देहरादून: हनीवेल सेफ स्कूल प्रोग्राम के तहत सीड्स (सस्टेनेबल एन्वायरमेंट एंड इकोलॉजिकल डवलपमेंट सोसायटी) ने स्कूलों में आपदा प्रबंधन पर प्राचार्यों (प्रिंसिपल) की कार्यशाला देहरादून में आयोजित की। इस कार्यशाला में सरकारी अधिकारियों, स्कूल प्राचार्यों और शिक्षकों को स्कूल में बच्चों की सुरक्षा से संबंध में आ रही जोखिमपूर्ण चुनौतियों के प्रति संवेदनशील बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
आपदा आने पर स्कूल में बच्चों पर सबसे ज्यादा खतरा मंडराता है। इसलिए यह जरूरी है कि बच्चों को सीखने का मजबूत और सुरक्षित वातावरण मुहैया करवाया जाए। इससे वह आपदा की स्थिति का सामना करने के लिए तैयार होते हैं। हनीवेल सेफ स्कूल प्रोग्राम में हर स्कूल का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें इंजीनियर और आर्किटेक्ट किसी भी आपदा से निपटने के लिए स्कूल की तैयारी की समीक्षा करते हैं। साथ ही बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों के जोखिम से जुड़ी समझ का भी मूल्यांकन करते हैं। सीड्स के विशेषज्ञ बच्चों, स्कूलों, समुदायों और नागरिक एजेंसियों के साथ आपदा से निपटने के तरीकों और खतरा कम करने के लिए उनके साथ काम करते हैं और उन्हें आपदा से निपटने के लिए प्रशिक्षित करते हैं।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए देहरादून की मुख्य शिक्षा अधिकारी, श्रीमती आशा रानी पेनुली ने कार्यक्रम की तारीफ की और सीड्स के हनीवेल सेफ स्कूल प्रोग्राम द्वारा चलाए गए सुरक्षा कार्यक्रमों की भी प्रशंसा की।
देहरादून के शिक्षा विभाग की एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर, श्रीमती वंदना गरबियाल ने कहा, ‘‘सरकार के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के दिशानिर्देशों 2016 के तहत आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में तैयारी की जाती है। सूरत का हवाला देते हुए उन्होंने जोर दिया कि आपदा प्रबंधन पर माइक्रो स्तर पर कार्य करने की जरूरत है।’’ उन्होंने सीड्स और हनीवेल के प्रयासों की सराहना की, जो रोजमर्रा के जीवन में सुरक्षा की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।
कार्यशाला के दौरान सीड्स की स्कूल सेफ्टी विशेषज्ञ, सुरभि गजभिए और सीड्स की प्रोग्राम लीड, अनिता चौहान द्वारा सत्र आयोजित किए गए। इस अवसर पर देहरादून की मुख्य शिक्षा अधिकारी व मुख्य अतिथि, श्रीमती आशा रानी पेनुली भी उपस्थित थीं।
पहले सत्र में सुरभि गजभिए ने स्कूलों में सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया। इसके बाद प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान अभिभावकों और उपस्थित लोगों ने बच्चों की सुरक्षा और उसके उपायों पर चर्चा की। दूसरे सत्र में अनिता चौहान ने विस्तार से समझाया कि कैसे प्रिंसिपल, शिक्षक और एसएमसी सदस्य और गैर शिक्षक स्टाफ शिक्षक व्यक्तिगत रूप से समझाकर छात्रों को आपदा के दौरान सुरक्षा तरीकों के बारे में शिक्षित कर सकते हैं। अनिता ने अगले तीन साल के लिए गतिविधियों का रोडमैप पेश किया।
सत्र के अंत में प्राचार्यों के समक्ष शेक टेबल मॉडल पेश किया गया। उन्हें भूंकप से होने वाली क्षतियों के बारे में आगाह किया गया और भूकंप के प्रभाव को न्यूनतम करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने का तरीका बताया गया।