नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के तहत वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियों(सीएमएस) के सरंक्षण के लिए 17 से 22 फरवरी के बीच गुजरात के गांधीनगर में 13 वें कोप शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। केन्द्रीय पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज नयी दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी।
मेजबान देश के रूप में अगले तीन वर्षों तक भारत इस सम्मेलन की अध्यक्षता करेगा। भारत 1983 से ही सीएमएस कन्वेशन पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में से रहा है। भारत सरकार प्रवासी समुद्री पक्षियों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है। संरक्षण योजना के तहत तहत इनमें डुगोंग, व्हेल शार्क और समु्द्री कुछुए की दो प्रजातियों की भी पहचान की गयी है।
श्री जावड़ेकर ने कहा “वन्य जीव संरक्षण की दिशा में सीएमएस कोप -13 का आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सोमवार 17 फरवरी 2020 को इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। करीब 130 देशों के प्रतिनिधि, जाने माने पर्यावरण संरक्षक तथा वन्य जीव संरक्षण के लिए काम करने वाले कई अंतरराष्ट्रीय संगठन इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।’
#India to host 13th COP of the Convention on the Conservation of Migratory Species of Wild Animals (CMS) from 17th to 22nd February 2020
at #Gandhinagar, #Gujarat: Union Minister @PrakashJavdekar#CMSCOP13 @moefcc @MEAIndia pic.twitter.com/wh4VaLZCGf— PIB India (@PIB_India) February 10, 2020
श्री जावड़ेकर ने बताया कि 15 और 16 फरवरी को कोप पूर्व बैठक के अलावा पक्षकारों के बीच संवाद,उच्चत स्तरीय बैठकें और चैंपियन नाइट पुरस्कार समारोह का आयोजन किया जाएगा। कोप का उद्धाटन समारोह और पूर्णसत्र बैठक 17 फरवरी को होगी। समापन समारोह 22 फरवरी को होगा। सम्मेलन के मौके पर कई अंतरराष्ट्रीय संगठन वन्य जीव संरक्षण के लिए अपनाए गए अपने तौर तरीकों का प्रदर्शन करेंगे।
इस बार इस सम्मेलन की विषय वस्तु है ‘ प्रवासी प्रजातियां दुनिया को जोड़ती हैं और हम उनका अपने यहां स्वागत करते हैं।‘ सम्मेलन का प्रतीक चिन्ह दक्षिण भारत की पांरपरिक कला कोलम से प्रेरित है। प्रतीक चिन्ह में इस कला के माध्यम से भारत में आने वाले प्रमुख प्रवासी पक्षियों जैसे आमूर फाल्कन, हम्पबैक व्हेल और समुद्री कछुओं के साथ प्रमुख को दर्शाया गया है।
वन्य जीव संरक्षण कानून 1972 के तहत देश में सर्वाधिक संकटापन्न प्रजाति माने जाने वाले द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को सम्मेलन का शुभंकर बनाया गया है। भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया में प्रवासी पक्षियों के नेटवर्क का अहम हिस्सा माना जाता है। मध्य एशिया का यह क्षेत्र आर्कटिक से लेकर हिन्द महासागर तक के इलाके में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में 182 प्रवासी समुद्री पक्षियों के करीब 297 अवासीय क्षेत्र हैं। इन प्रजातियों में दुनिया की 29 संकटापन्न प्रजातियां भी शामिल हैं।.
कोप-13 सम्मेलन के दौरान अंतरसत्रीय बैठकों की अध्यक्षता भारत को सौंपी जाएगी। अध्यक्ष के तौर पर भारत की जिम्मेदारी होगी कि वह कोप के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए बैठक में लिए गए फैसलों का अमल में लाने का मार्ग सुगम बनाए।
वन्य जीवों की प्रवासी प्रजातियां भोजन, सूर्य का प्रकाश, तापमान और जलवायु आदि जैसे विभिन्न कारणों से प्रत्येक वर्ष अलग अलग समय में एक पर्यावास से दूसरे पर्यावास की ओर रूख करती हैं। कुछ प्रवासी पक्षियों और स्तनपाई जीवों के लिए यह प्रवास कई हजार किलोमीटर से भी ज्यादा का हो जाता है। ये जीव अपने प्रवास के दौरान घोसले बनाने, प्रजनन, अनुकूल पर्यावरण तथा भोजन की उपलब्धता जैसी सुविधाओं को देखते हुए चलते हैं।
भारत कई किस्म के प्रवासी वन्य जीवों जैसे बर्फीले प्रदेश वाले चीते, आमुर फाल्कन, बार हेडेड गीज, काले गर्दन वाला सारस, समुद्री कछुआ, डुगोंग्स और हम्पबैक व्हेल आदि का प्राकृतिक आवास है और साइबेरियाई सारस के लिए 1998 में, समुद्री कछुओं के लिए 2007 में, डुगोंग्स के लिए 2008 में और रेप्टर्स के संरक्षण के लिए 2016 में सीएमएस के साथ कानूनी रूप से अबाध्यकारी समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर कर चुका है।