नई दिल्ली: केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के इंजीनियरिंग प्रकोष्ठों को लोक निर्माण संगठन (पीडब्ल्यूओ) का दर्जा दिया है, जिससे वे स्वयं की बुनियादी ढांचागत निर्माण आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ उसमें तेजी भी ला सकेंगे।
अब तक इन प्रकोष्ठों के लिए राज्य और केन्द्रीय लोक निर्माण विभागों की सेवाओं का इस्तेमाल करना आवश्यक था, जिन पर पहले से ही कार्य का अत्यधिक बोझ रहता था। हाल के आदेश के जरिए गृह मंत्रालय ने सीएपीएफ के इंजीनियरिंग प्रकोष्ठों को प्रमुख कार्यों के लिए 15 करोड़ रुपये तक की निर्माण परियोजनाओं और मरम्मत कार्यों के लिए एक करोड़ रुपये तक की परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अधिकृत कर दिया है। इन अधिकारों का इस्तेमाल केवल उन तकनीकी अधिकारियों द्वारा ही किया जा सकेगा, जिनकी नियुक्ति आवश्यक तकनीकी योग्यता और अनुभव वाले अभियंताओं के लिए मंजूर पदों पर होगी, जिसका उल्लेख भर्ती नियमों में किया गया है। सीएपीएफ अब स्वयं ही अपने बैरक, बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) और अन्य आवश्यक सुरक्षा बुनियादी ढांचे का निर्माण करने में सक्षम होंगे।
इसके साथ ही सीएपीएफ के लिए एक प्रमुख प्रक्रियागत बाधा समाप्त कर दी गई है, क्योंकि वे अब अपने बुनियादी ढांचे को तेजी से स्थापित करने के साथ-साथ उसका विस्तार भी कर सकेंगे।
इससे महत्वपूर्ण परियोजनाओं का त्वरित क्रियान्वयन संभव होगा और इसके साथ ही सीएपीएफ के निर्माण कार्यों के क्रियान्वयन में होने वाली देरी की समस्या सुलझाने में भी मदद मिलेगी। सीएपीएफ के निर्माण कार्य व्यापक हैं और ये मुख्यत: दूरस्थ क्षेत्रों में क्रियान्वित किये जाते हैं।