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मानव संसाधन विकास मंत्री ने नेशनल अकादमिक डिपोजिट्री के संबंध में जागरुकता के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्धाटन किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज यहां नेशनल अकादमिक डिपोजिट्री (एनएडी) के संबंध में जागरुकता के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्धाटन किया।

श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि एनएडी की स्थापना माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के डिजीटल इंडिया दृष्टिकोण के अनुरूप एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले सभी भागीदारों से आग्रह किया कि वे एनएडी का उपयोग शुरू करने का लक्ष्य 2017 तक पूरा कर लें। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के कारण जीवन में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। श्री जावडेकर ने कहा कि खरीददारी, रेलवे टिकट बुकिंग, बैंकिग और मोबाइल रिचार्ज जैसे क्षेत्रों में भी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह हम समाज में आमूल बदलाव देख रहे हैं।

मंत्री महोदय ने कहा कि वित्तीय प्रतिभूतियों को डी-मैट की प्रक्रिया बहुत पहले से शुरू हो चुकी है और इस तरह निवेशकों की वित्तीय स्थिति सुरक्षित हुई है। इस प्रणाली को अब शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि आकादमिक पुरस्कारों और प्रमाणपत्रों का प्रमाणीकरण भी डिजीटल स्तर पर किया जाए। उन्होंने कहा कि संस्थानों को एनएडी प्रौद्योगिकी को अपनाकर उसे वास्तविकता में बदलना चाहिए। मंत्री महोदय ने मानसिकता में बदलाव, आजमाई हुई और भरोसेमंद प्रौद्योगिकी पर बल दिया और कहा कि इससे पारदर्शिता में इजाफा होगा।

हितधारकों तक कुशल सेवाएं पहुंचाने के लिए प्रौद्योगिकी के जरिए सरकार प्रशासनिक और अकादिमक सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार अकादमिक पुरस्कारों और प्रमाणपत्रों के डिजिटल संग्रह के लिए एनएडी के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। एनएडी इन पुरस्कारों और प्रमाणपत्रों का प्रमाणीकरण करेगी और उनके सुऱक्षित संग्रह को सुनिश्चत करेगी। अकादमिक पुरस्कारों और प्रमाणपत्रों को डिजिटल संग्रह में रखने से शिक्षा संस्थानों, छात्रों और रोजगार प्रदाताओं को ऑनलाइन प्रमाणपत्र आदि जांचने की सुविधा होगी। इसके साथ ही धोखाधड़ी तथा जाली दस्तावेजों से छुटकारा मिलेगा। सभी हितधारकों को एनएडी की ऑनलाइन सुविधा 24 घंटे प्राप्त होगी।

मानव संसाधन राज्य मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने माननीय श्री प्रकाश जावड़ेकर के विचारों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि निर्धनतम व्यक्ति की भी अब उच्च शिक्षा तक पहुंच हो गयी है और शैक्षिक प्रमाणपत्र प्राप्त करने वालों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एनएडी एक आवश्यक उपाय है। डॉ. पांडेय ने कहा कि इस कदम से 21वीं सदी में नया अध्याय खुलेगा।

इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव श्री विनय शील ओबेरॉय ने कहा कि एनएडी प्रणाली का प्रमुख सिद्धांत यह है कि हर प्रमाण पत्र और पुरस्कार छात्रों के अलावा हर व्यक्ति को उपलब्ध होगा। इसके लिए छात्रों की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी। उन्होंने सभी अकादमिक संस्थानों से आग्रह किया कि वे जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को अपनाएं।

एनएडी प्रणाली पर एक प्रस्तुतिकरण भी दिया गया। इसके तहत अकादमिक संस्थानों, छात्रों, प्रमाणीकरण करने वालों और संग्रहकर्ताओं को इसके बारे में जानकारी दी गयी। इस दौरान एनएडी प्रणाली को संचालित करके अपलोडिंग करने का तरीका भी दिखाया गया। इसके बाद प्रश्नोत्तर का सत्र आरम्भ हुआ जिसमें भागीदारों के विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिये गए।

उच्च शिक्षा संयुक्त सचिव ने विभिन्न केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों और राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे प्रस्तुतिकरण में सक्रिय हिस्सा लें। क्षेत्रवार प्रशिक्षण कार्यशालाओं की श्रृखंला आयोजित की जा रही है। आयोजन भागीदारी करने वाले आकादमिक संस्थानों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करके समाप्त हुआ।

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