देहरादून: इस वर्ष प्रदेश में हरेला, झूमेलो एवं घी संग्रांद का पर्व एक माह तक आयोजित किया जायेगा, इस आयोजन में संस्कृति, वन, उद्यान, शिक्षा व सहकारिता विभाग आपसी समन्वय से सहभागिता निभायेंगे, सभी जनपदो में यह पर्व 16 जुलाई को हरेला पर्व से आरंभ होकर 16 अगस्त को घी संग्रांद तक आयोजित होगा।
यह निर्णय मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में बुधवार को बीजापुर अतिथि गृह में आयोजित हरेला, झूमेलो एवं घी संग्रांद के आयोजन सम्बंधी उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। बैठक में मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिये कि इस आयोजन में धाद संस्था का भी सहयोग लिया जाय। उन्होने कहा कि हमारे पूर्वजो ने हरेला, झूमेलो व घी संग्रांद जैसे पर्वो के माध्यम से प्रकृति की वंदना एवं अपनी पंरम्पराओ से जुडने का संदेश दिया है, हमे इन परम्पराओ को आगे बढ़ाकर भावी पीढ़ी को इससे परिचित कराना होगा, इसमें सभी को अपना योगदान देना होगा।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि 16 जुलाई को हरेला पर्व के साथ शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलो में वृक्षारोपण, झूमेलो व चैमासी लोक गीतो पर आधारित निबंध, चित्रकला प्रतियोगिता व विचार गोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। क्षेत्र के सांस्कृतिक कर्मियो, वृक्ष मित्रो को भी आमंत्रित कर वृक्ष, हरियाली पर्यावरण व लोक संस्कृति के महत्व की जानकारी बच्चो को दी जाय।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रत्येक स्कूल इस अवसर पर कम से कम 10 तथा अधिकतम 100 वृक्षो का रौपण करे। आस-पास के गांवो को भी इसमें सहभागी बनाया जाय। स्कूलो मे आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में देवी आपदा से बचाव की जानकारी भी सम्मिलित की जाय। सभी 25 हजार सरकारी व निजि स्कूलो को इस कार्यक्रम से जोड़ा जाय इसके लिये रेलियो का भी आयोजन हो। वन विभाग द्वारा पर्याप्त मात्रा में वृक्ष उपलब्ध कराये जायेंगे, उन्होने वन विभाग से अपने डिविजनो व रेंजो मे जंगली पौधो के साथ फलदार वृक्षो के रोपण पर ध्यान देने को कहा, जंगलो के बार्डर पर मेहल, आडू, घिघारू, अखरोट, मीठा पांगर के पेड लगाये जाय, जंगलो में बड़ी संख्या में बनाये गये टेंचेज में मडुआ, झंगोरा के बीजो का छिडकाव किया जाय ताकि जंगली जानवरो को भोजन के लिये जंगल से बाहर न आना पड़े। बन्दरो को जंगल में ही भोजन उपलब्ध हो जाय। उन्होने कहा कि मेरा वृक्ष मेरा धन योजना के अन्तर्गत इस वर्ष भी पौधो का रोपण के साथ ही बोनस का भुगतान किया जाय इसके लिये वन विकास निगम द्वारा वन विभाग को 6 करोड़ की धनराशि उपलब्ध करायी जायेगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उद्यान, वन व सहकारिता विभाग सामुहिक सहभागिता के साथ कार्य करे। आय आधारित वृक्षो के रोपण पर विशेष ध्यान दिया जाय। उद्यान विभाग मैदानी क्षेत्रो में आंवला, अमरूद व महुआ तथा पर्वतीय क्षेत्रो में माल्टा, नींबू के वृक्षो पर विशेष ध्यान दे। उन्होने कहा कि सहकारिता विभाग केवल गांवो मे ऋण उपलब्ध कराने का ही कार्य न करे बल्कि अपनी सामाजिक जिम्मेदारी भी निभाये।
उन्होने कहा कि एक माह के इस आयोजन में अन्तिम सप्ताह में घी संग्रांद के अवसर पर उत्तराखण्ड के परम्परागत खाद्यान्नो एवं बीज संरक्षण पर ध्यान दिया जाय। इसमें भी सहकारिता के साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहो, सांस्कृतिक दलो को सहभागी बनाया जाय। परम्परागत खाद्यान्न के साथ ही बीजो को बचाना जरूरी है। इसके लिये कृषि विभाग से जिम्मेदारी लेनी होगी। परम्परागत खाद्यान्न के लिये महिला स्वंय सहायता समूहो का सहयोग लिया जायेगा, सहकारिता विभाग इसमे सहयोग करेगा। इसके लिये 50 प्रतिशत की सब्सिडी सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जायेगी। यह आयोजन सभी जनपदो में आयोजित किया जायेगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमो का भी आयोजन इस अवसर पर आयोजित होगा।
बैठक में केबिनेट मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी, अपर मुख्य सचिव डाॅ0 रणवीर सिंह, सचिव पर्यटन व संस्कृति शैलेश बगोली, सचिव शिक्षा डी0 सैंथिल पांडियन, सचिव गृह व सूचना विनोद शर्मा, प्रमुख वन संरक्षक आर.के.महाजन, निदेशक माध्यमिक शिक्षा आर.के.कुंवर, निदेशक बेसिक शिक्षा सीमा जौनसारी, निदेशक उद्यान वीएस नेगी के साथ ही धाद के अध्यक्ष हर्षमणि व्यास, सचिव तन्मय ममगाई, डाॅ माधूरी बर्थवाल, लोकेश नवानी आदि उपस्थित थे।
2 comments