देहरादून: किसानों की मेहनत व राज्य सरकार की कोशिशों से उत्त्राखण्ड में कृषि क्षेत्र में माहौल को बदला जा सकता है। एक बदलते हुए उत्तराखण्ड, आगे बढ़ते हुए उत्तराखण्ड में किसान प्रमुख सहयोगी हैं। रेंजर्स ग्राउन्ड में ‘‘हरेला घी-संक्रांति महोत्सव’’ का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि अगले दो वर्षों में हमारा लक्ष्य कृषि विकास दर को लगभग दुगुना करते हुए 9 प्रतिशत की दर हासिल करना है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि दो वर्ष पहले हमारी कृषि विकास दर ऋणात्मक हो गई थी। खेती की दशा को सुधारने व किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए गए कदमों से यह अब न केवल सकारात्मक हो गई है बल्कि पांच प्रतिशत तक पहुंच गई है। परंतु हम इसी से संतुष्ट नहीं हैं। इसे 9 प्रतिशत से अधिक करने की योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। किसानों विशेष तौर पर महिला किसानों के बलबूते पर हमने कृषि क्षेत्र से बड़ी उम्मीदें बांध रखी हैं। उधमसिंहनगर व हरिद्वार में आधुनिक खेती को प्राथमिकता दी जा रही तो पर्वतीय जनपदों में पारम्परिक व जैविक खेती के रूप में नई सम्भावनाओं के द्वार खोले जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि बिखरी खेती को एक जगह पर समेट कर खेती करने के लिए जहां पर्वतीय कृषि चकबंदी कानून लाया गया है वहीं क्लस्टर आधारित खेती को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। जो महिला स्वयं सहायता समूह व महिला मंगल दल अपने गांवों में लीज पर जमीन लेकर सामूहिक खेती करेंगे उन्हें राज्य सरकार 1 लाख रूपए की सहायता राशि देगी। कुछ स्थानों पर लोगों ने क्लस्टर आधारित खेती के लिए प्रयास किए हैं। इसका वाजिब परिणाम भी देखने को मिल रहा है। इन प्रयासों को व्यापक रूप दिए जाने की आवश्यकता है। अगर बिखरे जोतों को एक जगह कर लें तो उत्तरी भारत में कृषि व फल उत्पादों के मार्केट का बड़ा हिस्सा हमारा हो सकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि दूरस्थ क्षेत्रों में जड़ी बुटी के रोपण को बढ़ावा दिया जा रहा है। गंगी गांव में माॅडल के तौर पर इसे सफलतापूर्वक किया गया है, अब इसे कुछ अन्य सीमावर्ती गांवों में भी किया जाएगा। हरिद्वार के किसान गन्ना के उन्नत बीज प्रयोग कर सकें इसलिए सीमित संसाधनों के होते हुए भी उनका बकाया भुगतान किया गया है। जो भी खेती में लगेगा सरकार उसके साथ है। हमने मंडुवा, झंगोरा, भट, गहत, चैलाय फाफर आदि परम्परागत उत्पादों की मांग बढ़ाने में सफलता पाई है। इन उपजों के लिए उत्पादन बोनस दिया जा रहा है। परम्परागत फसलों, दूध उत्पादन, पेड लगाने़ व जलसंचय पर बोनस दिया जा रहा है। हमें खुशी है कि हम अपनी खेती व संस्कृति के प्रति लोगों को जागरूक करने में कामयाब रहे हैं। महिलाएं इंदिरा दुग्ध मंडल बनाएं। हम उन्हें पनीर व चीज बनाने की मशीन उपलब्ध करवाएंगे। हमारा लक्ष्य है कि वर्ष 2018 तक व्यावसायिक भांग का उत्पादन सम्भव हो सके। देश विदेश में व्यावसायिक भांग की बड़ी मांग है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि वन विभाग के माध्यम से 1 हजार चाल-खाल बनाए गए हैं। 10 हजार और बनवाए जा रहे हैं। सिंचाई विभाग ने 3 बड़े जलाशय बना दिए हैं जबकि 100 और जलाशय बनाए जाएंगे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के रिवाईवल के लिए पारम्परिक व जैविक खेती, दूध, पेड़, जल व संस्कृति को समन्वित किया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि हरेला व घी-संक्रांति हमारी पहचान बने। 2013 में कोई सोच भी नहीं सकता था कि उत्तराखण्ड केवल 2-3 वर्षों में ही इतनी तेजी से आगे बढ़ सकेगा। विश्व बैंक, नीति आयोग, एसोचैम सभी के आंकड़े उत्तराखण्ड की प्रगति की दास्तान कह रहे हैं। अवसर को पहचान कर तरक्की के रास्ते पर चलने की आवश्यकता है। सभी के सहयोग से राज्य की विकास दर को 18 प्रतिशत तक किया जा सकता है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने महोत्सव के आयोजन में सहयोग के लिए धाद संस्था का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री रावत ने प्रगतिशील किसानों व जैविक खेती में काम करने वाले किसानों को सम्मानित किया। उन्होंने विभिन्न विभागों व संस्थाओं द्वारा लगाए स्टालों का अवलोकन किया। उन्होंने हरेला पर आयोजित रैली में प्रतिभाग करने वाले स्कूली बच्चों से मिलकर उनकी हौंसला अफजाई की। कार्यक्रम में संसदीय सचिव व विधायक राजकुमार, पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला सहित विभागीय अधिकारी, बड़ी संख्या में आए किसान उपस्थित थे।