देहरादून: उत्तराखंड सरकार के तीन साल पूरे होने पर कांग्रेस जश्न मनाने में मशगूल है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि प्रदेश के अस्पताल आज भी डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे हैं। 60 फीसदी पद डॉक्टरों के पद खाली हैं।
तीन सालों में महज 20 डॉक्टरों की नियुक्ति हो पाई है। साल 2013-14 में 576 डॉक्टरों के पदों के लिए आवेदन जारी किया गया था, जिसमें से महज 68 डॉक्टरों ने ही इंटरव्यू दिया। इसमें 20 डॉक्टरों ने ज्वाइनिंग ली।
डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए एक बार फिर सरकार ने 743 डॉक्टरों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की है। हैरत की बात है कुल 421 डॉक्टरों का परिणाम घोषित हुआ, जिसमें से महज 282 डॉक्टरों ने प्रदेश में अपनी सेवाएं देने के लिए हामी भरी है। फिलहाल, अभी नए डॉक्टरों की ज्वाइनिंग का मामला लंबित है।
ऐसे में दूरदराज इलाकों के लोगों को इलाज के लिए देहरादून का चक्कर काटना पड़ रहा है। अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं।
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि एक साल के भीतर 1000 डॉक्टरों की भर्ती कर दी जाएगी। इससे डॉक्टरों की कमी को जल्द दूर किया जा सकेगा।
ऐसे में सवाल यह है कि जब तीन सालों में सरकार महज 20 डॉक्टरों की ही भर्ती कर सकी है तो दो साल में सरकार कितने नए डॉक्टरों की भर्ती करेगी, यह देखना काफी दिलचस्प होगा।
7 comments