16.3 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

प्रदेश में बागवानी विकास के लिये 500 नर्सरियां स्थापित की जाय।

उत्तराखंड
देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने निर्देश दिये है कि प्रदेश में बागवानी विकास के लिये 500 नर्सरियां स्थापित की जाय। इसके लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जायेगी। कार्ययोजना तैयार कर पौधों के विपणन की व्यवस्था की जायेगी। पिरूल से वनो को हो रहे नुकसान को कम करने के लिये इसे वन उपज से मुक्त किया जायेगा।

खेती को जंगली सूअरों से बचाने के लिये प्रदेश में ’’सूअर भगाओ खेती बचाओ’’ अभियान चलाया जायेगा। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये वर्मी कम्पोस्ट इकाइयां स्थापित की जायेगी। इसके लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को भी जिम्मेदारी दी जायेगी। सोमवार को बीजापुर अतिथि गृह में बागवानी के विकास के लिए नर्सरियों की स्थापना व बीजों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने आदि के संबंध में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यह निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रमुख सचिव वन एवं निदेशक उद्यान को इस संबंध में कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि बागवानी की विभिन्न पौधशालाओं की स्थापना से उनके उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी तथा कास्तकारों के आर्थिक सुधार में भी मदद मिलेगी। नई पौधशालाओं की स्थापना हेतु प्रति हेक्टेयर 7.50 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाय। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वर्षभर उच्च गुणवत्तायुक्त पौध सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जाय। फल पौधशालाओं पर विशेष ध्यान देने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि नींबू व संतरे की पैदावार बढ़ाने के लिये इनका पांच प्रतिशत उपयोग शराब में आवश्यक किया गया है। इससे इनकी मांग बढ़ने से पौधरोपण भी बढ़ेगा। इस प्रजाति के एक लाख पौधों के रोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए भी सब्सिडी 50 प्रतिशत दी जायेगी। कोआॅपरेटिव बैंक को भी इसमें सहयोगी बनाया जायेगा। 50 प्रतिशत की सहायता कोआपरेटिव बैंक के माध्यम से दी जायेगी। महिलाओं के मामलों में यह सहायता 60 प्रतिशत रखी जायेगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिए की किसानों को बीज समय पर उपलब्ध हो, इसकी भी कार्ययोजना तैयार की जाय। इसके लिए विभाग अपना तंत्र विकसित करें। पाॅली हाउसों की भाॅंती पुवाल की छत बनाने पर भी विचार किया जाय। उन्होंने आफ सीजन वेजीटेबल व प्याज के उत्पादन पर भी ध्यान देने को कहा। आईफैड से भी सहयोग लिया जाय तथा प्रत्येक ब्लाॅक में एक गांव को चिन्हित किया जाय, ताकि स्थानीय लोग ब्याज उत्पादन के लिए आगे आ सके। इससे स्थानीय स्तर पर आर्थिक भी मजबूत होगी। उन्होने जंगलो से फसल को हो रहे नुकसान व वनाग्नि को रोकने के लिए पिरूल से बिजली उत्पादन के साथ ही, इसके ब्रिक बनाने की योजना बनाने को कहा। इसके लिए ईंट भट्टा मालिको व चीनी मिलो से वार्ता की जाय। हरिद्वार के जिलाधिकारी से भी इस कार्य में सहयोग लिया जाय। पिरूल को एकत्र करने में महिला मंगलदलों को भी सहायता उपलब्ध करायी जायेगी तथा इसके कलैक्सन सेंटर विभिन्न जगहों पर स्थापित किये जायेंगे। उन्होंने खेती को जंगली सूअरों से बचाने के लिये ’’सूअर भगाआंे, खेती बचाओं’’ अभियान संचालित करने के भी निर्देश दिए।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More