्षमता निर्माण और नेतृत्व’। सम्मेलन के उप विषय है ‘संघर्ष समाधान में महिलाओं की भूमिका’, ‘कार्य और जीवन संतुलन’, ‘लिंग संवेदी कार्य अवसंरचना तथा उपकरण बनाना’ और ‘मानव तस्करी से निपटने की रणनीति बनाना’।

श्री राजनाथ सिंह ने सम्मेलन में भाग लेने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। गृह मंत्री ने कहा कि आबादी में महिलाओं का हिस्सा लगभग 50 प्रतिशत है और 50 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी के बिना देश का सतत विकास संभव नहीं है। उन्होंने देश के विकास में महिलाओं के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत ऐसा देश है जहां महिलाओं को विशेष दर्जा और आदर दिया जाता है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि महिलाओं ने देश में सभी उपलब्धियां हासिल की हैं उन्हें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा अन्य शीर्ष पद प्राप्त हुए हैं।

पुलिस तथा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के संदर्भ में गृह मंत्री ने कहा कि महिलाओं का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है और सरकार उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंन बताया कि गृह मंत्रालय ने केन्द्रशासित प्रदेशों में पुलिस में महिलाओं की 33 प्रतिशत भर्ती करने का निर्देश जारी किया है और हाल में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल ने इसकी स्वीकृति दी है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गृह मंत्रालय प्रारंभ में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल तथा केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में 33 प्रतिशत भर्ती को लागू करेगा और सीमा सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस जैसे सुरक्षा बलों में 15 प्रतिशत महिलाओं को भर्ती की जाएगी।

गृह मंत्री ने कहा कि केरल पुलिस में महिलाओं की भर्ती करने वाला देश का पहला राज्य है। वहां 1933 में त्रावणकोर रॉयल पुलिस में महिलाएं शामिल की गई थीं। फिर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ही पुलिस में महिलाओं की भर्ती शुरू हुई। 1981 में देश में पुलिस में प्रतिशत केवल 0.4 प्रतिशत था लेकिन धीरे-धीरे पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ी और यह प्रतिशत 2014 में 6.11 प्रतिशत था। श्री राजनाथ सिंह ने आशा व्यक्त की कि इस सम्मेलन की सिफारिशें न केवल महिलाओं के लिए उपयोगी होगी बल्कि सम्पूर्ण पुलिस बल को और अधिक कारगर बनाने में उपयोगी होगी। उन्होंन कहा कि महिलाएं आज राष्ट्रीय पुलिस आकादमी का नेतृत्व कर रही हैं और विभिन्न केन्द्रीय सशस्त्र बलों के महानिदेशक के रूप में काम कर रही हैं। महिला पुलिस की विशेष उत्कृष्टता की सराहना की जानी चाहिए। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सोच और कार्य में समानता की आवश्यकता है। गृह मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय महिला पुलिस अधिकारियों के कल्याण और उनकी पेशेवर उत्कृष्टता के लिए सभी संभव कार्य करेगा।

श्री राजनाथ सिंह ने आशा व्यक्त की कि पुलिस अनुसंधान विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) पुलिस तथा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए विशेष अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ स्थापित करेगा। इस प्रकोष्ठ को भारतीय पुलिस में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित करने का प्रयास करना चाहिए और महिला पुलिसकर्मियों की कार्य स्थिति में सुधार के लिए समाधान ढूंढना चाहिए।

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